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Sat. Dec 20th, 2025

यूरोपीय संघ (EU) वाहन उद्योग के लिए 2035 में नई दहन इंजन (पेट्रोल/डीज़ल) कारों की बिक्री पर काबू लगाने वाले प्रतिबंध (यानी Internal Combustion Engine Ban) को लेकर अपने सख्त रुख में नरमी लाने पर विचार कर रहा है। यह निर्णय हाल ही में औद्योगिक दबाव, आर्थिक चुनौतियों और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के कारण चर्चा में आ गया है और इसके जुड़े पक्षकारों के बीच गहरी बहस चल रही है।

2035 प्रतिबंध क्या था?

पहले 2023 में यूरोपीय संघ ने घोषणा की थी कि 1 जनवरी 2035 से EU क्षेत्र में नई पेट्रोल और डीज़ल मोटर-वाहनों की बिक्री पूरी तरह प्रतिबंधित होगी, और केवल शून्य-उत्सर्जन (Zero-Emission) वाहनों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) को अनुमति दी जाएगी। यह कदम EU की ग्रीन डील नीति और 2050 तक कार्बन-न्यूट्रल (Net Zero) लक्ष्य की दिशा में एक बड़ी रणनीति का हिस्सा था।

प्रस्तावित बदलाव: 2035 प्रतिबंध में ढील

हाल के समाचारों के मुताबिक अब EU की नीति में संशोधन की योजना पर गंभीर रूप से विचार किया जा रहा है, जिसमें मुख्य बिंदु ये हो सकते हैं 👇

✔️ प्रतिबंध को आगे स्थगित करना

EU आयोग 2035 के प्रतिबंध को आगे 5 साल तक बढ़ाने या पूरी तरह हटाकर नया लक्ष्य निर्धारित करने पर विचार कर रहा है। इस कदम से निर्माता कंपनियों को अतिरिक्त समय और लचीलापन मिल सकता है।

✔️ वैकल्पिक ईंधन और प्रौद्योगिकियों को शामिल करना

संभावित प्रस्ताव में यह भी हो सकता है कि प्लग-इन हाइब्रिड, उन्नत बायोफ्यूल्स और इलेक्ट्रिक-फ्यूल (e-fuel) आधारित इंजन वाली कारों को प्रतिबंध से बाहर रखा जाए। इससे पूरी तरह शून्य-उत्सर्जन के बजाय CO₂-तटस्थ विकल्प मान्य होंगे।

✔️ छोटे EVs को बढ़ावा देने वाले प्रोत्साहन

EU आयोग संभावित रूप से इसका एक भाग के रूप में छोटे और किफ़ायती इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने वाले नए प्रोत्साहन (जैसे टैक्स में छूट, सब्सिडी, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश) प्रस्तावित कर सकता है।

बदलाव क्यों हो रहा है? (बैकग्राउंड)

यूरोप का ऑटो उद्योग पिछले कुछ समय से कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनके कारण कंपनियों और सरकारों ने 2035 की समय-सीमा में बदलाव की मांग तेज़ कर दी है 👇

🏭 कम इलेक्ट्रिक वाहन अपनाना

ईवी की मांग अपेक्षित गति से नहीं बढ़ी है। कई देशों में चार्जिंग नेटवर्क और आर्थिक कारणों से EV अपनाने में उपभोक्ता असमर्थ दिखाई दिए हैं, जिससे उद्योग को दबाव का सामना करना पड़ा है।

उद्योग का दबाव – 2035

बड़े यूरोपीय कार निर्माता जैसे Volkswagen, Stellantis, Mercedes-Benz आदि ने कहा है कि यदि प्रतिबंध बहुत कड़ा होगा, तो इससे नौकरी, विनिर्माण संयंत्र और वैश्विक प्रतिस्पर्धा पर बुरा असर पड़ेगा। वे अधिक लचीले नियम का समर्थन कर रहे हैं।

💶 वैश्विक प्रतिस्पर्धा

चीन और अमेरिका में EV तकनीक की तेज़ प्रगति और व्यापक बाजार अपनाने से यूरोपीय उद्योग कम प्रतिस्पर्धी नज़र आ रहा है। इसका भी प्रभाव EU के फैसले पर पड़ा है।

विरोध और समर्थन: दोनों तरफ आवाज़ें

🌱 पर्यावरण समर्थकों की चिंता

पर्यावरण और जलवायु संरक्षण समूहों ने चेतावनी दी है कि प्रतिबंध में ढील से ग्रीन डील लक्ष्यों पर प्रभाव पड़ेगा। उनका मानना है कि अगर EU 2035 के लक्ष्य पर कायम नहीं रहता, तो यह जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक प्रयासों को कमजोर करेगा।

🏭 उद्योग और कुछ सरकारों का समर्थन

कुछ सरकारें और कंपनियाँ कहती हैं कि तकनीकी और आर्थिक बाधाओं के कारण उन्हें समय की आवश्यकता है। खासकर प्लग-इन हाइब्रिड और CO₂-तटस्थ ईंधन को समर्थन देकर, संक्रमण को आसान बनाया जा सकता है।

स्पेन और फ्रांस की तरफ से विरोध

हाल ही में स्पेन और फ्रांस के नेताओं ने साफ कहा है कि वे 2035 के लक्ष्य को मजबूत रखना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने EV निवेश में पहले से भारी निवेश किया है और इससे पीछे हटने पर वे चिंतित हैं।

इस बदलाव का यूरोप और दुनिया पर प्रभाव

यूरोप में वाहन उद्योग

यदि EU प्रतिबंध में ढील देता है तो यह यूरोपीय ऑटोमोबाइल कंपनियों को एक राहत सिलसिला दे सकता है क्योंकि वे अन्य बाज़ारों में प्रतिस्पर्धा बेहतर तरीके से कर पाएंगे।

वैश्विक EV रणनीति

अगर EU 2035 लक्ष्य में ढील देता है तो अन्य देशों के लिए भी यह नीति बदलाव का संकेत बन सकता है। इससे वैश्विक EV उद्योग की प्रगति में तालमेल बनने की चुनौती बढ़ सकती है।

🌱 पर्यावरण और CO₂ उत्सर्जन

आलोचकों का कहना है कि इससे वायु प्रदूषण और कार्बन उत्सर्जन में वृद्धि हो सकती है। हालांकि समर्थक यह तर्क देते हैं कि अगर CO₂-तटस्थ ईंधन को सम्मिलित किया जाए तो वातावरण पर प्रभाव कम हो सकता है।

अगला कदम: EU का फैसला कब आएगा?

EU आयोग के प्रस्ताव और समीक्षा के बारे में आगामी घोषणा 16 दिसंबर 2025 को होने की उम्मीद है, जब EU सदस्य देशों और यूरोपीय संसद इसे अंतिम रूप दे सकते हैं। यह निर्णय यूरोप और वैश्विक ऑटो उद्योग के भविष्य की दिशा तय करेगा

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