संसद के मॉनसून सत्र 2025 के दौरान उस समय नया विवाद खड़ा हो गया, जब कांग्रेस सांसद और पार्टी के प्रमुख नेता राहुल गांधी को लोकसभा में अपनी बात रखने से रोके जाने का आरोप सामने आया। इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक हलचल मच गई है। कांग्रेस ने इसे लोकतंत्र की आवाज़ दबाने की कोशिश बताया, जबकि सरकार ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है।
इस पूरे घटनाक्रम पर अब लोकसभा की अध्यक्षता कर रहे प्रोटेम स्पीकर, और अन्य सत्तारूढ़ दल के सांसदों ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सच्चाई सामने रखी है।
संसद में घटना कैसे शुरू हुई?
18 जुलाई को संसद में चल रहे एक महत्वपूर्ण बहस के दौरान राहुल गांधी ने अपने नाम के तहत बोलने की अनुमति मांगी। विपक्ष का दावा है कि उन्हें पूर्व-निर्धारित समय पर बोलने से रोका गया और माइक्रोफोन बंद कर दिया गया।
कांग्रेस पार्टी ने इसे “संसदीय मर्यादा का उल्लंघन” करार देते हुए स्पीकर पर पक्षपात का आरोप लगाया। पार्टी नेताओं ने सदन के बाहर प्रदर्शन भी किया और राष्ट्रपति से मिलने की मांग की।
लोकसभा स्पीकर का स्पष्टीकरण
इस पूरे विवाद पर लोकसभा की अध्यक्षता कर रहे प्रोटेम स्पीकर ओम बिड़ला ने कहा कि “सदन की कार्यवाही एक निर्धारित प्रक्रिया और समय के अनुसार चलती है। किसी भी सदस्य को बोलने से रोका नहीं गया, बल्कि समय की सीमा और अनुशासन को बनाए रखा गया।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि राहुल गांधी को दूसरे दिन बोलने का समय दिया गया था, लेकिन उस दिन सदन स्थगित हो गया।
स्पीकर के अनुसार, तकनीकी कारणों या हंगामे की स्थिति में अक्सर सदस्य अपनी पूरी बात नहीं रख पाते, लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि उन्हें जानबूझकर चुप कराया जा रहा है।
संसद में सरकार का पक्ष
सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस आरोप को “पूरी तरह राजनीतिक ड्रामा” करार दिया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के पास बार-बार मंच मिलता है, लेकिन वे अक्सर निर्धारित विषय से भटक जाते हैं या उत्तेजक टिप्पणियां करते हैं।
उनके मुताबिक, “सरकार संसद में स्वस्थ बहस चाहती है, लेकिन विपक्ष केवल व्यवधान पैदा करना चाहता है। संसद में हर सदस्य को बोलने का अधिकार है, लेकिन वह अधिकार भी अनुशासन से जुड़ा होता है।”
कांग्रेस का जवाब
CONGRESS पार्टी इस मुद्दे को लेकर आक्रामक रुख अपनाए हुए है। पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने बयान जारी कर कहा, “राहुल गांधी को जब-जब सत्ताधारी दल से सवाल पूछने की कोशिश करते हैं, तब-तब उन्हें रोकने की साजिश होती है। यह जनता की आवाज़ को दबाने का प्रयास है।”
नेताओं ने लोकसभा स्पीकर से औपचारिक शिकायत भी दर्ज कराई है और पूरे प्रकरण की जांच की मांग की है
जनता और सोशल मीडिया की प्रतिक्रिया
इस मुद्दे ने ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी तीखी प्रतिक्रियाएं पैदा की हैं। #LetRahulSpeak और #ParliamentDemocracy जैसे हैशटैग ट्रेंड कर चुके हैं। कुछ लोग इसे लोकतंत्र पर हमला बता रहे हैं, तो कुछ इसे विपक्ष का राजनीतिक हथकंडा बता रहे हैं।
यह भी पढ़ें – ‘हिंदू नाम से फंसाया, कन्वर्जन और गैंगरेप का दर्दनाक सच’ – एक युवती की आपबीती