मेरठ में हाल ही में सामने आए कथित लव ट्रैप मामले ने पूरे प्रदेश को चौंका दिया है। पुलिस जांच में अब ऐसे कई तथ्य सामने आए हैं, जो इस प्रकरण को और भी गंभीर बनाते हैं। पुलिस ने इस मामले में दो आरोपियों—फिरोज और कासिम—को गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि ये दोनों सोशल मीडिया पर मुस्लिम महिलाओं और छात्राओं के भ्रामक वीडियो और फोटो डालकर अफवाह फैलाने और समाज में तनाव पैदा करने का काम कर रहे थे।
भीड़भाड़ वाले इलाकों में चोरी-छिपे वीडियो बनाते थे आरोपी – मेरठ
पुलिस की शुरुआती जांच के मुताबिक, फिरोज और कासिम भीड़भाड़ वाले इलाकों में चोरी-छिपे वीडियो बनाते थे। बाद में वे इन वीडियो और तस्वीरों को झूठे और भ्रामक संदेशों के साथ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर देते। इन पोस्ट का मकसद लोगों के बीच गलतफहमियां फैलाना और सामाजिक सौहार्द बिगाड़ना बताया जा रहा है।
ऐसे वीडियो और तस्वीरें आम लोगों में जल्दी वायरल हो जाती हैं और समाज में अफवाहों और तनाव का माहौल पैदा कर सकती हैं। यही वजह है कि पुलिस इस मामले को बेहद गंभीरता से देख रही है।
मेरठ पुलिस पूछताछ में बड़ा खुलासा: विदेशी फंडिंग
पुलिस की पूछताछ में जो सबसे चौंकाने वाला पहलू सामने आया है, वह है विदेशी फंडिंग का मामला। पुलिस का कहना है कि दोनों आरोपियों ने पूछताछ के दौरान स्वीकार किया है कि उन्हें बाहर से पैसे भेजे जा रहे थे। इन पैसों का इस्तेमाल वे अपने गैरकानूनी काम को अंजाम देने के लिए कर रहे थे।
हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह फंडिंग किन देशों से आ रही थी और इसके पीछे असली मकसद क्या था। पुलिस इस पूरे नेटवर्क को समझने के लिए गहन जांच कर रही है।
मोबाइल फोन से मिले अहम सबूत
पुलिस ने जब फिरोज का मोबाइल खंगाला, तो उसमें चार और छात्राओं के वीडियो मिले। ये वीडियो भी संदिग्ध माने जा रहे हैं। पुलिस अब इन वीडियो की फॉरेंसिक जांच कर रही है ताकि पता चल सके कि इन्हें कहां और कब बनाया गया था और क्या इन्हें सोशल मीडिया पर पहले ही अपलोड किया गया है या नहीं।
इसके अलावा, दोनों आरोपियों के मोबाइल को फॉरेंसिक लैब भेजा जा रहा है। तकनीकी जांच से पुलिस को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि उनके मोबाइल से किन-किन लोगों से संपर्क था, किन प्लेटफॉर्म पर वीडियो पोस्ट किए गए और विदेशी फंडिंग से जुड़ी कोई डिजिटल ट्रेल मौजूद है या नहीं।
पुलिस की तेज़ जांच और आगे की कार्रवाई
मेरठ पुलिस ने बताया कि इस पूरे नेटवर्क के पीछे और कौन लोग हैं, इसका पता लगाने के लिए जांच तेज कर दी गई है। जांच एजेंसियां यह भी पता लगाने में जुटी हैं कि आरोपियों को विदेशी फंडिंग किस चैनल के माध्यम से मिल रही थी। क्या इसके पीछे कोई संगठित गिरोह है, या फिर यह कुछ लोगों का सीमित नेटवर्क है—इस पर भी काम किया जा रहा है।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह मामला सिर्फ दो व्यक्तियों तक सीमित नहीं है। संभव है कि इसके पीछे कोई बड़ा संगठित रैकेट काम कर रहा हो, जो सोशल मीडिया के जरिए समाज में धार्मिक तनाव फैलाने की कोशिश कर रहा हो।
समाज में फैली चिंता
इस खुलासे के बाद आम लोगों में भी चिंता का माहौल है। मेरठ और आसपास के इलाकों में लोग सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली किसी भी खबर को लेकर अब और सतर्क हो गए हैं। कई सामाजिक संगठनों ने भी लोगों से अपील की है कि बिना जांचे-परखे किसी भी वीडियो या फोटो को फॉरवर्ड न करें, ताकि अफवाहों को रोका जा सके।
साइबर सेल की भूमिका
मेरठ पुलिस की साइबर सेल इस मामले में केंद्रीय भूमिका निभा रही है। साइबर एक्सपर्ट्स आरोपियों के मोबाइल और उनके सोशल मीडिया अकाउंट्स को खंगाल रहे हैं। वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि किन प्लेटफॉर्म पर ये वीडियो डाले गए और कितने लोगों तक पहुंचे। साथ ही, यह भी जांच की जा रही है कि क्या इन वीडियो को किसी विदेशी हैंडल या ग्रुप्स से बढ़ावा दिया गया था।
सोशल मीडिया पर फैलती अफवाहों से सबक
यह मामला हमें एक बड़ी सीख देता है कि सोशल मीडिया पर फैल रही हर खबर या वीडियो पर अंधविश्वास नहीं करना चाहिए। कई बार ऐसे फर्जी वीडियो और अफवाहें समाज में नफरत और हिंसा को भड़का सकती हैं। यही कारण है कि सरकार और प्रशासन बार-बार अपील करते हैं कि किसी भी तरह की संवेदनशील सामग्री को बिना सत्यापित किए साझा न करें।
कानून के तहत सख्त कार्रवाई – मेरठ
पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और उनके खिलाफ आईटी एक्ट, भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं और अन्य गंभीर अपराधों में मुकदमा दर्ज किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
इसके अलावा, पुलिस अन्य एजेंसियों के साथ मिलकर यह भी सुनिश्चित करेगी कि इस तरह के नेटवर्क को जड़ से खत्म किया जा सके। यह कदम इसलिए जरूरी है ताकि भविष्य में कोई भी व्यक्ति समाज में तनाव फैलाने की कोशिश न कर सके।
मेरठ में जनता से प्रशासन की अपील
मेरठ पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे सोशल मीडिया पर वायरल होने वाली किसी भी भ्रामक खबर या वीडियो को साझा न करें। साथ ही, अगर किसी को ऐसे किसी संदिग्ध कंटेंट की जानकारी मिलती है, तो वह तुरंत पुलिस को सूचित करे। पुलिस का कहना है कि जनता का सहयोग ही ऐसे मामलों को रोकने में सबसे बड़ा हथियार है।
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