भारत के लिए अंतरिक्ष विज्ञान का क्षेत्र हमेशा से गर्व और उम्मीदों का विषय रहा है। हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान कार्यक्रम ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। भारतीय वायुसेना के पायलट शुभांशु शुक्ला की अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) से सफल वापसी ने न केवल भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है, बल्कि गगनयान मिशन के लिए भी यह अनुभव बेहद महत्वपूर्ण साबित हुआ है।
ISS पर 18 दिन का ऐतिहासिक प्रवास
शुभांशु शुक्ला का ISS पर 18 दिन का प्रवास भारत की ओर से किसी भी अंतरिक्ष यात्री का अब तक का सबसे लंबा और महत्वपूर्ण प्रवास था। इस मिशन के तहत शुभांशु ने न केवल अंतरिक्ष में रहने की कठिन परिस्थितियों को अनुभव किया, बल्कि उन्होंने वहां किए गए वैज्ञानिक प्रयोगों और स्पेस स्टेशन की तकनीकी प्रक्रिया को भी निकटता से जाना।
गगनयान मिशन के लिए क्यों है यह अनुभव अहम
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन है, जिसे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) आने वाले वर्षों में लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। यह मिशन पूरी तरह स्वदेशी तकनीक पर आधारित होगा और इसमें भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा।
इस मिशन की सफलता के लिए जरूरी है कि अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष के कठिन वातावरण में मानसिक और शारीरिक रूप से पूरी तरह सक्षम हों। शुभांशु की यह यात्रा गगनयान मिशन के ट्रेनिंग प्रोटोकॉल की एक व्यावहारिक परीक्षा थी। एयर वाइस मार्शल अनुपम अग्रवाल के अनुसार, इस मिशन ने यह सिद्ध कर दिया कि भारत के अंतरिक्ष यात्री कठिन अंतरिक्ष स्थितियों में प्रभावी रूप से कार्य कर सकते हैं।
वैज्ञानिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से ISS के लाभ
ISS मिशन के दौरान शुभांशु ने कई बायोमेडिकल, माइक्रोग्रैविटी और स्पेस एनवायरनमेंट संबंधित प्रयोगों में भाग लिया। इन प्रयोगों से प्राप्त जानकारी न केवल भारत की वैज्ञानिक समझ को बढ़ाएगी, बल्कि आने वाले मिशनों की योजना में भी मार्गदर्शन करेगी।
साथ ही, भारत की यह भागीदारी अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष सहयोग की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। NASA, SpaceX और अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के साथ इस प्रकार की साझेदारी से भारत को तकनीकी और अनुसंधान सहयोग में बड़ी मदद मिलेगी।
वैश्विक मंच पर भारत की मजबूत उपस्थिति
शुभांशु की इस ऐतिहासिक उड़ान ने यह भी साबित किया है कि भारत अब अंतरिक्ष विज्ञान में केवल एक अनुवर्ती राष्ट्र नहीं, बल्कि एक नेतृत्वकर्ता बनने की ओर अग्रसर है। यह मिशन भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा और देश में विज्ञान एवं तकनीक के प्रति रुचि को और बढ़ावा देगा।
यह भी पढ़ें- 9 दिनों के लिए बढ़ा मॉनसून सत्र: सरकार पेश करेगी 8 अहम विधेयक, इनकम टैक्स बिल भी एजेंडे में