ISRO के प्रमुख डॉ. एस. सोमनाथ ने भविष्य में संभावित एस्टेरॉयड टकराव के खतरे को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। उन्होंने बताया कि यदि कोई बड़ा एस्टेरॉयड धरती से टकराता है, तो इसका परिणाम मानवता के लिए विनाशकारी हो सकता है। इस समय, इसरो इस संभावित खतरनाक एस्टेरॉयड पर गहरी निगरानी रखे हुए है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर इस चुनौती का सामना करने के लिए तैयार है।
ISRO के डॉ. सोमनाथ ने इंटरव्यू में क्या कहा
डॉ. सोमनाथ ने एक हालिया इंटरव्यू में कहा, “अगर एक बड़ा एस्टेरॉयड धरती से टकराता है, तो यह न केवल एक भौतिक आपदा होगी, बल्कि इससे पूरी मानवता पर गंभीर असर पड़ेगा। इसरो इस समय इस एस्टेरॉयड पर लगातार निगरानी कर रहा है और ट्रैकिंग के लिए ‘नेट्रा’ (NETRA) प्रोजेक्ट चला रहा है।” एपोफिस (Apophis) नामक यह एस्टेरॉयड विशेष चिंता का विषय है। इसकी खोज 2004 में की गई थी और यह करीब 1230 फीट चौड़ा है, जो तीन फुटबॉल स्टेडियमों के आकार के बराबर है।
पांच साल बाद धरती के बेहद नजदीक आ जाएगा
इस एस्टेरॉयड के धरती के करीब आने का खतरा 2029 और 2036 में उत्पन्न हो सकता है। विशेष रूप से, 13 अप्रैल 2029 को एपोफिस धरती से केवल 32,000 किलोमीटर दूर से गुजरेगा, जो पृथ्वी के जियोस्टेशनरी सैटेलाइट्स की कक्षा के काफी करीब है। इसके बाद, यह 2036 में फिर से धरती के पास से गुजरेगा। हालांकि, वर्तमान में इसका धरती से टकराने की संभावना कम है, लेकिन वैज्ञानिक इसे पूरी तरह से नकार भी नहीं रहे हैं।
यदि एपोफिस धरती से टकराता है, तो इसके परिणाम स्वरूप एशिया के एक बड़े हिस्से में विनाश हो सकता है। इस टकराव की जगह से चारों ओर करीब 20 किलोमीटर के दायरे में भारी तबाही हो सकती है, जो किसी भी प्रकार के जीव-जंतुओं की जीवनरेखा को समाप्त कर सकती है।
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एस्टेरॉयड के धरती की ओर आने का एक प्रमुख कारण सूर्य की गर्मी से उत्पन्न यार्कोवस्की प्रभाव हो सकता है। इस प्रभाव के तहत, एस्टेरॉयड की दिशा और गति में बदलाव आता है, जो इसकी पृथ्वी की ओर बढ़ती गति को प्रभावित कर सकता है।
वर्तमान में, ISRO, NASA, और यूरोपियन स्पेस एजेंसी जैसे वैश्विक संगठन एपोफिस की ट्रैकिंग और संभावित प्रभाव का आकलन कर रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती से टकराने का खतरा 1.50 लाख में एक बार हो सकता है, लेकिन इस खतरे की सही स्थिति 2029 के फ्लाइबाय के बाद बेहतर ढंग से समझी जा सकेगी। जब एपोफिस धरती से मात्र 32,000 किलोमीटर की दूरी पर होगा, तब इससे प्राप्त डेटा से भविष्य की योजना को और सटीक बनाया जा सकेगा।
इस संदर्भ में, वैश्विक स्तर पर सुरक्षा उपायों और तैयारियों को लेकर गंभीरता से काम किया जा रहा है, ताकि किसी भी संभावित आपदा से निपटा जा सके और मानवता को सुरक्षित रखा जा सके।