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Wed. Nov 12th, 2025

बिहार विधानसभा चुनाव के बीच मोकामा में हुई गोलीबारी और जनसुराज समर्थक दुलारचंद यादव की हत्या ने पूरे प्रदेश के राजनीतिक माहौल को हिला दिया है। इस मामले में अब चुनाव आयोग ने सख्त रुख अपनाते हुए बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई की है। आयोग ने पटना (ग्रामीण) के पुलिस अधीक्षक विक्रम सिहाग का तबादला करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही बाढ़ के एसडीओ चंदन कुमार और एसडीपीओ राकेश कुमार के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई का निर्देश दिया गया है, जबकि बाढ़-2 के एसडीपीओ अभिषेक सिंह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

यह कार्रवाई उस समय की गई है जब आयोग को क्षेत्र में निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया में बाधा और प्रशासनिक लापरवाही की शिकायतें लगातार मिल रही थीं। आयोग ने कहा है कि चुनावी माहौल में किसी भी प्रकार की हिंसा या पक्षपातपूर्ण रवैये को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

मोकामा में गोलीबारी और दुलारचंद की मौत से मचा हड़कंप

मोकामा विधानसभा क्षेत्र में मंगलवार को प्रचार अभियान के दौरान दो पक्षों में हिंसक झड़प हो गई थी। देखते ही देखते स्थिति इतनी बिगड़ गई कि गोलीबारी शुरू हो गई। इसी दौरान जनसुराज समर्थक और स्थानीय प्रभावशाली व्यक्ति दुलारचंद यादव को गोली लगी और उन्होंने मौके पर ही दम तोड़ दिया। गोलीबारी की यह घटना चुनाव प्रचार के दौरान हुई, जिससे पूरे जिले में अफरा-तफरी का माहौल बन गया था।

क्षेत्र मोकामा हमेशा से राजनीतिक रूप से संवेदनशील रहा है। इस हिंसक घटना के बाद विपक्षी दलों ने प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए थे। जनसुराज पार्टी के नेताओं ने दावा किया था कि प्रशासन की नाकामी के कारण यह घटना हुई और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की थी।

पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में नया मोड़ – गोलीबारी

दुलारचंद यादव की मौत के बाद अब उनकी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने मामले को और उलझा दिया है। अनुमंडलीय अस्पताल में तीन डॉक्टरों—डॉ. अजय कुमार, डॉ. रोहन और डॉ. दिलीप—की टीम ने पोस्टमॉर्टम किया। रिपोर्ट में सामने आया है कि दुलारचंद के शरीर में कई गंभीर चोटें थीं।

डॉ. अजय कुमार के अनुसार, “दुलारचंद यादव को बाएं पैर में गोली लगी थी, जो ठेहुने के आर-पार हो गई थी। हालांकि यह गोली उनकी मौत का कारण नहीं हो सकती थी। उनके शरीर में कई अंदरूनी चोटें थीं और सीने में गंभीर चोट के निशान भी मिले हैं। मौत का कारण संभवतः आंतरिक चोटें और अत्यधिक रक्तस्राव हो सकता है।” डॉक्टरों ने बताया कि 10 से अधिक एक्स-रे किए गए हैं और उनकी रिपोर्ट अभी आना बाकी है।

अंतिम यात्रा में भी मचा हंगामा

दुलारचंद यादव की हत्या के बाद उनके समर्थकों और स्थानीय लोगों में गुस्सा साफ देखने को मिला। उनके अंतिम संस्कार के दौरान भी माहौल तनावपूर्ण रहा। बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए और पुलिस-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। भीड़ ने प्रशासनिक अधिकारियों से तत्काल कार्रवाई की मांग की। कई जगहों पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया, जिसके चलते पुलिस को अतिरिक्त बल तैनात करना पड़ा।

स्थानीय लोगों का कहना था कि प्रशासन पहले से इस क्षेत्र की संवेदनशीलता से परिचित था, फिर भी पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए। दुलारचंद के समर्थकों ने आरोप लगाया कि यह हत्या एक साजिश का नतीजा है और चुनावी माहौल बिगाड़ने की कोशिश की गई है।

गोलीबारी पर चुनाव आयोग का सख्त रुख

घटना के बाद चुनाव आयोग ने बिहार के डीजीपी से तत्काल रिपोर्ट तलब की थी। आयोग ने स्पष्ट किया कि चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की हिंसा या भय का माहौल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। रिपोर्ट मिलने के बाद आयोग ने मोकामा और बाढ़ क्षेत्र के अधिकारियों की भूमिका की समीक्षा की और लापरवाही पाए जाने पर कार्रवाई की।

चुनाव आयोग ने कहा, “मोकामा की घटना चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाती है। इसीलिए ऐसे अधिकारी जो अपने दायित्वों का सही ढंग से निर्वहन नहीं कर सके, उन्हें हटाया जा रहा है ताकि निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित किया जा सके।”

प्रशासन की सफाई और आगे की जांच

वहीं, प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि मामले की विस्तृत जांच के लिए विशेष टीम गठित की गई है। पुलिस अब घटना से जुड़े वीडियो फुटेज और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान के आधार पर जांच आगे बढ़ा रही है। बाढ़ एसडीपीओ और अन्य अधिकारियों से भी पूछताछ की जाएगी।

बिहार पुलिस मुख्यालय ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए कहा है कि दोषियों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। पुलिस का दावा है कि जल्द ही गोली चलाने वालों की पहचान कर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा।

राजनीतिक दलों का आक्रोश

मोकामा की इस घटना को लेकर राजनीतिक दलों में भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जनसुराज पार्टी ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया है। पार्टी प्रमुख प्रशांत किशोर ने कहा कि “चुनाव के दौरान हिंसा लोकतंत्र के लिए कलंक है। प्रशासन और पुलिस अगर पहले से सतर्क रहती तो एक निर्दोष की जान नहीं जाती।”

वहीं, विपक्षी दलों ने भी चुनाव आयोग से निष्पक्ष जांच की मांग की है। भाजपा और जदयू के स्थानीय नेताओं ने कहा कि “इस तरह की घटनाएं जनता के विश्वास को तोड़ती हैं, इसलिए जरूरी है कि निष्पक्ष कार्रवाई हो।”

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