वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के इस युग में अब अंतिम संस्कार भी परंपरागत तरीकों से हटकर नए विकल्प तलाश रहा है। हाल ही में जर्मनी की एक स्टार्टअप कंपनी ने ऐसा ही एक अभिनव लेकिन असफल प्रयास किया। कंपनी ने 166 लोगों की अस्थियों को एक विशेष कैप्सूल के जरिए अंतरिक्ष में भेजा, ताकि उन्हें ‘अंतरिक्ष में दफन’ किया जा सके। लेकिन पृथ्वी की दो परिक्रमाएं पूरी करने के बाद यह कैप्सूल धरती पर लौट आया और समुद्र में गिर गया।
क्या था अंतिम संस्कार का मिशन?
यह प्रयोग एक जर्मन स्टार्टअप की ओर से किया गया था, जिसका उद्देश्य था—ऐसे लोगों की अंतिम इच्छा को पूरा करना, जो मरने के बाद अंतरिक्ष में दफन होना चाहते थे। कंपनी ने 166 लोगों की राख को एक विशेष प्रकार के कैप्सूल में रखा और उसे रॉकेट के माध्यम से पृथ्वी की कक्षा में भेजा। योजना यह थी कि यह कैप्सूल अंतरिक्ष में अनिश्चितकाल तक पृथ्वी की परिक्रमा करता रहेगा और इस तरह अंतरिक्ष में ‘दफन’ हो जाएगा।
कैसे हुआ अंतिम संस्कार विफल?
हालांकि, यह मिशन असफल साबित हुआ। ISRO और NASA से मिली तकनीकी जानकारियों के अनुसार, कैप्सूल पृथ्वी की दो कक्षाओं की परिक्रमा करने के बाद अपनी दिशा से भटक गया। दिशा नियंत्रण प्रणाली में तकनीकी गड़बड़ी के कारण यह कैप्सूल दोबारा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में आ गया और तेज गति से समुद्र में गिर गया। फिलहाल समुद्र में इसके मलबे की तलाश की जा रही है, ताकि भविष्य के लिए सबक लिया जा सके।
तकनीकी और भावनात्मक पहलू
इस मिशन में केवल तकनीक ही नहीं, बल्कि भावनात्मक पहलू भी जुड़ा था। 166 लोग जिन्होंने अंतरिक्ष में दफन होने की इच्छा जाहिर की थी, उनमें से कई के परिजनों ने इस प्रयास को एक श्रद्धांजलि के रूप में देखा था। परिजनों को यह उम्मीद थी कि उनके प्रियजन सदा के लिए सितारों के बीच बस जाएंगे, लेकिन यह सपना अधूरा रह गया।
क्या कहती है अंतरिक्ष एजेंसियां?
अंतरिक्ष विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रयोग एक बड़ी सीख है कि भावनात्मक इच्छाओं को पूरा करने के लिए तकनीकी दक्षता और सुरक्षा मानकों का पूरी तरह पालन जरूरी है। पृथ्वी की कक्षा में कोई भी वस्तु भेजने से पहले उसका पथ, स्थायित्व और दिशा नियंत्रण अत्यधिक सटीकता से निर्धारित करना होता है। जरा सी चूक पूरे मिशन को असफल बना सकती है, जैसा कि इस मामले में हुआ।
भविष्य में क्या संभावनाएं?
हालांकि यह प्रयास असफल रहा, लेकिन इसने एक नई सोच को जन्म जरूर दिया है। अंतरिक्ष में अंतिम संस्कार जैसी अवधारणाएं अब कल्पना से निकलकर संभावनाओं की ओर बढ़ रही हैं। अमेरिका, जापान और यूरोप में कई कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं। आने वाले समय में यह तकनीक बेहतर हो सकती है और अंतरिक्ष में स्मारक या अंतिम विश्राम स्थल बनाना संभव हो सकता है।
पर्यावरणीय चिंता भी
इस घटना के बाद एक और सवाल उठने लगा है—क्या अंतरिक्ष में इस प्रकार का अंतिम संस्कार पर्यावरण के लिए सुरक्षित है? विशेषज्ञों का मानना है कि यदि इस तरह की गतिविधियां अनियंत्रित रूप से की गईं, तो यह पृथ्वी की कक्षा में अंतरिक्ष मलबे (space debris) की समस्या को बढ़ा सकती हैं। इसलिए किसी भी नए प्रयोग को पूरी जिम्मेदारी और वैज्ञानिक योजना के तहत ही किया जाना चाहिए।
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