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Tue. Dec 3rd, 2024

Julana  अब केवल हरियाणा विधानसभा चुनाव का एक निर्वाचन क्षेत्र नहीं रह गया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की दो महिला पहलवानों-विनेश फोगाट और कविता दलाल-के आमने-सामने आने से यह और भी दिलचस्प हो गया है। यौन शोषण के मामलों में जंतर-मंतर से लेकर पेरिस ओलंपिक तक संघर्ष करती रहीं विनेश के लिए यहां का राजनीतिक दंगल एक बड़ी चुनौती बन गया है। कांग्रेस, जो पिछले 15 वर्षों से यहां जीत का इंतजार कर रही है, अब विनेश पर निर्भर है।

विनेश और कांग्रेस को सहानुभूति के आधार पर जीत की उम्मीद है, लेकिन जातीय समीकरण जीत में बाधा बन सकते हैं। जाट बहुल जुलाना में गैर-जाट मतदाताओं को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। भाजपा के कैप्टन योगेश बैरागी सीधी टक्कर में आ रहे हैं। आप पार्टी ने भी इस चुनाव को बहुचर्चित बनाने के लिए डब्ल्यूडब्ल्यूई की अंतरराष्ट्रीय पहलवान कविता दलाल को उम्मीदवार बनाया है। कविता, जो जुलाना की मूल निवासी हैं, और विनेश, जो यहां की बहू हैं, के बीच प्रतिस्पर्धा लोगों के लिए दुविधा का कारण बन गई है। विनेश ने कहा कि वे सभी वर्गों, विशेषकर किसानों और जवानों के मुद्दों को उठाएंगी।

भाजपा में शामिल हुए डॉ. सुरेंद्र लाठर ने टिकट नहीं मिलने पर इनेलो ज्वाइन किया, जबकि जननायक जनता पार्टी के मौजूदा विधायक अमरजीत सिंह ढांडा भी मैदान में हैं। इस बार जाट और गैर-जाट मतदाताओं के लामबंद होने की उम्मीद है। गांवों में विनेश का स्वागत हो रहा है, जबकि शहर के मतदाता अभी चुप हैं।

Julana : इनेलो का गढ़, कांग्रेस की कठिन राह

जुलाना सीट हमेशा से इनेलो का गढ़ रही है। 2009 और 2014 में इनेलो के परमेंद्र सिंह ढुल यहां के विधायक रहे। कांग्रेस ने केवल चार बार जीत हासिल की है, जबकि भाजपा का कभी खाता नहीं खुला। दोनों राष्ट्रीय दलों के लिए यहां जीत आसान नहीं होगी।

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समस्याएं: टूटी सड़कें और पानी की कमी

जुलाना में सड़कें टूट चुकी हैं और बरसात में पानी दुकानों तक पहुंच जाता है। गांवों में पीने के पानी की दिक्कत है, और महिलाएं अब भी पानी खेतों से लाने को मजबूर हैं। दुकानदार मुकेश कुमार और पुरुषोत्तम का कहना है कि जजपा विधायक अमरजीत विकास कार्य नहीं करवा पाए हैं। बेरोजगारी भी एक बड़ा मुद्दा है, क्योंकि क्षेत्र में न कोई उद्योग है और न ही शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए कोई बड़ा संस्थान।

किलाजफरगढ़ के निवासी शौकिन शर्मा ने कहा कि विकास कार्य कम हुए हैं, इसलिए इस बार बदलाव की आवश्यकता है। अनिल कुमार ने कहा कि गलियों से लेकर शहर की सड़कें टूटी हैं, इसलिए कांग्रेस को मौका देना चाहिए। प्रदीप कुमार और ईश्वर सिंह ने भाजपा की नीतियों पर सवाल उठाते हुए बिना सिफारिश नौकरी मिलने की संभावनाओं का भी जिक्र किया।

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