भारत के अभियान में एक और स्वर्णिम अध्याय जुड़ गया है। ISRO (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला मिशन के सफल समापन के बाद पृथ्वी पर लौट आए हैं। 580 पाउंड से अधिक वैज्ञानिक सामग्री के साथ लौटे शुभांशु को अब 7 दिन की रिहैब प्रक्रिया से गुजरना होगा। यह प्रक्रिया उनके शरीर को धरती के वातावरण में फिर से ढालने के लिए जरूरी है।
शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से वापसी: ISRO ने दी जानकारी
ISRO की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि शुभांशु शुक्ला का स्वास्थ्य पूरी तरह से ठीक है और उनका मनोबल अत्यंत ऊंचा है। वैज्ञानिकों की टीम लगातार उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रही है। ISRO के अनुसार, मिशन का हर चरण सफल रहा और वैज्ञानिक उद्देश्य भी पूरी तरह से हासिल किए गए हैं।
क्या होता है 7 दिन का ‘रिहैब’?
महीनों बिताने के बाद शरीर का गुरुत्वाकर्षण के अभाव में ढल जाना स्वाभाविक है। इसीलिए पृथ्वी पर लौटने के बाद यात्रियों को एक रिहैब यानी पुनर्वास प्रक्रिया से गुजरना होता है। इस प्रक्रिया में यात्रियों के शरीर को दोबारा धरती की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के अनुसार अनुकूलित किया जाता है। इसमें हड्डियों और मांसपेशियों की स्थिति को सामान्य करना, ब्लड सर्कुलेशन में संतुलन लाना और मानसिक स्थिति को स्थिर रखना शामिल होता है।
शुभांशु शुक्ला अगले सात दिन तक मेडिकल ऑब्जर्वेशन में रहेंगे। इस दौरान डॉक्टरों की एक टीम उनकी मांसपेशियों, हड्डियों, संतुलन और मानसिक स्थिति की गहराई से जांच करेगी।
अंतरिक्ष से क्या लेकर लौटे शुभांशु?
शुभांशु अपने साथ 580 पाउंड से अधिक वजन का वैज्ञानिक कार्गो लेकर लौटे हैं। इस कार्गो में नासा का हार्डवेयर, 60 से अधिक प्रयोगों के डेटा, बायोलॉजिकल सैंपल्स और कई महत्वपूर्ण सेंसर शामिल हैं। यह डेटा अंतरिक्ष में सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, तापमान में बदलाव और रेडिएशन के प्रभावों से संबंधित है, जिसका उपयोग भविष्य के अंतरिक्ष मिशनों की योजना में किया जाएगा।
भारत के लिए गौरव का क्षण
यह मिशन न केवल वैज्ञानिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि यह भारत के लिए एक गौरवपूर्ण उपलब्धि भी है। शुभांशु शुक्ला का अंतरिक्ष से सुरक्षित और सफलतापूर्वक लौट आना, भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान की क्षमता और मजबूती को दर्शाता है। भारत अब उन गिने-चुने देशों में शामिल हो गया है, जिनके अंतरिक्ष यात्री सफलतापूर्वक इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन जैसी जटिल प्रणालियों में काम कर चुके हैं।
शुभांशु की प्रतिक्रिया
वापसी के बाद शुभांशु ने अपने पहले बयान में कहा, “यह अनुभव जीवन भर की पूंजी है। भारत के लिए वहां काम करना मेरे लिए गर्व की बात थी। मैं ISRO, भारत सरकार और देशवासियों का आभार प्रकट करता हूं जिन्होंने मुझे यह अवसर दिया।” उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिक्ष में बिताए समय ने उन्हें सिखाया कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण और सहयोग से कोई भी असंभव कार्य संभव हो सकता है।
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