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Sun. Jul 13th, 2025

राजनीतिक गलियारों में एक बार फिर से तेज प्रताप यादव की बगावती शैली चर्चा का विषय बन गई है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने हाल ही में एक नई रैली आयोजित कर सबका ध्यान खींचा है। इस रैली की खास बात यह रही कि इसमें उन्होंने आरजेडी के पारंपरिक झंडे की बजाय एक नए झंडे का इस्तेमाल किया। साथ ही उन्होंने मंच से स्पष्ट रूप से कहा, ‘मैं किसी के वश में रहने वाला नहीं हूं।’ यह बयान उनकी पार्टी और खासकर छोटे भाई तेजस्वी यादव से मतभेदों के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

तेज प्रताप यादव के बगावती तेवर – नई रैली और नया झंडा

24 मई को आयोजित रैली में तेज प्रताप यादव एक अलग अंदाज में नजर आए। उनके हाथ में जो झंडा था, वह पारंपरिक आरजेडी के हरे-सफेद झंडे से बिल्कुल अलग था। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह प्रतीकात्मक बगावत है जो संकेत देता है कि तेज प्रताप अपने राजनीतिक पथ को लेकर गंभीर हैं और अब स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

अनुष्का यादव के साथ संबंधों का खुलासा

तेज प्रताप यादव ने रैली के एक दिन पहले सोशल मीडिया पर एक चौंकाने वाली पोस्ट की थी। उन्होंने अनुष्का यादव के साथ एक तस्वीर साझा की और दावा किया कि वे दोनों पिछले 12 वर्षों से रिलेशनशिप में हैं। इस खुलासे ने न केवल उनके निजी जीवन को लेकर हलचल मचा दी, बल्कि राजनीतिक गलियारों में भी चर्चा शुरू कर दी।

हालांकि, यह पोस्ट कुछ ही घंटों में वायरल हो गई और लोगों ने इसे अलग-अलग नजरिए से देखा। इसके बाद तेज प्रताप यादव ने यह पोस्ट डिलीट कर दी और सफाई दी कि उनका अकाउंट हैक हो गया था। लेकिन इस स्पष्टीकरण को लेकर भी कई सवाल खड़े हुए हैं।

अंदरूनी कलह के संकेत?

तेज प्रताप यादव के इस पूरे घटनाक्रम को सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक नजरिए से भी देखा जा रहा है। उनके भाई तेजस्वी यादव, जो कि पार्टी के असली चेहरे और मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जाते हैं, के साथ उनके संबंध पहले से ही तनावपूर्ण बताए जाते हैं। तेज प्रताप का बार-बार पार्टी लाइन से हटकर बयान देना और अलग राह चुनना इस बात की ओर इशारा करता है कि परिवार के भीतर राजनीतिक मतभेद गहरे होते जा रहे हैं।

तेज प्रताप की राजनीतिक रणनीति

तेज प्रताप यादव का यह कदम महज एक भावनात्मक प्रतिक्रिया नहीं माना जा सकता। यह एक सोची-समझी रणनीति भी हो सकती है, जिससे वे यह जताना चाहते हैं कि वे सिर्फ ‘लालू पुत्र’ नहीं, बल्कि एक स्वतंत्र राजनीतिक हस्ती हैं। उनके समर्थक भी यह तर्क दे रहे हैं कि तेज प्रताप अपनी विचारधारा और कार्यशैली से अलग पहचान बनाना चाहते हैं, जो कि पारंपरिक आरजेडी के स्वरूप से मेल नहीं खाती।

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