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Wed. Jul 23rd, 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही ब्रिटेन के ऐतिहासिक दौरे पर जाने वाले हैं, जहां भारत और ब्रिटेन के बीच लंबे समय से लंबित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर आखिरी मोहर लग सकती है। तीन सालों की कूटनीतिक बातचीत और कई दौर की बैठकों के बाद अब जाकर यह समझौता फाइनल स्टेज पर पहुंचा है। इस दौरे को आर्थिक, राजनीतिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम माना जा रहा है।

भारत और ब्रिटेन के बीच समझौते की पृष्ठभूमि

भारत और ब्रिटेन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की बातचीत की शुरुआत जनवरी 2022 में हुई थी। कोविड महामारी और ब्रेक्जिट के बाद वैश्विक अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के प्रयासों में यह समझौता दोनों देशों के लिए बेहद जरूरी बन गया था। ब्रिटेन, जो अब यूरोपीय यूनियन से बाहर है, उसे नए व्यापारिक साझेदारों की जरूरत है। वहीं भारत, अपनी निर्यात नीति को मजबूती देने के लिए पश्चिमी देशों से मुक्त व्यापार समझौते की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है।

पीएम मोदी का ब्रिटेन दौरा क्यों महत्वपूर्ण?

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा प्रतीकात्मक के साथ-साथ ठोस आर्थिक परिणामों से भरपूर हो सकता है। यह केवल एक राजनयिक यात्रा नहीं, बल्कि ‘विकास और वाणिज्य की साझेदारी’ को अगले स्तर तक ले जाने का मंच है। माना जा रहा है कि इस दौरे के दौरान कई सेक्टर्स में समझौते किए जाएंगे, जिनमें वित्त, शिक्षा, रक्षा, फार्मा, टेक्नोलॉजी और मैन्युफैक्चरिंग शामिल हैं।

फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के संभावित फायदे:

  1. निर्यात को मिलेगा बढ़ावा: भारत से ब्रिटेन को कपड़े, चाय, हीरे, ज्वेलरी, दवाइयां और IT सेवाओं का निर्यात तेजी से बढ़ेगा। टैक्स में छूट से भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा क्षमता बढ़ेगी।
  2. नौकरी के अवसर: ब्रिटेन की कंपनियों के भारत में निवेश बढ़ने से रोजगार के नए अवसर बनेंगे, खासकर स्टार्टअप और टेक्नोलॉजी सेक्टर में।
  3. शिक्षा और वीज़ा सुविधाएं: भारतीय छात्रों के लिए U.K. में पढ़ाई और काम के वीजा नियमों में नरमी आ सकती है, जिससे शिक्षा क्षेत्र को नया प्रोत्साहन मिलेगा।
  4. ब्रिटिश निवेश को बढ़ावा: रक्षा और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में ब्रिटेन का भारत में निवेश बढ़ने की पूरी संभावना है।

संभावित नुकसान और चुनौतियां:

  1. घरेलू उद्योगों पर दबाव: फ्री ट्रेड समझौते के तहत ब्रिटेन से सस्ते उत्पाद भारत में आ सकते हैं, जिससे छोटे घरेलू उद्योगों पर प्रभाव पड़ सकता है।
  2. फार्मा और पेटेंट मुद्दे: भारत की जेनेरिक दवा कंपनियों और ब्रिटेन की पेटेंट आधारित फार्मा इंडस्ट्री के बीच टकराव संभव है।
  3. डोमेस्टिक टैक्स लॉस: कस्टम ड्यूटी में छूट से सरकार को राजस्व का नुकसान हो सकता है।

राजनीतिक महत्व

यह दौरा भारत के वैश्विक कद को और ऊंचा करने की रणनीति का हिस्सा भी है। ब्रेक्जिट के बाद ब्रिटेन नए साझेदार ढूंढ रहा है और भारत एक मजबूत विकल्प बनकर उभरा है। इस समझौते के ज़रिए पीएम मोदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को ‘ग्लोबल ट्रेड लीडर’ के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं।

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