उत्तर प्रदेश से एक चौंकाने वाला और दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक युवती ने अपनी जिंदगी के काले अध्याय की भयावह कहानी साझा की है। युवती का दावा है कि उसे एक युवक ने हिंदू नाम से फंसा कर, न केवल धार्मिक परिवर्तन के लिए मजबूर किया, बल्कि सऊदी अरब भेजकर शेखों के पास बेचने की भी कोशिश की गई। इंकार करने पर उसे गैंगरेप का शिकार बनाया गया। ये कहानी सिर्फ एक पीड़िता की नहीं, बल्कि उस व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करती है जो महिलाओं की सुरक्षा को लेकर आज भी लापरवाह दिखती है।
कैसे रची गई जालसाजी की कहानी?
युवती ने बताया कि उसकी मुलाकात 2021 में राजू राठौड़ उर्फ वसीम नाम के एक व्यक्ति से हुई थी, जिसने खुद को हिंदू बताकर दोस्ती की। धीरे-धीरे रिश्ता भावनात्मक बनता गया और भरोसा भी गहराया। लेकिन यह भरोसा जल्द ही एक जाल में तब्दील हो गया। वह उसे सऊदी अरब ले गया, जहां एयरपोर्ट पर पहली बार असलियत सामने आई।
हिंदू नाम से फंसाया –
जैसे ही युवती गाड़ी में बैठी, वसीम ने किसी को फोन करके कहा – “सामान आ चुका है।” पहले तो युवती कुछ नहीं समझ पाई, लेकिन जल्द ही उसकी आशंका सही साबित हुई – ‘वो सामान मैं थी,’ – ऐसा युवती ने खुद अपनी आपबीती में कहा।
धर्म परिवर्तन और यौन शोषण
कुछ ही घंटों के अंदर युवती को बताया गया कि उसका धर्म परिवर्तन होना है, और उसे ग्राहकों की सूची में डाल दिया गया है। यह स्पष्ट रूप से मानव तस्करी और धार्मिक जबरन परिवर्तन का गंभीर मामला है। युवती के इनकार करने पर उसे गैंगरेप का शिकार बनना पड़ा। इस घटना ने उसकी आत्मा को झकझोर कर रख दिया।
हिंदू पीड़िता की दर्दनाक वापसी –
घटनाएं जब बेकाबू हो गईं तो किसी तरह वह वापस भारत लौटी, लेकिन तब तक उसका मानसिक और शारीरिक शोषण हो चुका था। उसे छांगुर बाबा नामक एक कथित तांत्रिक के यहां रखा गया, जहां धर्म की आड़ में उसे फिर से बंदी बनाकर रखा गया। इस दौरान वह दो साल तक बाहर की दुनिया से कटी रही, और जब बाहर आई, तो उसकी जिंदगी पूरी तरह बदल चुकी थी।
कानून और पुलिस की भूमिका पर सवाल
अब सवाल उठता है कि जब यह सब हो रहा था, तब पुलिस और प्रशासन कहां थे? कैसे एक लड़की को विदेश ले जाकर उसके साथ ऐसा घिनौना व्यवहार किया गया और कोई रोक नहीं सका? युवती का बयान न केवल मानव तस्करी, फर्जी पहचान, और जबर्दस्ती धर्म परिवर्तन जैसे अपराधों को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे अपराधी आज भी कानून से ऊपर खुद को समझते हैं।
सामाजिक चेतना और सुरक्षा की जरूरत
यह मामला केवल एक पीड़िता का नहीं है, बल्कि यह देश की हजारों उन बेटियों की कहानी है जो जाल में फंसाई जाती हैं। सोशल मीडिया, दोस्ती, और पहचान की आड़ में कई बार मासूम लड़कियां ऐसे शिकंजे में आ जाती हैं जहां से निकलना उनके लिए नामुमकिन हो जाता है। जरूरत है कि हम सजग नागरिक बनें, युवाओं को जागरूक करें, और ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए मजबूत कानूनी और सामाजिक ढांचे को विकसित करें।
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