तमिल सिनेमा के सुपरस्टार और अब राजनीति में कदम रख चुके विजय ने शनिवार को अपने चुनावी अभियान की शुरुआत की। इस दौरान उन्होंने देश की मौजूदा राजनीतिक बहस पर अपनी स्पष्ट राय रखी और जनता के सामने अपने राजनीतिक इरादों को बताया। विजय ने खासतौर पर केंद्र सरकार की ‘एक देश, एक चुनाव’ नीति का कड़ा विरोध किया और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया। उन्होंने यह भी कहा कि परिसीमन (Delimitation) की प्रक्रिया विपक्ष और खासकर दक्षिणी राज्यों की स्थिति को कमजोर करेगी।
तकनीकी खामी, लेकिन साफ संदेश
चुनावी रैली में विजय के भाषण का शुरुआती हिस्सा तकनीकी खामी के चलते जनता तक पूरी तरह नहीं पहुंच पाया। माइक की समस्या के कारण लोग उनके पहले कुछ मिनटों की बातें नहीं सुन पाए। हालांकि जब आवाज साफ हुई, तो विजय ने एक सीधा और स्पष्ट संदेश दिया – “मैं राजनीति में केवल सेवा के इरादे से आया हूं, पैसे कमाने के लिए नहीं।”
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें पैसा कमाने के लिए राजनीति की ज़रूरत नहीं है। उनका जीवन पहले ही काफी संपन्न है और अब उनका उद्देश्य केवल जनता की सेवा करना और राज्य को भ्रष्टाचार से मुक्त करना है।
‘एक देश, एक चुनाव’ पर विजय का विरोध
विजय ने अपने संबोधन में कहा कि “एक देश, एक चुनाव” का विचार भारतीय लोकतंत्र की विविधता और उसकी जड़ों पर सीधा हमला है। उनके अनुसार, यह व्यवस्था देश की लोकतांत्रिक भावना को कमजोर कर देगी।
उन्होंने तर्क दिया कि भारत जैसे विशाल और विविधता से भरे देश में सभी राज्यों को अलग-अलग परिस्थितियों और जरूरतों के अनुसार चुनाव कराने का अधिकार होना चाहिए। अगर सब चुनाव एक साथ होंगे तो स्थानीय मुद्दे हाशिये पर चले जाएंगे और राष्ट्रीय राजनीति का बोझ राज्यों पर हावी हो जाएगा।
परिसीमन पर चेतावनी
विजय ने परिसीमन (Delimitation) को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया दक्षिणी राज्यों की राजनीतिक ताकत को कमज़ोर करेगी। उनका मानना है कि जनसंख्या के आधार पर सीटों का पुनर्वितरण, उन राज्यों के लिए नुकसानदायक होगा जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण में बेहतर काम किया है।
उन्होंने कहा कि इससे न केवल विपक्ष कमजोर होगा, बल्कि संघीय ढांचे पर भी खतरा मंडराएगा। विजय का यह बयान साफ संकेत देता है कि वे दक्षिणी राज्यों की स्वायत्तता और उनकी राजनीतिक हिस्सेदारी को लेकर गंभीर हैं।
राजनीति में आने का मकसद
विजय ने अपने भाषण में कई बार दोहराया कि वे राजनीति में केवल जनता की सेवा के लिए आए हैं। उन्होंने कहा, “पैसे को लेकर क्या बड़ी बात है? मैंने इसे काफी देख लिया है। क्या मुझे पैसा कमाने के लिए राजनीति में आना चाहिए? कोई जरूरत नहीं है। आपकी सेवा के अलावा मेरा कोई और उद्देश्य नहीं है।”
उनका यह बयान साफ करता है कि वे खुद को आम नेताओं से अलग साबित करना चाहते हैं। विजय ने कहा कि उनका लक्ष्य एक साफ-सुथरा और विवेकपूर्ण शासन देना है।
देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज
तमिलगा वेत्री कषगम (TVK) के प्रमुख विजय ने भ्रष्टाचार को तमिलनाडु की सबसे बड़ी समस्या बताया। उन्होंने कहा कि जब तक राजनीति से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा, तब तक जनता को न्याय और विकास नहीं मिल सकता।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि उनकी पार्टी का मकसद तमिलनाडु को भ्रष्टाचार से मुक्त करना है और इसके लिए वे पारदर्शी और जवाबदेह प्रशासन देंगे।
जनता से जुड़ने की कोशिश
रैली में भारी संख्या में लोग जुटे और विजय का स्वागत करते हुए ‘थलपति’ के नारे लगाए। विजय ने अपने प्रशंसकों से कहा कि वे अब केवल एक अभिनेता नहीं बल्कि एक सेवक की भूमिका में हैं।
उन्होंने कहा कि राजनीति का मतलब केवल सत्ता हासिल करना नहीं बल्कि लोगों की समस्याओं का समाधान करना है। वे चाहते हैं कि राजनीति का मकसद “जनता की भलाई” बने, न कि “नेताओं की जेब भरना।”
देश के तमिलनाडु की राजनीति में नया समीकरण
विजय का राजनीति में आना तमिलनाडु की राजनीति में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। राज्य की राजनीति लंबे समय से डीएमके और एआईएडीएमके के इर्द-गिर्द घूमती रही है। अब विजय एक नए विकल्प के रूप में उभर रहे हैं।
उनकी लोकप्रियता, खासकर युवाओं में, काफी अधिक है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि विजय अपनी स्टार पावर और भ्रष्टाचार विरोधी एजेंडा के बल पर तमिलनाडु की राजनीति में नई लहर पैदा कर सकते हैं।
विपक्षी दलों के लिए चुनौती
विजय के ‘एक देश, एक चुनाव’ और परिसीमन पर दिए गए बयान विपक्षी दलों के साथ सामंजस्य का संकेत भी हो सकते हैं। उनके विचार दक्षिणी राज्यों की मौजूदा क्षेत्रीय पार्टियों के रुख से मेल खाते हैं।
इससे यह अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि आने वाले समय में विजय विपक्षी गठबंधन की राजनीति में भी अहम भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि, उन्होंने अभी तक इस पर कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिया है कि वे गठबंधन की राजनीति करेंगे या अकेले चुनाव लड़ेंगे।
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