बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर और किरण खेर इन दिनों एक बार फिर सुर्खियों में हैं। कारण है फिल्म ‘तन्वी: द ग्रेट’ जिसका प्रीमियर हाल ही में आयोजित किया गया। इस मौके पर अनुपम खेर अपनी पत्नी किरण खेर के साथ पहुंचे। लेकिन इस कार्यक्रम के दौरान एक भावनात्मक क्षण तब आया जब अनुपम खेर को अपनी पत्नी को संभालते देखा गया। किरण की हालत देखकर अनुपम बेहद चिंतित नजर आए, और मीडिया की नजरें उस भावुक पल को कैद करने से पीछे नहीं हटीं।
फिल्म की कहानी क्या है?
‘तन्वी: द ग्रेट’ एक 21 वर्षीय लड़की तन्वी की कहानी है, जो ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर से ग्रसित है। फिल्म की कहानी उसके आत्मविश्वास, संघर्ष, और सामाजिक स्वीकृति की दिशा में उसकी यात्रा पर केंद्रित है। यह फिल्म न सिर्फ मनोरंजन करती है, बल्कि एक मजबूत सामाजिक संदेश भी देती है कि मानसिक और न्यूरोलॉजिकल विकारों से जूझ रहे लोग भी ‘महान’ बन सकते हैं – अगर उन्हें सही समर्थन और समझ मिले।
तन्वी का किरदार निभाया है अभिनेत्री शुभांगी दत्त ने, जिन्होंने अपनी दमदार एक्टिंग से दर्शकों का दिल जीत लिया। अनुपम खेर फिल्म में उसके कोच की भूमिका निभा रहे हैं जो उसे उसके भीतर छिपे टैलेंट को पहचानने और दुनिया के सामने लाने के लिए प्रेरित करता है।
क्यों खास है ये फिल्म?
भारत में ऑटिज्म जैसे विषयों पर फिल्में बनना दुर्लभ है। आमतौर पर ये विषय सामाजिक जागरूकता तक ही सीमित रहते हैं, लेकिन ‘तन्वी: द ग्रेट’ ने इसे एक मजबूत सिनेमाई अभिव्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया है। फिल्म संवेदनशीलता, करुणा और इंसानियत का एक बेहतरीन उदाहरण है।
यह फिल्म दिखाती है कि समाज की ओर से मिलने वाली सहानुभूति से कहीं ज्यादा जरूरी है – स्वीकृति और बराबरी का भाव। फिल्म कई बार दर्शकों को भावुक करती है, खासकर उन पलों में जब तन्वी समाज की बाधाओं के बीच अपनी पहचान बनाने की कोशिश करती है।
अनुपम खेर और किरण खेर की झलक
फिल्म के प्रीमियर के दौरान अनुपम खेर जहां मीडिया और प्रशंसकों से मुस्कुरा कर मिले, वहीं किरण खेर कुछ अस्वस्थ नजर आईं। अनुपम खेर उन्हें लगातार संभालते दिखे। यह दृश्य कई दर्शकों और फैंस के लिए भावुक कर देने वाला था। फिल्मी दुनिया में जहां ग्लैमर और शो ऑफ ज्यादा दिखता है, वहां अनुपम खेर का अपनी पत्नी के प्रति यह स्नेह और चिंता एक अलग मानवीय छवि प्रस्तुत करता है।
सामाजिक प्रभाव
‘तन्वी: द ग्रेट’ न सिर्फ एक फिल्म है, बल्कि यह एक सामाजिक पहल की तरह भी देखी जा रही है। भारत में ऑटिज्म और अन्य न्यूरोलॉजिकल स्थितियों को लेकर अब भी बहुत अधिक जानकारी का अभाव है। यह फिल्म लोगों को जागरूक करने, मिथकों को तोड़ने और समाज में समावेशी सोच को बढ़ावा देने का काम कर सकती
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