Loading...
Tue. Oct 14th, 2025

अमेरिका ने हाल ही में H-1B वीज़ा से जुड़े एक नए शुल्क का ऐलान किया है, जिसने वहां काम कर रहे विदेशी पेशेवरों और भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच चिंता बढ़ा दी है। नई नीति के मुताबिक, अमेरिका में नौकरी करने के इच्छुक नए उम्मीदवारों को अब एकमुश्त 100,000 डॉलर (करीब 83 लाख रुपये) का शुल्क देना होगा। हालांकि, इस शुल्क को लेकर कई तरह की अफवाहें और गलतफहमियां भी फैल गई हैं।
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव ने स्पष्ट किया है कि यह नियम किस पर लागू होगा, और किन लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं है। आइए विस्तार से समझें कि नया शुल्क किन परिस्थितियों में लागू होगा और इसका क्या असर पड़ेगा।

H-1B नया शुल्क वार्षिक नहीं, बल्कि एकमुश्

सबसे पहले यह समझना जरूरी है कि यह कोई सालाना (Annual) शुल्क नहीं है।

यह केवल एकमुश्त (one-time) फीस है, जो उन लोगों से ली जाएगी जो पहली बार H-1B वीज़ा के लिए आवेदन कर रहे हैं।

यानी हर साल यह शुल्क चुकाने की जरूरत नहीं है।

यदि आपने एक बार वीज़ा लिया है और उसका समय अभी समाप्त नहीं हुआ है, तो आप पर यह नया शुल्क नहीं लगेगा।

यह स्पष्टीकरण इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सोशल मीडिया पर अफवाहें थीं कि मौजूदा H-1B वीज़ा धारकों को भी हर साल यह शुल्क देना होगा। व्हाइट हाउस ने इसे सिरे से खारिज किया।

H-1B में मौजूदा वीज़ा धारकों पर कोई असर नहीं

यदि आप पहले से ही H-1B वीज़ा पर अमेरिका में काम कर रहे हैं, तो आपको इस नए शुल्क को लेकर चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं है।

आप अमेरिका में रहते हुए सामान्य रूप से अपनी नौकरी जारी रख सकते हैं।

यदि आप देश से बाहर छुट्टी पर जाते हैं और फिर लौटते हैं, तो भी आपसे $100,000 की फीस दोबारा नहीं ली जाएगी।

यहां तक कि अगर आपके पास H-1B वीज़ा है और वह अभी वैध है, तो उसका रिन्यूअल (renewal) कराने पर भी यह शुल्क लागू नहीं होगा।

सरकार का कहना है कि यह नियम केवल नए आवेदन करने वालों पर लागू होगा, न कि उन पर जिनके पास पहले से ही वैध वीज़ा है।

सिर्फ नए आवेदकों पर लागू

सबसे बड़ा और स्पष्ट बिंदु यह है कि यह शुल्क सिर्फ नए आवेदकों पर लागू होगा।

जिन लोग पहली बार H-1B वीज़ा के लिए आवेदन कर रहे हैं, उन्हें यह शुल्क भरना होगा।

वीज़ा के रिन्यूअल (extension) या पहले से जारी H-1B वीज़ा में बदलाव कराने पर यह फीस नहीं देनी पड़ेगी।

अगर कोई आवेदक अपने वीज़ा आवेदन पर अपील करता है, तो भी उसे यह शुल्क देना होगा।

इसका सीधा मतलब यह है कि मौजूदा भारतीय पेशेवर, जो पहले से अमेरिका में काम कर रहे हैं, उन पर कोई वित्तीय बोझ नहीं डाला जाएगा।

H-1B वीज़ा: भारतीय पेशेवरों के लिए क्या मायने रखता है

H-1B वीज़ा अमेरिका में उच्च कौशल वाले विदेशी पेशेवरों को नौकरी का अवसर प्रदान करने का एक महत्वपूर्ण साधन है।

हर साल लाखों लोग H-1B के लिए आवेदन करते हैं, जिसमें सबसे ज्यादा संख्या भारतीय आईटी और टेक सेक्टर के पेशेवरों की होती है।

अमेरिकी कंपनियां इस वीज़ा के माध्यम से विदेशी टैलेंट को छह साल तक काम पर रख सकती हैं।

वर्तमान में भारत से आने वाले इंजीनियर, डॉक्टर, वैज्ञानिक और आईटी विशेषज्ञ इस वीज़ा का सबसे अधिक उपयोग करते हैं।

नया शुल्क सीधे तौर पर उन भारतीय युवाओं को प्रभावित करेगा जो अमेरिका जाकर अपना करियर बनाना चाहते हैं। खासकर आईटी सेक्टर के लिए यह चिंता का विषय है क्योंकि कंपनियां अतिरिक्त लागत के कारण नए आवेदकों को कम भर्ती कर सकती हैं।

नई नीति के संभावित प्रभाव

  1. भारतीय आईटी कंपनियों पर असर

भारत की बड़ी आईटी कंपनियां जैसे इंफोसिस, टीसीएस, विप्रो और टेक महिंद्रा हर साल हजारों कर्मचारियों को H-1B वीज़ा पर अमेरिका भेजती हैं।

100,000 डॉलर का यह अतिरिक्त शुल्क कंपनियों की लागत बढ़ा सकता है।

इससे कंपनियां अमेरिका में नए लोगों की भर्ती करने से पहले दो बार सोचेंगी।

  1. स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों के लिए मुश्किल

अमेरिकी स्टार्टअप्स, जो अक्सर विदेशी प्रतिभा पर निर्भर रहते हैं, उनके लिए यह शुल्क एक बड़ी चुनौती बन सकता है।

छोटी कंपनियां इतनी भारी फीस वहन करने में सक्षम नहीं होंगी, जिससे उनकी भर्ती प्रक्रिया पर असर पड़ेगा।

  1. विदेशी प्रतिभा का प्रवाह धीमा हो सकता है

नया शुल्क दुनिया भर के पेशेवरों को अमेरिका में नौकरी करने से हतोत्साहित कर सकता है।

भारतीय पेशेवर, जो पहले से ही इस वीज़ा के लिए प्रमुख आवेदक हैं, वैकल्पिक देशों जैसे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूरोपीय देशों की ओर रुख कर सकते हैं।

व्हाइट हाउस का तर्क

अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि इस नए शुल्क का उद्देश्य देश में स्थानीय रोजगार को प्राथमिकता देना है।

सरकार का मानना है कि भारी शुल्क विदेशी पेशेवरों की संख्या को नियंत्रित करेगा और स्थानीय अमेरिकी नागरिकों को अधिक रोजगार अवसर देगा।

साथ ही, इस शुल्क से मिलने वाली राशि को अमेरिका की इमिग्रेशन और रोजगार निगरानी व्यवस्था को मजबूत करने में खर्च किया जाएगा।

भारतीय सरकार और उद्योग का रुख

भारत सरकार ने अमेरिका के इस कदम पर चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यह निर्णय भारतीय पेशेवरों और आईटी कंपनियों को प्रभावित कर सकता है।

भारत ने इस मामले को व्यापार वार्ता और कूटनीतिक चैनलों के जरिए अमेरिका के सामने उठाने की योजना बनाई है।

आईटी उद्योग संगठनों ने भी कहा है कि यह नियम भारतीय पेशेवरों की अमेरिका में बढ़ती उपस्थिति को बाधित कर सकता है।

H-1B वीज़ा शुल्क का सार तीन मुख्य बिंदुओं में

अमेरिकी प्रशासन ने जिन तीन प्रमुख बातों पर जोर दिया है, वे हैं:

  1. एकमुश्त शुल्क: यह वार्षिक शुल्क नहीं है, केवल नए आवेदन या अपील करने वालों पर लागू होगा।
  2. पुराने वीज़ा धारक सुरक्षित: पहले से H-1B वीज़ा रखने वालों को, चाहे वे देश से बाहर जाएं और वापस आएं, कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होगा।
  3. सिर्फ नए आवेदन पर असर: वीज़ा का रिन्यूअल या पहले से मंजूर वीज़ा में कोई बदलाव कराने वालों से यह शुल्क नहीं लिया जाएगा।

यह भी पढ़ें –21 सितंबर की सुबह की 10 बड़ी खबरें — ताज़ा अपडेट

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *