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Mon. Oct 13th, 2025

मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में एक दर्दनाक घटना ने पूरे प्रदेश को शिव सिहरित कर दिया। जानकारी मिली है कि Coldrif नामक कफ सिरप के सेवन से कई बच्चों की जान चली गई। इस घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने पूरे मध्यप्रदेश में इस सिरप और इसके निर्माता कंपनी के अन्य उत्पादों की बिक्री पर तत्काल निषेध (ban) लगाने का निर्णय लिया है।

नीचे इस मामले की पूरी जानकारी, वर्तमान स्थिति, जांच की दिशा और स्वास्थ्य-सचेतना से जुड़ी बातें विस्तार से प्रस्तुत हैं:

छिंदवाड़ा की घटना का विवरण: कब और कैसे शुरू हुआ संकट

  • यह मामला छिंदवाड़ा जिले के पारासिया तालुका और आसपास के गांवों से सामने आया। वहां के बच्चे शुरुआत में सामान्य सर्दी, जुकाम और बुखार की शिकायत लेकर घरों और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज कराने गए थे।
  • बताया गया कि उन्हें सामान्य कफ सिरप सहित अन्य दवाइयां दी गईं। लेकिन कुछ दिनों में उनकी हालत बिगड़ने लगी — पेशाब कम होना, उल्टी, निर्जलीकरण और किडनी संबंधी जटिलताएँ विकसित हुईं।
  • प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, अब तक 9 बच्चे मृत्यु हो चुके हैं
  • कई अन्य बच्चे गंभीर स्थिति में हैं और उन्हें नज़दीकी बड़े अस्पतालों (जैसे नागपुर) में स्थानांतरित किया गया है।

छिंदवाड़ा सहित पूरे MP में बैन और सरकारी कार्रवाई

  • छिंदवाड़ा में मृतकों की संख्या बढ़ने के साथ ही प्रदेश सरकार ने तुरंत कदम उठाया। सबसे पहले Coldrif सिरप की बिक्री और वितरण पर पूरे मध्यप्रदेश में तत्काल प्रतिबंध लगाया गया है।
  • उसके बाद यह आदेश जारी किया गया कि सिरप बनाने वाली कंपनी के अन्य दवाइयों और उत्पादों पर भी तिलांजलि-बंदी की कार्रवाई की जाए
  • इस फैसले की घोषणा मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की है। उन्होंने कहा कि बच्चों की मौत अत्यंत दुखद है और दोषियों को किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाएगा।
  • इसके अलावा Tamil Nadu सरकार से भी सहयोग मांगा गया है, क्योंकि यह सिरप कांचीपुरम स्थित फैक्ट्री में उत्पादित होता है। जांच रिपोर्ट के आधार पर ही प्रदेश सरकार ने कड़ा कदम उठाया है।

विषैले तत्व की पुष्टि: DEG (Diethylene Glycol)

  • स्वास्थ्य मंत्रालय और अन्य प्राधिकरणों की जांच में यह पुष्टि हुई है कि Coldrif सिरप में Diethylene Glycol (DEG) नामक एक बहुत विषैला औद्योगिक रासायनिक यौगिक पाया गया है, जो अनुमति से ऊपर की मात्रा में है।
  • DEG और Ethylene Glycol जैसे घटक सामान्यतः औद्योगिक उपयोग में आते हैं — जैसे ऑटोमोबाइल फ्रीज, ब्रेक फ्लुइड, पेंट आदि। इन्हें दवाओं में या चिकित्सा उपयोग में लाने की अनुमति नहीं है। अगर दवा में इनका प्रयोग हो जाए, तो ये किडनी, लीवर और नर्वस सिस्टम को तेजी से नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • मामले की जांच के दौरान मिली जानकारी के अनुसार, मध्यप्रदेश में जांच के कुछ नमूनों में DEG नहीं पाया गया, लेकिन कांचीपुरम यूनिट के उस बैच में DEG की मात्रा सीमाएँ पार कर गई थी।

केंद्र सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय की प्रतिक्रिया

  • केंद्र सरकार ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए DGHS (Director General of Health Services) के माध्यम से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को एक सलाह जारी की है, जिसमें कहा गया है कि बच्चों को कफ और सर्दी की दवाइयाँ देने में अधिक सावधानी बरती जाएं
  • साथ ही एक निर्देश भी जारी किया गया है कि 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को कफ–ठंड की दवाइयाँ न दी जाएँ, और 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में ऐसी दवाओं का प्रयोग न्यूनतम किया जाए।
  • केंद्र ने यह कहा कि सभी दवाइयों के निर्माण संयंत्रों की जोखिम-आधारित निरीक्षण प्रक्रिया तेज की जाएगी, और दोषी कंपनियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अन्य प्रभावित राज्य: राजस्थान की स्थिति

  • इस मामले की जाँच के दौरान पता चला है कि राजस्थान में भी Nextro-DS नामक कफ सिरप से जुड़े मामलों की शिकायतें आई हैं।
  • राजस्थान सरकार ने इसी कंपनी के दवाओं के वितरण को भी रोका है और उन बैचों की जाँच प्रक्रिया शुरू की है।
  • केंद्रीय और राज्य स्तर पर दोनों हिस्सों में यह देखा जा रहा है कि कहीं अन्य राज्य भी इसी तरह की समस्या न झेलें।

जांच की दिशा और आगे की कार्रवाई

  • प्रदेश सरकार ने सेनानी टीमें गठित की हैं — स्थानीय, जिला, राज्य स्तर पर — ताकि न्यायिक और वैज्ञानिक जांच जल्द से जल्द पूरी हो सके।
  • मॉरल और कानूनी दायित्व को देखते हुए, दोषियों को सख्त सज़ा दिलाने का आश्वासन दिया गया है।
  • जांच एजेंसियाँ दवा निर्माण प्रक्रिया, कच्चे माल की श्रेणी, सप्लाई चेन, गुणवत्ता परीक्षण रिकॉर्ड और निरीक्षण प्रक्रिया हर स्तर पर देख रही हैं।
  • प्रभावित परिवारों को मुआवजा और सहायता योजनाओं की बात भी शुरू हो चुकी है।

स्वास्थ्य सलाह और सावधानियाँ

  1. यदि किसी बच्चे को जुकाम, खांसी या बुख़ार हो, तो पहले डॉक्टर की सलाह लें और कोशिश करें कि दवाइयाँ बिना प्रमाण और जांच के न लें
  2. यदि आसपास किसी भी दवा में मिसुभाषा (bitter, chemical smell), रंग या गाढ़ापन अजीब लगे, तो तुरंत प्रयोग बंद करें।
  3. पानी की कमी, मूत्र का कम होना, अचानक कमजोरी या बेहोशी जैसे लक्षण दिखें तो तुरंत अस्पताल पहुंचें।
  4. किसी दवा पर शक हो तो उस दवा की बैच संख्या, निर्माण तिथि, और निर्माता कंपनी की जानकारी लेकर उसकी जांच करवाएं।
  5. बच्चों को घर पर घरेलू उपाय और डॉक्टर की सलाह अनुसार ही दवाई देना चाहिए, खासकर कफ और खांसी जैसी सामान्य समस्याओं में।

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