बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, राजनीतिक हलचल तेज़ होती जा रही है। सीट बंटवारे को लेकर NDA (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के भीतर मतभेद की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने बुधवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर गठबंधन में सीटों के वितरण में हो रही देरी को लेकर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की। इस दौरान उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया बयान पर भी खुलकर प्रतिक्रिया दी।
NDA सीट बंटवारे को लेकर बढ़ती खींचतान
एनडीए में सीटों को लेकर चर्चा कई दौर से चल रही है, लेकिन अभी तक अंतिम निर्णय सामने नहीं आया है। चिराग पासवान ने कहा कि उनकी पार्टी लंबे समय से सीटों के बंटवारे को लेकर स्पष्टता चाहती है। उन्होंने आरोप लगाया कि बार-बार बैठकें होने के बावजूद ठोस नतीजा नहीं निकल रहा है।
चिराग ने साफ कहा, “हमारी पार्टी ने हमेशा गठबंधन धर्म का पालन किया है, लेकिन इस बार प्रक्रिया में अनावश्यक देरी हो रही है। हमारे कार्यकर्ता ज़मीनी स्तर पर मेहनत कर रहे हैं और उन्हें स्पष्ट संकेत चाहिए कि वे किन सीटों पर काम करें।”
पीएम मोदी के बयान पर चिराग का जवाब – NDA
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में बिहार की एक रैली में कहा था कि एनडीए पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ेगा और सीट बंटवारे पर सभी दलों की सहमति होगी। इस पर चिराग ने कहा, “हम प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और उनके विज़न का सम्मान करते हैं। लेकिन ज़मीनी स्तर पर चीज़ें तेज़ी से नहीं बढ़ रही हैं। हमें उम्मीद है कि पीएम की बातों को गठबंधन के सभी साथी गंभीरता से लेंगे।”
चिराग ने यह भी जोड़ा कि प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता और केंद्र की योजनाओं के दम पर बिहार में एनडीए की स्थिति मजबूत है, लेकिन समय पर फैसला लेना जरूरी है ताकि कार्यकर्ता आत्मविश्वास से प्रचार में उतर सकें।
जीतन राम मांझी की सलाह
हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने भी सीट बंटवारे की धीमी प्रक्रिया पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि सभी दलों को धैर्य से काम लेना चाहिए और आपसी संवाद बनाए रखना चाहिए। मांझी ने मीडिया से कहा, “जल्दबाजी में लिए गए फैसले नुकसानदायक हो सकते हैं। हमें प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की रणनीति पर भरोसा रखना चाहिए।”
मांझी ने यह भी संकेत दिया कि सीट बंटवारे में छोटे दलों को उचित सम्मान मिलना चाहिए, क्योंकि उनकी मौजूदगी चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकती है।
जेडीयू और बीजेपी काNDA पर रुख
जनता दल यूनाइटे और बीजेपी के बीच भी सीटों के अनुपात को लेकर हलचल जारी है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी चाहती है कि पिछली बार की तुलना में इस बार उसकी हिस्सेदारी बढ़ाई जाए, जबकि जेडीयू अपने पुराने फॉर्मूले पर अड़ी है।
जेडीयू के वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हमारी पार्टी ने हमेशा गठबंधन को प्राथमिकता दी है, लेकिन सीटों की संख्या पर सहमति बनाना आसान नहीं है। सभी पार्टियां अपनी ताकत के आधार पर ज्यादा सीटें चाहती हैं।”
NDAके सामने चुनौती
बिहार में एनडीए का मुकाबला महागठबंधन से है, जिसमें आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल), कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं। महागठबंधन ने पहले ही अपने उम्मीदवारों की सूची तैयार करनी शुरू कर दी है। ऐसे में एनडीए के भीतर सीट बंटवारे में देरी को विपक्ष मुद्दा बना रहा है।
आरजेडी प्रवक्ता ने कहा, “जब खुद एनडीए के नेता आपस में सहमत नहीं हैं, तो जनता उन पर कैसे भरोसा करेगी? ये देरी दिखाती है कि एनडीए के भीतर सबकुछ ठीक नहीं है।”
चिराग पासवान की रणनीति
पासवान पिछले कुछ वर्षों में बिहार की राजनीति में एक अहम चेहरा बनकर उभरे हैं। 2020 विधानसभा चुनाव में उन्होंने अकेले चुनाव लड़ा था और एलजेपी (रामविलास) को उल्लेखनीय वोट शेयर मिला था। इस बार वे एनडीए में रहते हुए ज्यादा सीटें पाने की कोशिश में हैं।
चिराग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में साफ कहा कि उनकी पार्टी राज्य की 100 से ज्यादा सीटों पर मजबूत दावेदारी रखती है। उन्होंने कहा, “हम हर सीट पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। कार्यकर्ता पूरी मेहनत कर रहे हैं। हमें सिर्फ यह जानना है कि गठबंधन की ओर से हमें कौन सी सीटें दी जाएंगी।”
NDA का प्रधानमंत्री के प्रति समर्थन
हालांकि नाराज़गी के बावजूद चिराग ने प्रधानमंत्री मोदी के प्रति अपना समर्थन दोहराया। उन्होंने कहा कि मोदी के नेतृत्व में देश ने विकास की नई ऊंचाइयां छुई हैं और बिहार भी उनसे काफी उम्मीदें रखता है। चिराग ने कहा, “हमारा केंद्र सरकार के साथ तालमेल मजबूत है। हम चाहते हैं कि बिहार में भी उसी विकास की गति को बनाए रखें।”
उनके इस बयान से साफ है कि वे गठबंधन से अलग होने का कोई जोखिम नहीं लेना चाहते, बल्कि सीट बंटवारे में बेहतर सौदेबाजी कर अपनी पार्टी के लिए मजबूत स्थिति बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों की राय
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि सीट बंटवारे की देरी सामान्य प्रक्रिया है, खासकर तब जब कई दल गठबंधन में शामिल हों। वरिष्ठ विश्लेषक डॉ. अरुण कुमार का कहना है, “NDA में सभी दल अपनी-अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। लेकिन आखिरकार सीटों का बंटवारा इस तरह होगा कि सभी को संतोष मिले।
उन्होंने कहा कि चिराग पासवान की नाराज़गी ज्यादा समय तक नहीं चलेगी, क्योंकि उनके लिए एनडीए से बाहर निकलना फिलहाल फायदेमंद नहीं होगा।
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