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Sat. Sep 13th, 2025

नेपाल में इस समय एक बड़ा राजनीतिक तूफान खड़ा है। Gen Z आंदोलन ने वहाँ की सियासत को पूरी तरह हिला कर रख दिया है। सत्ता से मोहभंग हुए युवाओं का गुस्सा अब सड़कों पर दिखाई दे रहा है। यही वजह है कि हर तरफ अफरा-तफरी और अराजकता का माहौल बना हुआ है। इस पूरे आंदोलन में जिस चेहरे की सबसे ज्यादा चर्चा है, वह है बालेन शाह या बालेंद्र शाह। सवाल उठ रहा है कि आखिर यह बालेन शाह कौन हैं और कैसे उन्होंने नेपाल के इस बड़े राजनीतिक आंदोलन में खुद को सबसे अलग और असरदार चेहरा बना लिया है?

नेपाल का Gen Z आंदोलन क्या है?

Gen Z आंदोलन दरअसल वहाँ के युवाओं की आवाज़ है। यह आंदोलन मुख्य रूप से उन युवा पीढ़ियों की नाराजगी को दर्शाता है, जिन्हें देश की राजनीति, भ्रष्टाचार और अव्यवस्था से मोहभंग हो चुका है।

बेरोजगारी

भ्रष्टाचार

आर्थिक अस्थिरता

राजनीतिक अस्थिरता

और सरकारी संस्थानों पर जनता का घटता भरोसा

यही वो मुद्दे हैं जिनसे तंग आकर युवाओं ने सड़कों पर उतरने का फैसला किया। इस आंदोलन का नेतृत्व किसी एक राजनीतिक दल के हाथ में नहीं है बल्कि यह युवाओं की स्वतःस्फूर्त मुहिम है। लेकिन इस बीच बालेन शाह जैसे नेताओं ने इसे दिशा और आवाज़ देने का काम किया है।

बालेन शाह कौन हैं?

बालेन शाह (पूरा नाम: बालेंद्र शाह) नेपाल के एक लोकप्रिय नेता और वर्तमान में काठमांडू महानगरपालिका के मेयर हैं। राजनीति में आने से पहले वे एक रैपर और इंजीनियर भी रह चुके हैं।

उनका जन्म 27 अप्रैल 1990 को नेपाल में हुआ।

पेशे से वे एक सिविल इंजीनियर हैं।

साथ ही वे संगीत और रैप की दुनिया में भी लोकप्रिय रहे हैं।

बालेन शाह ने राजनीति में कदम रखते ही युवाओं के बीच अपनी खास पहचान बना ली। उनके सीधे और बेबाक अंदाज ने उन्हें तेजी से लोकप्रिय बना दिया।

Gen Z के बीच क्यों लोकप्रिय हैं बालेन शाह?

बालेन शाह की लोकप्रियता के पीछे कई कारण हैं:

  1. बेबाक अंदाज़ – वे राजनीति में आने के बाद भी बिल्कुल साफगोई से अपनी बात रखते हैं। भ्रष्टाचार और बेइमानी के खिलाफ उनकी आवाज़ खुलकर सामने आती है।
  2. युवाओं का प्रतीक – चूंकि वे खुद नई पीढ़ी से आते हैं, इसलिए युवाओं की समस्याओं को बेहतर समझते हैं। वे उनकी भाषा बोलते हैं और उनके मुद्दों पर सीधे बात करते हैं।
  3. रचनात्मक छवि – बालेन शाह सिर्फ नेता नहीं बल्कि कलाकार भी रहे हैं। रैप गानों के ज़रिए उन्होंने युवाओं से जुड़ाव बनाया। यही वजह है कि युवा उन्हें अपना “प्रतिनिधि” मानते हैं।
  4. ईमानदारी की छवि – राजनीति में अक्सर नेताओं पर भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद के आरोप लगते हैं, लेकिन बालेन शाह की छवि अब तक साफ रही है।

आंदोलन में बालेन शाह की भूमिका

आज नेपाल का Gen Z आंदोलन जिस बुलंदियों पर है, उसमें बालेन शाह की भूमिका अहम मानी जा रही है। युवाओं का कहना है कि पारंपरिक दलों ने उन्हें केवल निराशा दी है। अब वे एक ऐसा नेतृत्व चाहते हैं, जो न सिर्फ उनकी बात सुने बल्कि उनके मुद्दों को हल करने की क्षमता भी रखता हो।

बालेन शाह इस आंदोलन का चेहरा बन चुके हैं। युवा उन पर भरोसा कर रहे हैं और चाहते हैं कि उन्हें ज्यादा राजनीतिक ताकत दी जाए। यही वजह है कि आंदोलनकारियों के बीच यह मांग उठ रही है कि सत्ता बालेन शाह जैसे नेताओं के हाथ में दी जानी चाहिए।

नेपाल की सियासत पर असर

Gen Z आंदोलन और बालेन शाह की बढ़ती लोकप्रियता ने नेपाल की राजनीति को हिला दिया है। पारंपरिक राजनीतिक दलों की जड़ें अब कमजोर पड़ती दिखाई दे रही हैं।

एक तरफ सरकार आंदोलन को दबाने की कोशिश कर रही है।

दूसरी ओर युवा किसी भी कीमत पर पीछे हटने को तैयार नहीं।

अगर यह आंदोलन और तेज़ हुआ, तो यह नेपाल की राजनीति में नई दिशा और नए नेतृत्व की शुरुआत बन सकता है।

चुनौतियाँ क्या हैं?

हालांकि, बालेन शाह और इस आंदोलन के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ भी हैं:

  1. संगठन की कमी – यह आंदोलन युवा केंद्रित है लेकिन इसमें संगठित राजनीतिक ढांचा नहीं है। बिना संगठन के लंबे समय तक टिकना मुश्किल हो सकता है।
  2. राजनीतिक विरोध – पारंपरिक दल कभी नहीं चाहेंगे कि कोई नया चेहरा उनकी सत्ता को चुनौती दे। इसलिए बालेन शाह को भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
  3. व्यवहारिक राजनीति – आंदोलन और धरना देना अलग बात है, लेकिन देश को चलाना और नीतियाँ बनाना कहीं ज्यादा कठिन है। युवाओं की उम्मीदों पर खरा उतरना आसान नहीं होगा।

भविष्य की तस्वीर

नेपाल का यह आंदोलन और बालेन शाह का उभार इस बात की ओर इशारा करता है कि अब वहाँ की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आने वाला है। जिस तरह भारत में कभी युवा नेताओं ने राजनीति में नई सोच और ऊर्जा लाई थी, वैसा ही अब नेपाल में भी होता दिख रहा है।

अगर बालेन शाह जैसे नेताओं को आगे बढ़ने का मौका मिलता है, तो संभव है कि नेपाल की राजनीति में:

पारदर्शिता बढ़े

भ्रष्टाचार कम हो

और युवाओं को ज्यादा प्रतिनिधित्व मिले

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