मेघालय की राजनीति में मंगलवार को बड़ा उलटफेर देखने को मिला। मंगलवार सुबह तक जहां राज्य में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा थी, वहीं दोपहर तक हालात पूरी तरह बदल गए। मुख्यमंत्री कोनराड के. संगमा के नेतृत्व वाली एनपीपी (नेशनल पीपल्स पार्टी) नीत मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस सरकार में आठ मंत्रियों ने अचानक इस्तीफा देकर पूरे राज्य की राजनीति में हलचल मचा दी। इस्तीफा देने वालों में वरिष्ठ नेता ए.एल. हेक, पॉल लिंगदोह और अम्पारीन लिंगदोह जैसे बड़े नाम भी शामिल हैं।
अचानक कैसे बदला मेघालय सियासी समीकरण
सूत्रों के मुताबिक, मंगलवार शाम को मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की औपचारिक घोषणा होनी थी। लेकिन उससे पहले ही आठ मंत्रियों के सामूहिक इस्तीफे ने पूरे समीकरण को बदल दिया। इन नेताओं का यह कदम न केवल सरकार के भीतर असंतोष का संकेत देता है, बल्कि आने वाले दिनों में नए राजनीतिक गठजोड़ की संभावना को भी बढ़ा रहा है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से कई मंत्री अपनी उपेक्षा और विभागीय कामकाज को लेकर नाराज चल रहे थे। हालांकि अब तक किसी भी नेता ने सार्वजनिक रूप से अपनी नाराजगी का कारण स्पष्ट नहीं किया है।
मेघालय में मुख्यमंत्री संगमा की राज्यपाल से मुलाकात
आठ मंत्रियों के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने तुरंत राजभवन पहुंचकर राज्यपाल सी. एच. विजयशंकर से मुलाकात की और मंत्रियों के इस्तीफे सौंपे। राजभवन से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को मौजूदा राजनीतिक स्थिति से अवगत कराया और नई कैबिनेट के गठन की प्रक्रिया पर चर्चा की। अधिकारियों ने बताया कि नए मंत्रियों को मंगलवार शाम पांच बजे शपथ दिलाई जाएगी। इसका अर्थ यह है कि सरकार के पास पहले से तैयार नामों की सूची थी, और फेरबदल की योजना पहले से तय थी।
इस्तीफा देने वाले मेघालय के प्रमुख चेहरे
इस्तीफा देने वालों में जिन नामों ने सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं, उनमें ए.एल. हेक, पॉल लिंगदोह और अम्पारीन लिंगदोह प्रमुख हैं। ये तीनों नेता लंबे समय से मेघालय की राजनीति में प्रभावशाली भूमिका निभाते रहे हैं। ए.एल. हेक एनपीपी के वरिष्ठ नेता हैं और स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। पॉल लिंगदोह और अम्पारीन लिंगदोह भी अलग-अलग विभागों में अहम पदों पर थे। इनके अलावा पांच अन्य मंत्रियों का नाम भी शामिल है, जिनकी पहचान अभी स्पष्ट रूप से सार्वजनिक नहीं की गई है।
राजनीतिक पृष्ठभूमि
मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस सरकार एनपीपी के नेतृत्व में चल रही है, जिसमें बीजेपी, युनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (यूडीपी) और अन्य छोटे दल भी सहयोगी हैं। पिछला विधानसभा चुनाव फरवरी 2023 में हुआ था, जिसमें एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी। हालांकि, बहुमत के लिए उसे अन्य दलों का समर्थन लेना पड़ा। ऐसे में इस तरह का सामूहिक इस्तीफा गठबंधन सरकार की स्थिरता पर सवाल खड़ा करता है।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
राज्य में मुख्य विपक्षी दल तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस ने इस घटनाक्रम को सरकार की असफलता करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि सरकार के भीतर लंबे समय से असंतोष पनप रहा था, जिसे मुख्यमंत्री गंभीरता से नहीं ले रहे थे। कांग्रेस नेताओं ने दावा किया है कि यह सरकार “आंतरिक खींचतान और अव्यवस्था” का शिकार रही है। तृणमूल कांग्रेस ने भी इसे “जनता से किया गया वादा तोड़ने” जैसा बताया।
आने वाले दिनों की संभावनाएं
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आठ मंत्रियों के इस्तीफे के बाद राज्य में सत्ता का गणित किस ओर जाएगा। क्या यह केवल एक सामान्य फेरबदल है या फिर किसी बड़े राजनीतिक बदलाव की शुरुआत? अगर मुख्यमंत्री संगमा नई टीम को आज शाम शपथ दिलवा देते हैं, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि सरकार के पास बहुमत बनाए रखने के लिए पर्याप्त समर्थन है। हालांकि, विपक्ष इस मौके का फायदा उठाने की कोशिश करेगा और संभव है कि अगले कुछ दिनों में अविश्वास प्रस्ताव लाने की मांग उठे।
जनता की नजरें नई कैबिनेट पर
मेघालय के लोग अब नई कैबिनेट में शामिल होने वाले चेहरों को लेकर उत्सुक हैं। राज्य में बेरोजगारी, बुनियादी ढांचे की कमी और पर्यटन क्षेत्र में सुधार जैसे अहम मुद्दे लंबे समय से लंबित हैं। ऐसे में नई टीम से उम्मीद की जा रही है कि वह विकास योजनाओं को तेजी से लागू करेगी और जनता के भरोसे को मजबूत करेगी।
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