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Wed. Jul 23rd, 2025

भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा अचानक पद से इस्तीफा देना राजनीतिक हलकों में बड़ा सवाल बन गया है। जब उन्होंने 12 दिन पहले ही कहा था कि वे अगस्त 2027 में रिटायर होंगे, तो अब अचानक स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर उनका पद छोड़ देना चौंकाने वाला है। हालांकि स्वास्थ्य कारणों को सार्वजनिक तौर पर मुख्य वजह बताया गया है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इस इस्तीफे के पीछे तीन प्रमुख थ्योरीज़ चर्चा में हैं। आइए इस पूरे घटनाक्रम का विश्लेषण करते हैं।

धनखड़ का स्वास्थ्य कारण: सच्चाई या बहाना?

धनखड़ के इस्तीफे का आधिकारिक कारण उनके स्वास्थ्य को बताया गया है। उनके करीबियों का कहना है कि वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे और डॉक्टरों ने उन्हें आराम की सलाह दी थी। हालांकि, कई विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर यह वजह इतनी गंभीर होती तो कुछ सप्ताह पहले ही इसका संकेत मिल जाता। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या स्वास्थ्य कारण केवल एक ‘कवर स्टोरी’ है या इसके पीछे कुछ और छिपा है?

राजनीतिक असहमति और दबाव

दूसरी प्रमुख थ्योरी यह है कि धनखड़ का इस्तीफा किसी राजनीतिक असहमति का परिणाम है। उपराष्ट्रपति का कार्यभार राज्यसभा का सभापति होने के नाते संसद में बेहद अहम होता है। बताया जा रहा है कि हाल ही में धनखड़ और सरकार के कुछ वरिष्ठ नेताओं के बीच कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद उभरकर सामने आए थे। कई लोग मानते हैं कि धनखड़ अपने पद की गरिमा और स्वतंत्रता के साथ काम करना चाहते थे, जो शायद सत्ता पक्ष को स्वीकार नहीं था। ऐसे में यह इस्तीफा एक प्रकार का ‘साइलेंट प्रोटेस्ट’ भी माना जा रहा है।

धनखड़ की नए दायित्व की तैयारी

तीसरी सबसे चर्चित थ्योरी यह है कि धनखड़ को किसी नए और बड़े राजनीतिक दायित्व की जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है। 2024 के आम चुनावों में भाजपा को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है और सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार चल रही है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह किसी वरिष्ठ और स्वीकार्य चेहरे को किसी संवैधानिक या रणनीतिक भूमिका में लाना चाहते हैं। यह भी संभव है कि धनखड़ को अगले राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी के लिए ‘फ्री’ किया गया हो। उनकी साफ छवि और किसानों से जुड़े मुद्दों पर पकड़ को देखते हुए उन्हें किसी राज्य का राज्यपाल या किसी अंतरराष्ट्रीय पद पर भेजा जा सकता है।

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