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Mon. Sep 15th, 2025

ब्रिटेन की राजधानी लंदन एक बार फिर राजनीतिक और सामाजिक तनाव का गवाह बनी। शनिवार को सेंट्रल लंदन में आयोजित ‘यूनाइट द किंगडम’ रैली के दौरान हिंसा भड़क उठी, जिसमें करीब 26 पुलिसकर्मी घायल हो गए। यह रैली धुर-दक्षिणपंथी कार्यकर्ता टॉमी रॉबिन्सन के नेतृत्व में आयोजित की गई थी और इसमें लगभग डेढ़ लाख लोग शामिल हुए।

रैली में हिंसा और पुलिस पर हमला

शुरुआत में यह रैली शांतिपूर्ण ढंग से चल रही थी, लेकिन जैसे-जैसे भीड़ बढ़ती गई, तनाव का माहौल बनने लगा। रिपोर्ट्स के अनुसार, कई प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर बोतलें और अन्य वस्तुएँ फेंकना शुरू कर दिया। इससे हालात बिगड़ गए और पुलिस को भीड़ को नियंत्रित करने में काफी मशक्कत करनी पड़ी।
मेट्रोपोलिटन पुलिस के अनुसार, इस हिंसा में कुल 26 पुलिस अधिकारी घायल हुए, जिनमें से चार की हालत गंभीर बताई जा रही है। घायलों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

टॉमी रॉबिन्सन की रैली में भूमिका

टॉमी रॉबिन्सन, जिनका असली नाम स्टीफन याक्सली-लेनन है, ब्रिटेन में धुर-दक्षिणपंथी राजनीति का जाना-पहचाना चेहरा हैं। वे अक्सर प्रवासियों, इस्लाम और बहुसंस्कृतिवाद के खिलाफ बयानबाजी करते रहे हैं।
‘यूनाइट द किंगडम’ रैली उनके नेतृत्व में आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य उनके समर्थकों के अनुसार “ब्रिटेन की पहचान और संस्कृति की रक्षा” करना था। लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह रैली समाज में विभाजन और घृणा फैलाने की कोशिश थी।

एलन मस्क का संबोधन

इस रैली की एक बड़ी खासियत यह रही कि टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक अरबपति एलन मस्क ने भी इसमें भाग लिया। हालांकि वे सीधे तौर पर लंदन नहीं पहुंचे, लेकिन उन्होंने वीडियो लिंक के ज़रिए व्हाइटहॉल में मौजूद प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया।
मस्क ने अपने संबोधन में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर दिया और कहा कि लोग बिना किसी डर के अपनी बात कह सकें, यह किसी भी लोकतंत्र की बुनियाद है। उन्होंने हालांकि हिंसा का सीधा समर्थन नहीं किया, लेकिन उनके भाषण ने रैली को और सुर्खियों में ला दिया।

काउंटर-प्रोटेस्ट: ‘स्टैंड अप टू रेसिज़्म’

लंदन की सड़कों पर उसी समय एक और रैली भी हो रही थी। यह रैली ‘स्टैंड अप टू रेसिज़्म’ (नस्लवाद का विरोध करें) नामक संगठन ने आयोजित की थी। इसमें करीब पाँच हज़ार लोग शामिल हुए।
इस काउंटर-प्रोटेस्ट का उद्देश्य धुर-दक्षिणपंथी विचारों का विरोध करना और समाज में समानता और भाईचारे का संदेश देना था। इस रैली में शामिल लोग हाथों में तख्तियां और बैनर लिए नारे लगा रहे थे – “No to Racism, Yes to Unity” (नस्लवाद नहीं, एकता हाँ)।

रैली पर पुलिस की चुनौती

एक ही समय पर दो विरोधी विचारधाराओं वाली रैलियों का आयोजन मेट्रोपोलिटन पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गया। हजारों की भीड़ को संभालना आसान नहीं था, और जब हिंसा फैली तो हालात और बिगड़ गए। पुलिस ने कई जगह बैरिकेड लगाए और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त बल बुलाना पड़ा।
पुलिस प्रवक्ता ने कहा कि हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। कई लोगों को मौके पर ही गिरफ्तार किया गया है और CCTV फुटेज की मदद से अन्य आरोपियों की पहचान की जा रही है।

ब्रिटेन की राजनीति में असर

यह घटना केवल लंदन तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि आने वाले दिनों में ब्रिटेन की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन सकती है। धुर-दक्षिणपंथी ताकतों का बढ़ता प्रभाव पहले से ही चिंता का विषय रहा है। इस रैली में भारी संख्या में भीड़ का जुटना इस बात का संकेत है कि समाज का एक हिस्सा इन विचारों से प्रभावित हो रहा है।
वहीं, नस्लवाद विरोधी संगठनों का कहना है कि ब्रिटेन की असली ताकत उसकी विविधता है और धुर-दक्षिणपंथी राजनीति देश की एकता को कमजोर कर रही है।

एलन मस्क पर सवाल

एलन मस्क की भागीदारी ने इस पूरे मामले को और विवादास्पद बना दिया है। आलोचकों का कहना है कि मस्क ने एक ऐसे मंच को मान्यता दी जो हिंसा और नफरत से जुड़ा है। हालांकि उनके समर्थकों का कहना है कि उन्होंने केवल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात की और हिंसा का समर्थन नहीं किया।
सोशल मीडिया पर मस्क के बयान को लेकर भारी बहस छिड़ी हुई है। कुछ लोग उन्हें “फ्री स्पीच का सच्चा समर्थक” कह रहे हैं, तो कुछ उन्हें “खतरनाक विचारधारा को बढ़ावा देने वाला” मान रहे हैं।

जनता की प्रतिक्रिया

लंदनवासियों की प्रतिक्रिया भी इस घटना पर बंटी हुई है। कुछ लोग मानते हैं कि रैली में शामिल होकर लोग अपनी नाराज़गी और विचारों को जाहिर कर रहे थे, जबकि अन्य लोग इसे समाज को तोड़ने की कोशिश मान रहे हैं।
कई स्थानीय निवासियों ने हिंसा और पुलिस पर हमले की निंदा की और कहा कि विरोध जताने का यह तरीका बिल्कुल गलत है।

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