1. संकट की शुरुआत — उड़ानों में बड़े पैमाने पर रद्दियाँ और हड़बड़ी
IndiGo पिछले कुछ दिनों में IndiGo की उड़ानों में अचानक कई रद्दियाँ हो रही थीं। नवंबर 2025 के लिए DGCA ने एयरलाइन को कुल 64,346 उड़ानों की मंजूरी दी थी — लेकिन रिपोर्ट के अनुसार, एयरलाइन सिर्फ 59,438 उड़ानों का संचालन ही कर पाई। यानी लगभग 5,000 उड़ानें या लगभग 951 रद्दियों का आंकड़ा सामने आया।
इसके अलावा, एयरलाइन को विंटर शेड्यूल 2025 में 403 विमानों का उपयोग करने की अनुमति थी, लेकिन असली आंकड़ा कम रहा — अक्टूबर में 339 विमान और नवंबर में 344 विमान ही इस्तेमाल हुए। इससे संकेत मिलते हैं कि विमान और पायलट-स्टाफ की उपलब्धता या शेड्यूलिंग में समस्या थी।
इस असफल परिचालन ने यात्रियों को बड़ी असुविधा दी — उड़ानें रद्द, लगेज खिसकने, चेंज-एयरिंग, लंबे इंतजार, और आने-जाने की योजना पूरी तरह प्रभावित।
2. DGCA का कदम — 5% → 10% कटौती, नया शेड्यूल मांगा
इस लोकप्रिय और सबसे बड़े डोमेस्टिक कैरियर की यह खराब प्रदर्शन DGCA और सरकार दोनों के लिए चिंता का विषय बन गया। पहले DGCA ने आदेश दिया कि एयरलाइन अपनी मंजूर उड़ानों से 5% तक कटौती करे।
लेकिन बाद में, स्थिति की गंभीरता को देखते हुए, सरकार ने कटौती का दायरा बढ़ा दिया। अब आदेश आया है कि कुल उड़ानों में 10% तक कटौती की जाए।
DGCA ने ज़ोर दिया है कि यह कटौती विशेष रूप से उन रूट्स और फ्लाइट-सेगमेंट्स पर हो, जहां “High-demand” और “High-frequency” उड़ानें चलती थीं। साथ ही, किसी रूट पर “सिंगल उड़ान” (single-flight operation) को बंद करने की भी बात कही गई है।
अधिकारियों ने IndiGo से 10 दिसंबर तक नया, स्थिर शेड्यूल प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
क्यों IndiGo को सबसे अधिक असर हुआ — समीक्षा
इस बात का स्पष्ट कारण है कि IndiGo अकेली ऐसी एयरलाइन है जो भारत में सबसे अधिक उड़ानें चलाती है — रोजाना करीब 2,200 से अधिक।
- वह एक लो-कॉस्ट एयरलाइन है, जिसका मॉडल है — विमान और पायलट/स्टाफ का अधिकतम उपयोग। यानी हर विमान व क्रू का कम-से-कम समय खाली होना चाहिए। इसमें “हाँ, जितना काम उतना लाभ” का आधार था।
- लेकिन नए क्रू-आराम और ड्यूटी नियमों (FDTL norms — फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन) के कारण पायलट व क्रू का शेड्यूलिंग मुश्किल हो गया। रात की कई लैंडिंग्स पर कैप लगी, पायलटों को अधिक आराम देने की जरूरत पड़ी, जिससे पायलट घंटे और उपलब्धता सीमित हुए।
- अन्य एयरलाइनों की तुलना में, IndiGo की उड़ानों की संख्या और रात की फ्लाइट्स ज्यादा थीं — इस वजह से नया नियम सबसे ज़्यादा असरकारक साबित हुआ।
- साथ ही, स्टाफिंग और कंटिंगेंसी (backup staff / fleet) की कमी ने समस्या को और गहरा बना दिया। दूसरे एयरलाइनों के लिए हल हो रही समस्या, IndiGo के लिए विकट बन गई
इस प्रकार, IndiGo की परिचालन रणनीति (lean staffing + high utilization) + नए नियमों का असर + समय पर तैयारी न करना — यह त्रिकोण उसकी सेहत के लिए घातक साबित हुआ।
असर: यात्रियों, एयरलाइन और पूरे एविएशन सेक्टर पर -IndiGo
— यात्रियों के लिए: असुविधा, भरोसे की हानि, बढ़ते किराए
हजारों यात्रियों की यात्रा रद्द हुई, कई का सफर अधूरा रह गया, कई अपना टिकट कैंसिल कराने में असमर्थ रहे; लगेज गुम हुए या देर से पहुंचे; चेंज-एयरिंग के दौरान होटल-रहने, भोजन, ट्रांसपोर्ट जैसी अतिरिक्त मुश्किलों का सामना करना पड़ा।
कई लोगों ने सोशल मीडिया और मीडिया रिपोर्ट में ऐसी शिकायतें कीं कि रद्दीकरण के बावजूद उन्हें समय पर सूचना नहीं मिली। कईयों को रात के 2-3 बजे एयरपोर्ट पर खड़े रहना पड़ा। अदालतों और निजी व्यवस्था की कमी ने स्थिति और खराब की। (कुछ यात्रियों ने लिखा कि यह “refugee-camp जैसा माहौल” था
यात्रियों का भरोसा घटी — जिस एयरलाइन पर वह भरोसा करके टिकट खरीदे थे, वह उम्मीदों पर खरा नहीं उतरी।
IndiGo के लिए: वित्तीय व प्रतिष्ठा संबंधी बड़ा झटका-
सरकारी आदेश के तहत 5% और अब 10% कटौती — इसका सीधा मतलब है: पहले से कम उड़ानें, कम राजस्व, कम लाभ, और (शायद) मार्केट शेयर में गिरावट।
इतना ही नहीं — इसकी प्रतिष्ठा को भी बड़ा धक्का लगा है। एक ऐसे समय में जब IndiGo देश की सबसे भरोसेमंद व बजट-फ्रेंडली एयरलाइनों में एक थी, यह घटना इस भरोसे को हिला गई।
वित्तीय रूप से — रद्द हुई उड़ानों की भरपाई, रिफंड, ग्राहक शिकायतों का सामना — सब मिलकर लागत बढ़ा रहे हैं।
वहीं, प्रतिस्पर्धी एयरलाइनों (जिन्हें FDTL नियमों का असर कम हुआ है) को यह एक मौका दे रहे हैं — वे अपनी क्षमता बढ़ाकर IndiGo की जगह लेने की कोशिश कर सकते हैं।
सरकार और DGCA का रुख — जिम्मेदारी व सुधार
सरकार और DGCA (नागर विमानन मंत्रालय सहित) ने स्पष्ट किया है कि वे इस तरह के बड़े परिचालन असफलता को बर्दाश्त नहीं करेंगे। 10% कटौती का आदेश, संशोधित शेड्यूल मांगना, रिफंड व लगेज वापसी के निर्देश — यह संकेत है कि उन्हें सुरक्षा, परिचालन स्थिरता और यात्रियों के हित सुरक्षा की चिंता है।
वर्तमान कार्रवाई का मकसद केवल “सजा देना” नहीं, बल्कि “एयरलाइन ऑपरेशन को सुधारना” है — ताकि एयर यातायात में भरोसा बहाल हो सके और भविष्य में ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों। सरकार ने यह भी कहा है कि कटौती के बाद भी IndiGo अपने गंतव्यों पर उड़ानें जारी रखेगा; मतलब, connectivity को पूरी तरह बाधित नहीं किया जाएगा।
