23 दिसंबर 2025 को एक बड़ा प्रशासनिक कदम उठाते हुए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के निदेशक और वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी सदानंद वसंत दाते को उनके मूल महाराष्ट्र पुलिस कैडर में वापस भेजा गया है। इस कदम के साथ ही दाते अब महाराष्ट्र के अगले पुलिस महानिदेशक (DGP) बनने के स्पष्ट दावेदार बन गए हैं, क्योंकि वर्तमान डीजीपी रश्मि शुक्ला का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है।
यह खबर प्रशासनिक और सुरक्षा जगत दोनों के लिए अहम मानी जा रही है, क्योंकि 26/11 मुंबई आतंकी हमलों में वीरता दिखा चुके दाते को देश में सशक्त नेतृत्व क्षमताओं वाले अधिकारी के रूप में जाना जाता है।
कैसे हुआ यह निर्णय?
सदानंद दाते की प्रतिनियुक्ति यानी प्रारंभिक वापसी महाराष्ट्र कैडर में Appointments Committee of the Cabinet (ACC) — जिसका नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं — द्वारा मंजूर कर दी गई है। इस आदेश के तहत दाते को तत्काल प्रभाव से उनके मूल पुलिस सेवा नियंत्रण में भेज दिया गया, ताकि वे राज्य पुलिस के नेतृत्व की संभावित भूमिका के लिए पात्र हो सकें।
सरकार के इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना बताया जा रहा है कि जैसे ही रश्मि शुक्ला रिटायर हो जाएँ, महाराष्ट्र के पुलिस बल को अनुभवी और सक्षम नेतृत्व मिल सके। ऐसी तैयारी से प्रशासनिक तैयारियों में सुगमता आने की उम्मीद जताई जा रही है।
सदानंद दाते कौन हैं? जानें उनके बैकग्राउंड की मुख्य बातें
सदानंद वसंत दाते भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के 1990 बैच के अधिकारी हैं और महाराष्ट्र कैडर से ताल्लुक रखते हैं। वे मार्च 2024 से एनआईए (National Investigation Agency) के Director General (DG) के रूप में कार्यरत थे।
दाते की पुलिस सेवा में कई अहम भूमिकाएँ रहीं हैं — उनमें से विशेष रूप से उल्लेखनीय है 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के समय उनका साहसिक योगदान। उस हमले के दौरान वे सक्रिय भूमिका में रहे और बाद में इन्हें राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित भी किया गया था।
उनकी वरिष्ठता, अनुभव, आतंकवाद-रोधी अभियानों में भागीदारी और नेतृत्व कौशल को देखते हुए उन्हें भारत के प्रमुख जांच एवं सुरक्षा एजेंसियों में महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ दी गईं।
क्या है महाराष्ट्र रश्मि शुक्ला का सफर और रिटायरमेंट?
रश्मि शुक्ला 1988 बैच की भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी हैं और वह जनवरी 2024 से महाराष्ट्र पुलिस की DGP के पद पर कार्यरत हैं। वे इस पद पर नियुक्त होने वाली महाराष्ट्र की पहली महिला डीजीपी भी हैं, और उनका कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 को समाप्त हो रहा है।
शुक्ला के नेतृत्व में राज्य पुलिस ने कानून-व्यवस्था, अपराध नियंत्रण और संगठनात्मक सुधारों के कई महत्वपूर्ण पहल किए। उनके अनुभव और नेतृत्व क्षमता के चलते कई स्तरों पर प्रशंसा भी मिली।
उनकी रिटायरमेंट के साथ ही महाराष्ट्र पुलिस के नेतृत्व की जिम्मेदारी संभालना किसी भी वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी के लिए बड़ी चुनौती और सम्मान दोनों का विषय माना जाता है। इसी क्रम में सदानंद दाते का नाम सामने आ रहा है।
क्या दाते वाकई DGP नियुक्त होंगे?
हालांकि साबानंद दाते के महाराष्ट्र पुलिस DGP बने जाने की रवायत आज तय नहीं हुई है, लेकिन उनकी फ्रंट-रनर स्थिति काफी मजबूत दिखाई देती है। ACC के फैसले के बाद उनका नाम स्पष्ट रूप से पहली पसंद के रूप में जुड़ गया है, और वे रश्मि शुक्ला की जगह ले सकते हैं जैसे ही पद खाली होगा।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि Maharashtra DGP की नियुक्ति केवल वरिष्ठता पर आधारित नहीं होती — साथ ही सरकार की नीतियां, नेतृत्व क्षमता और रणनीतिक जरूरतों का विश्लेषण भी अहम होता है। ऐसे में दाते का अनुभव और उनके पास लंबा कार्यकाल बचा होना उन्हें और भी उपयुक्त उम्मीदवार बनाता है।
सदानंद दाते की प्रमुख उपलब्धियाँ
🔹 26/11 मुंबई हमले में योगदान — इस आतंकी हमले के दौरान वीरता से कार्रवाई और बाद में पदक प्राप्ति।
एनआईए के DG के तौर पर नियुक्ति (2024) — राष्ट्रीय जांच एजेंसी के शीर्ष पद पर कार्य किया।
🔹 विभिन्न वरिष्ठ पदों पर सेवा — महाराष्ट्र ATS चीफ, CBI में DIG, CRPF में IG ऑपरेशंस व कमिश्नर सहित महत्वपूर्ण भूमिकाएँ।
पढ़ाई में उत्कृष्टता — पुणे विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट (PhD) सहित अंतरराष्ट्रीय प्रशिक्षण।
ये उपलब्धियाँ उन्हें न केवल प्रशासनिक भूमिका के लिए बल्कि सुरक्षा और वरिष्ठ नेतृत्व क्षमता के लिए भी उपयुक्त बनाती हैं।
क्या महाराष्ट्र पुलिस के लिए यह एक बड़ा बदलाव है?
अगर दाते को वास्तव में महाराष्ट्र का नया DGP नियुक्त किया जाता है, तो यह राज्य पुलिस के लिए एक गुणात्मक और अनुभव-आधारित नेतृत्व का संकेत होगा। महाराष्ट्र एक बड़ा और जटिल राज्य है, जहाँ आपराधिक, सामरिक और भीड़-व्यवस्था जैसे कई संवेदनशील मुद्दे एक साथ होते हैं। ऐसे में दाते जैसे अनुभवी अधिकारी के नेतृत्व की उम्मीदें बढ़ जाती हैं।
इसके अलावा, एक संघीय एजेंसी के प्रमुख से सीधे राज्य पुलिस की कमान संभालने का निर्णय यह भी दर्शाता है कि केंद्र और राज्य दोनों ही स्तरों पर सुरक्षा और कानून-व्यवस्था को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित है।
