हाल ही में एक बयान में NATO प्रमुख ने रूस के साथ व्यापारिक संबंध रखने वाले देशों को चेतावनी दी, जिसमें भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों को भी परोक्ष रूप से निशाने पर लिया गया। NATO प्रमुख का कहना था कि यदि आप बीजिंग, दिल्ली या ब्राजील में हैं, तो आपको रूस के साथ अपने संबंधों को लेकर गंभीरता दिखानी चाहिए, अन्यथा इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। इस पर भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए दो टूक जवाब दिया और NATO की दोहरी नीतियों को आड़े हाथों लिया।
NATO को भारत का स्पष्ट रुख
भारत ने कहा है कि वह स्वतंत्र और आत्मनिर्भर विदेश नीति का पालन करता है, और किसी भी देश या संगठन के दबाव में आकर अपनी नीति नहीं बदलेगा। भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह रूस के साथ अपने ऐतिहासिक संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को जारी रखेगा, खासकर ऊर्जा और रक्षा के क्षेत्र में।
डबल स्टैंडर्ड पर सवाल
भारत ने NATO के “डबल स्टैंडर्ड” पर भी सवाल उठाए हैं। एक ओर NATO देश खुद रूस से व्यापारिक संपर्क बनाए रखते हैं, विशेष रूप से ऊर्जा के क्षेत्र में, तो दूसरी ओर वे अन्य देशों को ऐसा करने से रोकना चाहते हैं। भारत ने इसे पाखंड करार देते हुए कहा कि यह रवैया स्वीकार्य नहीं है। किसी भी देश को अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने का पूरा अधिकार है।
NATO पर वैश्विक दक्षिण की भूमिका
भारत का यह बयान न केवल स्वयं के लिए, बल्कि पूरे वैश्विक दक्षिण (Global South) के लिए एक मजबूत संदेश है। भारत ने यह भी संकेत दिया है कि वैश्विक राजनीति अब केवल पश्चिमी देशों के अनुसार नहीं चलेगी। एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के देश अब अपनी स्वतंत्र आवाज उठा रहे हैं और बहुध्रुवीय विश्व की ओर बढ़ रहे हैं।
रूस से व्यापार: भारत का नजरिया
रूस भारत का एक प्रमुख ऊर्जा और रक्षा साझेदार रहा है। वर्तमान भू-राजनीतिक परिस्थिति में भारत रूस से कच्चे तेल की खरीद कर रहा है, जिससे भारत को आर्थिक रूप से भी फायदा हुआ है। इसके अलावा, रूस भारत को कई रक्षा उपकरण और तकनीक भी प्रदान करता है जो भारत की सामरिक शक्ति को मजबूत बनाते हैं।
भारत का मानना है कि ऊर्जा की सुरक्षा और रक्षा जरूरतों के लिए वह कोई भी फैसला स्वतंत्र रूप से करेगा और उस पर बाहरी दबाव नहीं झेलेगा। इसी सिद्धांत पर भारत ने रूसी व्यापार पर NATO की धमकी को सिरे से खारिज किया।
शांति की वकालत
भारत ने यह भी कहा है कि वह हमेशा शांति और संवाद का पक्षधर रहा है। भारत का मानना है कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है और सभी पक्षों को मिलकर समाधान की दिशा में काम करना चाहिए। भारत ने NATO को सलाह दी कि वह रूस के साथ सीधा संवाद करे और वैश्विक तनाव को बढ़ाने से बचे।
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