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Sat. Oct 25th, 2025

अयोध्या में आयोजित दीपोत्सव 2025 ने इस बार नए रिकॉर्ड स्थापित किए हैं। इस धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव में केवल पांच दिनों में पांच लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने रामलला के दर्शन किए। इस दौरान अयोध्या की अर्थव्यवस्था भी बूम करने लगी और छोटे-बड़े व्यापारियों के लिए यह मुनाफे का सुनहरा अवसर साबित हुआ। अर्थशास्त्री प्रो. विनोद श्रीवास्तव का कहना है कि दीपोत्सव में हुए कारोबार ने अयोध्या की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है।

पांच दिन में अयोध्या में बड़ी भीड़ ने बनाई धूम

16 अक्टूबर से 22 अक्टूबर के बीच अयोध्या में लगभग आठ लाख श्रद्धालुओं ने दर्शन और पूजा-अर्चना में हिस्सा लिया। दीपोत्सव के अगले दिन से लगातार तीन दिनों की छुट्टियों के चलते श्रद्धालुओं की भीड़ शहर में उमड़ पड़ी। शाम के समय अयोध्या की भव्यता को निहारने के लिए लोग विशेष रूप से राम की पैड़ी और अन्य पवित्र स्थलों पर पहुंचे। इस दौरान होटल और रेस्टोरेंट 90 प्रतिशत तक भरे रहे।

जलपान, प्रसाद सामग्री, राम नामी और फोटो विक्रेताओं को खूब आय हुई। अनुमान है कि केवल दीपोत्सव के दौरान अयोध्या की अर्थव्यवस्था में करीब पांच करोड़ रुपये का प्रवाह हुआ। ऐसे में यह स्पष्ट हो गया कि अयोध्या में धार्मिक उत्सव न केवल आस्था का केंद्र हैं, बल्कि व्यापारिक गतिविधियों को भी नई दिशा प्रदान करते हैं।

छोटे व्यापारी भी चमके

दीपोत्सव के दौरान अयोध्या के छोटे व्यापारी भी खूब लाभ में रहे। राम की पैड़ी के पास नींबू की चाय बेच रहे फेरीवाले ने बताया कि दीपोत्सव के दौरान वह रोजाना करीब दो हजार चाय बेच रहे थे। सामान्य दिनों में यह संख्या केवल 50 तक ही होती थी।

व्यापारी नेता पंकज गुप्ता का कहना है कि दीपोत्सव ने अयोध्या की अर्थव्यवस्था को नया आयाम दिया है। छोटे व्यवसायियों को भी लाभ हुआ और कारोबार सामान्य दिनों की तुलना में तीन गुना बढ़ गया। दीया बनाने वाले कुम्हारों और प्रसाद बेचने वाले व्यवसायियों ने भी इस दौरान कई महीनों की आय केवल पांच दिनों में प्राप्त कर ली।

विदेशी पर्यटकों की बड़ी संख्या

इस साल दीपोत्सव में विदेशी पर्यटकों की संख्या भी उल्लेखनीय रही। गाइड अभिषेक के अनुसार, पिछले एक सप्ताह में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, कनाडा, नीदरलैंड, फिजी, श्रीलंका, इंडोनेशिया, रूस और थाईलैंड से लगभग 100 विदेशी पर्यटक अयोध्या आए।

विदेशी पर्यटक रामलला, हनुमानगढ़ी सहित अयोध्या के अन्य स्थलों का भ्रमण कर दर्शन-पूजन में शामिल हुए। कई विदेशी श्रद्धालुओं ने श्रीराम की फोटो और अयोध्या का प्रसाद तथा सरयू जल अपने साथ ले जाने की इच्छा जताई। इस प्रकार दीपोत्सव ने न केवल स्थानीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अयोध्या की पहचान को मजबूत किया।

कारोबार में अभूतपूर्व वृद्धि

अर्थशास्त्री प्रो. विनोद श्रीवास्तव का कहना है कि दीपोत्सव के दौरान अयोध्या की अर्थव्यवस्था ने नई ऊंचाई हासिल की है। बिड़ला धर्मशाला के सामने चंदन बेचने वाले अनिल पांडेय ने बताया कि 18 से 22 अक्टूबर तक उनकी रोजाना आय चार से पांच हजार रुपये रही, जबकि सामान्य दिनों में यह सिर्फ 500 रुपये थी।

दीया बनाने वाले कुम्हारों की आय भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ी। एक प्रसाद व्यवसायी ने कहा कि जितनी आय आम दिनों में तीन महीने में होती थी, उतनी केवल पांच दिनों में हुई। यह आंकड़े स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि दीपोत्सव अयोध्या के व्यापार और आर्थिक गतिविधियों के लिए कितना महत्वपूर्ण है।

अयोध्या में होटल और रेस्टोरेंट का जाम

दीपोत्सव के दौरान अयोध्या के होटल और रेस्टोरेंट पूरी तरह भरे रहे। होटल व्यवसायियों का कहना है कि सामान्य दिनों की तुलना में इस बार व्यवसाय तीन से चार गुना बढ़ गया। स्थानीय खान-पान, जलपान और रेस्टोरेंट व्यवसायियों को भी अच्छा मुनाफा हुआ।

शहर में आए पर्यटकों ने खरीदारी और धार्मिक सामग्री में भी खूब पैसा खर्च किया। दीपोत्सव ने यह साबित किया कि धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करते हैं।

अयोध्या में पर्यटकों ने की खरीदारी

पर्यटकों ने केवल पूजा-अर्चना और दर्शन ही नहीं किए, बल्कि स्थानीय दुकानों से काफी खरीदारी भी की। चंदन, दीये, आरती सामग्री, राम-लक्ष्मण की फोटो और प्रसाद सामग्री की बिक्री में इस दौरान भारी उछाल देखा गया। छोटे-छोटे स्टॉल और दुकानें भी इस दौरान भरपूर आय में रही।

दीपोत्सव का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व

दीपोत्सव केवल आर्थिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है। इस दौरान शहर में साफ-सफाई, सुरक्षा और यातायात व्यवस्थाओं को लेकर प्रशासन विशेष रूप से सतर्क रहता है। श्रद्धालुओं के लिए सुविधाओं का पूरा इंतजाम किया गया।

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