पहलवान घाटी में हुए आतंकी हमले और उसके बाद जारी ऑपरेशन सिंधूर की गूँज अभी थमी भी नहीं थी कि भारत और पाकिस्तान के बीच खेले जाने वाले एशिया कप क्रिकेट मैच ने देश की राजनीति को गर्मा दिया। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखे सवाल उठाए हैं कि जब देश के सैनिक सीमाओं पर अपनी जान दे रहे हैं तो पाकिस्तान से क्रिकेट खेलना क्या राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान नहीं है?
इस विवाद ने राजनीतिक गलियारों से लेकर सोशल मीडिया तक आग लगा दी है। विपक्षी दल लगातार कह रहे हैं कि “खून और क्रिकेट साथ-साथ नहीं बह सकते”, लेकिन सरकार और बीसीसीआई बहुपक्षीय टूर्नामेंट का हवाला देकर अपने फैसले का बचाव कर रही है।
खून और क्रिकेट- अरविंद केजरीवाल का तीखा सवाल
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे सवाल पूछे। उन्होंने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि, “पूरा देश कह रहा है कि ये मैच नहीं होना चाहिए। फिर ये मैच क्यों करवाया जा रहा है? क्या ये भी ट्रंप के दबाव में किया जा रहा है? आखिर पाकिस्तान के आगे कितनी बार झुकेंगे?”
उन्होंने शहीद शुभम द्विवेदी की पत्नी के बयान का हवाला देते हुए कहा कि जब जवानों की शहादत ताज़ा है, तब पाकिस्तान के साथ खेलना कैसी देशभक्ति है?
खून और क्रिकेट – उद्धव ठाकरे का हमला
शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी मुंबई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर भाजपा पर हमला बोला। उन्होंने कहा, “क्या सरकार ने ऑपरेशन सिंधूर को खत्म कर दिया है? जब हमारे सैनिक सीमाओं पर बलिदान दे रहे हैं तो हमें पाकिस्तान से क्रिकेट क्यों खेलना चाहिए?”
ठाकरे ने लोगों से मैच न देखने की अपील की और इसे राष्ट्रीय भावनाओं का अपमान बताया। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी रविवार को सड़कों पर उतरकर मैच के खिलाफ प्रदर्शन करेगी। शिवसेना कार्यकर्ता सिनेमाघरों और रेस्टोरेंट्स में जाकर मैच प्रसारण का भी विरोध करेंगे।
खून और क्रिकेट – तृणमूल कांग्रेस की प्रतिक्रिया
टीएमसी की वरिष्ठ सांसद महुआ मोइत्रा ने भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा, “खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते लेकिन खून और क्रिकेट को एक साथ बहाया जा रहा है। खासकर तब, जब भाजपा नेताओं के बेटों का भविष्य इसी मैच के नतीजों पर निर्भर हो।”
महुआ ने कहा कि वह सर्वश्रेष्ठ टीम की जीत की कामना करती हैं, लेकिन सरकार को यह सोचना चाहिए कि शहीदों के परिवारों पर इसका क्या असर होगा।
कांग्रेस और विपक्ष का मोर्चा
कांग्रेस ने भी सरकार को घेरते हुए कहा कि पाकिस्तान से मैच कराना शहीदों का अपमान है। कांग्रेस की सोशल मीडिया प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि सरकार आतंकियों से लड़ाई का दावा करती है लेकिन पाकिस्तान से क्रिकेट खेलती है। उन्होंने सवाल किया कि “आखिर किस मजबूरी में बीसीसीआई और सरकार ने इस मैच के लिए हरी झंडी दी?”
वहीं, कई विपक्षी दलों जैसे आईएनडीआईए गठबंधन की पार्टियों ने भी एक सुर में इस मैच का विरोध किया और इसे देश की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करार दिया।
खून और क्रिकेट – रेस्टोरेंट्स और क्लबों को चेतावनी
आप और शिवसेना यूबीटी ने राजधानी दिल्ली और मुंबई के रेस्टोरेंट्स व क्लबों को चेतावनी दी कि वे भारत-पाक मैच का प्रसारण न करें। साथ ही विपक्षी दलों ने सोशल मीडिया पर भी बड़े पैमाने पर बहिष्कार अभियान छेड़ दिया है।
भाजपा का जवाब
विपक्ष के तीखे हमलों के बीच भाजपा और उसके नेताओं ने बचाव करते हुए कहा कि भारत-पाक मैच कोई द्विपक्षीय सीरीज़ नहीं बल्कि एशिया कप का हिस्सा है, जो एक बहुपक्षीय टूर्नामेंट है। खेल मंत्री और भाजपा नेता अनुराग ठाकुर ने कहा कि सरकार का इस पर सीधा नियंत्रण नहीं है क्योंकि यह टूर्नामेंट आईसीसी और एशियन क्रिकेट काउंसिल के अंतर्गत होता है।
हालांकि विपक्षी दलों का कहना है कि चाहे टूर्नामेंट बहुपक्षीय हो, लेकिन सरकार चाहती तो बीसीसीआई को रोक सकती थी।
सोशल मीडिया पर गुस्सा
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी इस मुद्दे ने माहौल गरमा दिया है। #BoycottIndPakMatch और #ShahidKoNyay जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। कई यूजर्स ने लिखा कि जब हमारे जवान सीमा पर बलिदान दे रहे हैं तो पाकिस्तान के साथ खेलकर मनोरंजन करना शहीदों के लहू का अपमान है।
खून और क्रिकेट पर विवाद क्यों बड़ा?
- पहलवान आतंकी हमला – हाल ही में हुए आतंकी हमले में कई सैनिक शहीद हुए।
- ऑपरेशन सिंधूर – भारतीय सेना पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ कड़ा अभियान चला रही है।
- भावनात्मक माहौल – शहीदों के परिजन और जनता पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोशित हैं।
- राजनीतिक माहौल – विपक्ष इसे भाजपा की “देशभक्ति की राजनीति” करार दे रहा है।
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