पेटोंगटार्न शिनावात्रा का उदय थाईलैंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ के रूप में देखा जा रहा है। 37 वर्ष की आयु में थाईलैंड की प्रधानमंत्री बनीं पेटोंगटार्न न केवल देश की सबसे युवा नेताओं में से एक हैं, बल्कि एक ऐसे राजनीतिक परिवार से भी आती हैं, जिसने दशकों तक थाई राजनीति को आकार दिया है। उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा और चाची यिंगलुक शिनावात्रा दोनों ही देश के पूर्व प्रधानमंत्री रह चुके हैं। यह वंश परंपरा पेटोंगटार्न को एक मजबूत राजनीतिक विरासत प्रदान करती है, लेकिन साथ ही कई चुनौतियाँ भी।
पेटोंगटार्न की पारिवारिक पृष्ठभूमि और शिक्षा
शिनावात्रा का जन्म एक समृद्ध और राजनीतिक रूप से सक्रिय परिवार में हुआ। उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा ने 2001 से 2006 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, लेकिन 2006 के सैन्य तख्तापलट के बाद उन्हें सत्ता से हटा दिया गया। वहीं उनकी चाची यिंगलुक 2011 से 2014 तक थाईलैंड की पहली महिला प्रधानमंत्री रहीं। इस पृष्ठभूमि के चलते पेटोंगटार्न को राजनीति का गहरा अनुभव विरासत में मिला। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा प्राप्त की और अपने व्यवसायिक करियर के साथ-साथ सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों में सक्रिय भागीदारी निभाई।
राजनीतिक करियर की शुरुआत
हालांकि पेटोंगटार्न ने हाल ही में औपचारिक रूप से राजनीति में कदम रखा है, लेकिन वे लंबे समय से राजनीतिक गतिविधियों में पर्दे के पीछे सक्रिय थीं। उन्होंने थाईलैंड की लोकप्रिय विपक्षी पार्टी पुए थाई पार्टी (Pheu Thai Party) के लिए रणनीतिक योजनाओं और जनसंपर्क अभियानों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2023 के आम चुनावों में उनकी पार्टी ने अच्छा प्रदर्शन किया, और 2024 में संसद द्वारा उन्हें प्रधानमंत्री चुना गया।
प्रधानमंत्री के रूप में भूमिका
16 अगस्त 2024 को जब उन्हें थाई संसद ने प्रधानमंत्री चुना, तो यह निर्णय देश के राजनीतिक इतिहास में एक नया अध्याय था। वे न केवल युवा और ऊर्जावान नेता हैं, बल्कि तकनीकी प्रगति, डिजिटल अर्थव्यवस्था और शिक्षा सुधार जैसे मुद्दों पर गहन दृष्टिकोण रखती हैं। उन्होंने अपने भाषणों में बार-बार समावेशी विकास, लोकतंत्र की मजबूती और सामाजिक न्याय की बात की है।
चुनौतियाँ और विवाद
हालांकि पेटोंगटार्न को जनता का व्यापक समर्थन प्राप्त है, लेकिन उनके नेतृत्व पर सवाल भी उठते रहे हैं। आलोचकों का मानना है कि उनके ऊपर उनके पिता थाकसिन शिनावात्रा का बहुत अधिक प्रभाव है, जो देश से निर्वासन में हैं। इसके अलावा, कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि पेटोंगटार्न एक कथित लीक फोन कॉल विवाद में शामिल रही हैं, जिससे उनके निलंबन की अटकलें भी लगाई गईं। हालांकि, अब तक इस विषय पर कोई न्यायालयिक निर्णय या आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।