हांगकांग के व्यस्त शहरी इलाके में शुक्रवार रात उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब एक आवासीय और वाणिज्यिक परियोजना की खुदाई के दौरान द्वितीय विश्व युद्ध के समय का 450 किलो वजनी बम बरामद हुआ। इस भारी-भरकम बम के मिलने की खबर फैलते ही स्थानीय प्रशासन और पुलिस हरकत में आ गए और आसपास के पूरे इलाके को रातों-रात खाली कराने का आदेश जारी किया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बम लगभग 1.5 मीटर लंबा है और इसकी चौड़ाई भी करीब आधा मीटर है। यह अब तक हांगकांग में पाए गए सबसे बड़े युद्धकालीन बमों में से एक है।
देर रात चला रेस्क्यू ऑपरेशन – हांगकांग
पुलिस के मुताबिक, जैसे ही निर्माण कार्य के दौरान खुदाई मशीन को यह बम दिखाई दिया, तुरंत काम रोक दिया गया और साइट को सील कर दिया गया। संभावित खतरे को देखते हुए आपातकालीन प्रोटोकॉल के तहत लगभग 6000 लोगों को आसपास के आवासीय परिसरों, दुकानों, होटलों और कार्यालयों से बाहर निकाला गया। यह अभियान पूरी रात चला और प्रशासन ने सुनिश्चित किया कि कोई भी व्यक्ति प्रभावित क्षेत्र में न रहे। स्थानीय निवासियों को पास के सामुदायिक केंद्रों और स्कूलों में अस्थायी तौर पर ठहराया गया।
हांगकांग के बम स्क्वाड ने संभाली कमान
हांगकांग पुलिस के विस्फोटक निवारण दस्ता (Explosive Ordnance Disposal Bureau) ने मौके पर पहुंचकर पूरे क्षेत्र को घेर लिया। विशेषज्ञों ने बम के आकार और वजन का आकलन करने के बाद बताया कि यह अमेरिकी सेना द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान गिराया गया एक एरियल बम (हवाई बम) हो सकता है, जो किसी कारण से उस समय नहीं फटा। अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के बम बेहद खतरनाक होते हैं क्योंकि समय के साथ इनमें रासायनिक प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं।
विशेष टीम ने रोबोटिक उपकरणों, ड्रोन कैमरों और अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके बम को निष्क्रिय करने की योजना तैयार की। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बम को सुरक्षित रूप से डिफ्यूज करने में लगभग 12 घंटे का समय लगा।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि – हांगकांग
हांगकांग पर 1941 से 1945 के बीच जापानी सेना का कब्जा था। उस दौरान मित्र देशों की सेनाओं ने जापानी ठिकानों को निशाना बनाते हुए हवाई हमले किए थे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह बम उन्हीं हमलों के दौरान गिराया गया होगा। शहर के पुराने इलाकों में पहले भी कई बार युद्धकालीन बम मिलने की घटनाएं हो चुकी हैं।
हाल के वर्षों में हांगकांग के घनी आबादी वाले इलाकों में बड़े पैमाने पर निर्माण कार्य चल रहा है, जिसके चलते जमीन के नीचे दबे ऐसे अवशेष समय-समय पर सामने आते रहते हैं। 2014 और 2017 में भी इसी तरह के बम बरामद हुए थे, जिन्हें सफलतापूर्वक निष्क्रिय किया गया था।
हांगकांग के प्रशासन की सतर्कता और चुनौतियां
स्थानीय प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती इतनी बड़ी आबादी को सुरक्षित स्थान पर ले जाना थी। हांगकांग जैसे घनी आबादी वाले शहर में अचानक हजारों लोगों को निकालना आसान नहीं था। पुलिस ने कई किलोमीटर के दायरे में ट्रैफिक को रोक दिया और मेट्रो स्टेशन तक अस्थायी रूप से बंद कर दिए गए। आपात सेवाओं की टीमों ने घर-घर जाकर लोगों को बाहर निकलने की अपील की।
सरकार ने निवासियों से शांत रहने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की। सोशल मीडिया और रेडियो के जरिए लगातार अपडेट दिए जाते रहे ताकि लोग घबराएं नहीं।
निवासियों का अनुभव
इलाके के निवासियों ने बताया कि जैसे ही उन्हें रात में निकासी आदेश मिला, पहले तो डर और घबराहट का माहौल बन गया। कई लोग जल्दी-जल्दी अपने जरूरी सामान और दस्तावेज लेकर बाहर निकले। कुछ लोगों ने इसे जीवन का सबसे डरावना अनुभव बताया। एक निवासी ने कहा, “हमें लगा कि शायद कोई आतंकी हमला हुआ है, लेकिन बाद में पता चला कि यह युद्धकालीन बम है। प्रशासन ने समय रहते हमें सुरक्षित निकाल लिया।”
पर्यावरणीय और संरचनात्मक जांच
बम मिलने के बाद विशेषज्ञों ने आसपास की जमीन और संरचनाओं की जांच शुरू कर दी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कहीं और भी कोई विस्फोटक सामग्री तो दबा नहीं है। निर्माण कंपनी को भी अस्थायी रूप से काम रोकने के निर्देश दिए गए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में और भी ऐतिहासिक विस्फोटक हो सकते हैं, इसलिए आगे खुदाई से पहले गहन स्कैनिंग जरूरी होगी।
हांगकांग की सरकार और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
हांगकांग सरकार ने इस पूरी घटना पर संतोष जताया कि किसी प्रकार की जनहानि या संपत्ति का नुकसान नहीं हुआ। मुख्य कार्यकारी जॉन ली ने बयान जारी कर पुलिस और विस्फोटक निवारण टीम की तत्परता की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह घटना याद दिलाती है कि शहर का इतिहास कितना गहरा है और युद्ध के अवशेष आज भी अप्रत्याशित रूप से सामने आ सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इस घटना ने ध्यान खींचा। ब्रिटेन और अमेरिका के दूतावासों ने अपने नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी, हालांकि किसी बड़े खतरे की आशंका को खारिज किया गया।
आगे की राह
विशेषज्ञों का कहना है कि युद्धकालीन अवशेषों से निपटने के लिए हांगकांग को एक दीर्घकालिक नीति बनानी चाहिए। निर्माण स्थलों पर उन्नत ग्राउंड-स्कैनिंग तकनीक का उपयोग अनिवार्य करने की सिफारिश की जा रही है। इससे भविष्य में ऐसी घटनाओं को समय रहते रोका जा सकेगा।
स्थानीय लोग अब सामान्य दिनचर्या में लौट रहे हैं, लेकिन यह घटना उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध की भयावहता की याद दिलाती रहेगी।