Central Industrial Security Force CISF के रिटायर्ड कर्मचारियों को मदिरा (शराब) की सुविधा देने के लिए बड़ा निर्णय लिया गया है। साथ ही बल के जवानों ने 30 दिनों की वार्षिक छुट्टी के साथ 30 दिनों का लीव इनकैशमेंट (छुट्टी का नकद लाभ) देने की मांग भी उठाई है। यह खबर सुरक्षा बलों में कल्याण और आजीवन सुविधाओं से जुड़ी वादों पर एक महत्वपूर्ण मोड़ की तरह देखी जा रही है।
रिटायर्ड CISF कर्मियों को मदिरा सुविधा — क्या है फैसला?
सीआईएसएफ मुख्यालय ने जानकारी दी है कि अब रिटायर्ड कर्मियों को मदिरा की सुविधा मिलेगी। इसके लिए उन्हें किसी विशेष कैंटीन या खरीद स्थान पर पंजीकरण कराने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। वे केंद्रीकृत शराब प्रबंधन प्रणाली (CLMS) ऐप का उपयोग करके किसी भी नजदीकी कैंटीन से मदिरा ले सकते हैं।
यह बदलाव केरल उच्च न्यायालय के एक निर्णय के बाद आया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि जब अन्य केंद्रीय सशस्त्र बलों (CAPFs) के रिटायर्ड कर्मियों को मदिरा सुविधा दी जा रही है, तो CISF रिटायर्ड कर्मियों को इससे वंचित रखना भेदभावपूर्ण है। कोर्ट ने इसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 (सबके लिए समान अधिकार) के विरोध में बताया था।
इस फैसले के बाद CISF के रिटायर्ड कर्मियों को मदिरा की सुविधा मिलने की राह साफ हो गई है। यह बदलाव न केवल उनके कल्याण के अधिकार को मान्यता देता है, बल्कि उन कर्मियों को भी सम्मान और सुविधा देता है, जो देश की सुरक्षा में कई सालों तक सेवा दे चुके हैं।
CLMS App से मदिरा लेने का आसान तरीका
अब रिटायर्ड CISF कर्मी CLMS ऐप के ज़रिए मदिरा की सुविधा का लाभ उठा सकेंगे। ऐप में पंजीकरण करने के बाद वे नजदीकी सुरक्षा बल कैंटीन से मदिरा ले सकते हैं। इससे उन्हें राशन, मदिरा या अन्य वस्तुएँ खरीदने में सुविधा मिलती है — जैसे कि वे सेवा में रहते हुए पाते थे।
CLMS (Central Liquor Management System) के बारे में सुरक्षा बलों का पूर्व उदाहरण — जैसे कि CRPF कैंटीन से मदिरा खरीदने की सुविधा — पहले भी अन्य जवानों के लिए लागू थी, लेकिन उसे CISF रिटायर्ड कर्मियों तक नहीं पहुंचाया गया था। कोर्ट के निर्देशों से अब यह भेदभाव समाप्त हो गया है।
जवानों की मांग: 30 दिनों की छुट्टी + लीव इनकैशमेंट
CISF के जवानों ने मुख्यालय के सामने दो गंभीर मांगें रखी हैं:
✔️ 1. वार्षिक अवकाश — 30 दिनों की छुट्टी
वर्तमान में CISF जवानों को 30 दिनों का वार्षिक अवकाश मिलता है, जो अन्य केंद्रीय बलों की तुलना में कम माना जाता है। कई जवान लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं कि यह छुट्टी बढ़ाई जाए ताकि वे अपने परिवार के साथ अधिक समय बिता सकें।
✔️ 2. लीव इनकैशमेंट (छुट्टी का नकद लाभ) — 30 दिन
जवानों ने कहा है कि वे 30 दिनों की छुट्टी के साथ साथ 30 दिनों का लीव इनकैशमेंट भी चाहते हैं। इसका मतलब है कि यदि वे अपनी सभी छुट्टियाँ उपयोग नहीं करते हैं, तो उनसे जुड़े वित्तीय लाभ (कैश) उन्हें मिलें, जो उनके परिवार की भलाई और वित्तीय सुरक्षा में मदद करेगा।
सीआईएसएफ महासचिव रणबीर सिंह ने बताया कि सैनिकों के बीच सर्वे किया गया था, जिसमें जवानों ने यही विकल्प चुना — 30 दिन की छुट्टी + 30 दिन का इनकैशमेंट। यह समझौता, जवानों की इच्छाओं की अभिव्यक्ति है और बल के कल्याण के लिए एक प्रस्तावित कदम माना जा रहा है।
CISF में छुट्टियों की बहस और वादे
CISF जवानों के बीच यह भी चर्चा है कि केंद्रीय गृह मंत्री ने पहले 100 दिनों की छुट्टी देने का वादा किया था, लेकिन बल को अभी भी 30 दिनों का ही वार्षिक अवकाश मिलता है—जो जवानों को संतुष्ट नहीं कर रहा है। उनका कहना है कि कम छुट्टियाँ परिवार के साथ समय बिताने, मानसिक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता के लिहाज़ से पर्याप्त नहीं हैं।
इसके अलावा, जवानों ने CISF प्रमुख और अधिकारियों से सर्वेक्षण रिपोर्ट की मांग की है ताकि यह देखा जा सके कि कितने जवान वास्तव में 30 दिनों की छुट्टी के साथ 30 दिनों का इनकैशमेंट चाहते हैं — इससे यह समझने में मदद मिलेगी कि बल के भीतर क्या वास्तविक इच्छाएँ हैं।
‘सीएपीएफ फ्लैग डे फंड’ की मांग
CISF के अलायंस ऑफ ऑल एक्स पैरामिलिट्री फोर्सेस वेलफेयर एसोसिएशन ने यह सुझाव भी दिया है कि सुरक्षा बलों के परिवारों और रिटायर्ड कर्मियों को आर्थिक मदद देने वाली ‘सीएपीएफ फ्लैग डे फंड’ की स्थापना की जाए। इसका उद्देश्य शहीद जवानों के परिवार, रिटायर्ड कर्मियों, और गैर-पेंशनभोगी कर्मियों को वित्तीय सहायता देना है — खासकर कठिन परिस्थितियों में।
यह पहल जवानों और उनके परिवारों के कल्याण के लिए एक बड़ा कदम हो सकता है, जिससे बल की सेवा के दौरान और बाद में आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
विशेषज्ञों और विश्लेषकों की राय
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि रिटायर्ड कर्मियों को मदिरा सुविधा देना एक बड़ा सुधार है और यह समानता-आधारित फैसले की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। इससे यह संदेश मिलता है कि सेवा समाप्त होने के बाद भी जवानों को समान सुविधाएँ देने की जिम्मेदारी है।
विशेषज्ञों का यह भी मत है कि जवानों की छुट्टियों और इनकैशमेंट की मांग पारिवारिक स्थिरता, मानसिक स्वास्थ्य और पेशेवर संतुलन के लिहाज़ से जायज़ है। कई मामलों में कम छुट्टियाँ जवानों को मानसिक तनाव और परिवार से दूरी बढ़ने जैसी चुनौतियों का सामना करने पर मजबूर करती हैं।
यह भी पढ़ें – पाकिस्तान के पीएम शहबाज़ शरीफ़ की पुतिन-एर्डोगन मीटिंग में ‘गेटक्रैशिंग’: 40 मिनट इंतजार के बाद कूटनीतिक घटना\
