कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु पिछले कई महीनों से सड़कों की खस्ता हालत और जगह-जगह गड्ढों को लेकर लगातार सुर्खियों में है। आईटी हब और स्टार्ट-अप सिटी कहे जाने वाले इस शहर की सड़कों की दुर्दशा को लेकर विपक्ष, स्थानीय नागरिक और सोशल मीडिया यूज़र्स लगातार सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। इसी बीच राज्य के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने सोमवार को एक ऐसा बयान दिया जिसने इस बहस को और तेज कर दिया। उन्होंने साफ कहा कि गड्ढों की समस्या केवल बेंगलुरु तक सीमित नहीं है, बल्कि देश की राजधानी दिल्ली तक फैली हुई है।
“प्रधानमंत्री आवास के सामने भी गड्ढे हैं” – कर्नाटक
मीडिया से बातचीत में डी.के. शिवकुमार ने कहा,
“गड्ढे केवल बेंगलुरु की सड़कों पर नहीं हैं, दिल्ली में भी हैं। प्रधानमंत्री के घर के सामने भी गड्ढे मिल जाएंगे। गड्ढों को लेकर हमारी सरकार पर लगातार उंगलियां उठाई जा रही हैं, लेकिन ये समस्या पूरे देश में मौजूद है।”
उनका यह बयान न केवल कर्नाटक बल्कि पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया। शिवकुमार ने कहा कि राजधानी दिल्ली, जो भारत सरकार का सबसे बड़ा प्रशासनिक केंद्र है, वहां तक में सड़कें पूरी तरह गड्ढामुक्त नहीं हैं। उनका यह तर्क विपक्ष द्वारा की जा रही आलोचना का सीधा जवाब माना जा रहा है।
कर्नाटक के बेंगलुरु की सड़कें क्यों बनीं चिंता का विषय
पिछले कुछ सालों में बेंगलुरु की सड़कों की हालत लगातार बिगड़ती गई है। आईटी कंपनियों के वैश्विक कार्यालय, भारी ट्रैफिक और लगातार बढ़ते वाहन दबाव ने शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़ा बोझ डाला है। बारिश के मौसम में सड़कों पर पानी भरना आम बात है, जिससे गड्ढों की समस्या और गंभीर हो जाती है।
कई जगह सड़क पर बड़े-बड़े गड्ढों के कारण हादसे हुए हैं।
नागरिक निकाय ब्रुहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) पर रखरखाव में लापरवाही के आरोप लगते रहे हैं।
सोशल मीडिया पर #BengaluruPotholes और #NammaRoads जैसे हैशटैग ट्रेंड कर चुके हैं।
इन्हीं मुद्दों को लेकर विपक्षी दल लगातार सरकार को घेर रहे हैं और मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री पर सीधे आरोप लगा रहे हैं।
“हम दिन-रात काम कर रहे हैं” – सरकार का दावा
शिवकुमार ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि राज्य सरकार इस समस्या को हल करने के लिए गंभीर है। उन्होंने कहा,
“हमारी टीमें चौबीसों घंटे काम कर रही हैं। बेंगलुरु में गड्ढों को भरने और सड़कों की मरम्मत का काम तेजी से चल रहा है। बारिश ने दिक्कतें बढ़ाई हैं, लेकिन हम लगातार निगरानी कर रहे हैं।”
बीबीएमपी ने भी हाल ही में घोषणा की थी कि वह आने वाले महीनों में हजारों किलोमीटर सड़कों की मरम्मत और पुनर्निर्माण का लक्ष्य रख रही है। इसके लिए अतिरिक्त बजट भी आवंटित किया गया है और ठेकेदारों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि काम की गुणवत्ता से कोई समझौता न हो।
कर्नाटक में विपक्ष के हमले और जनता का गुस्सा
कर्नाटक में विपक्षी दल बीजेपी और जेडीएस ने शिवकुमार के बयान को सरकार की असफलता छिपाने की कोशिश बताया है। बीजेपी नेताओं ने कहा कि दिल्ली की सड़कों का उदाहरण देकर बेंगलुरु की समस्याओं को नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता।
सोशल मीडिया पर भी लोगों ने मिश्रित प्रतिक्रिया दी। कुछ यूज़र्स ने शिवकुमार की तुलना को “सही” बताया, तो कई ने कहा कि “दूसरे राज्यों की खामियों को गिनाने से कर्नाटक की जिम्मेदारी खत्म नहीं होती।” बेंगलुरु के आम नागरिकों का कहना है कि रोज़मर्रा की जिंदगी पर गड्ढों का गहरा असर है—ट्रैफिक जाम, हादसे, वाहनों की मरम्मत पर अतिरिक्त खर्च और समय की बर्बादी।
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में गड्ढों की समस्या
शिवकुमार के बयान ने एक बड़े मुद्दे को सामने ला दिया: भारत में सड़क रखरखाव की गुणवत्ता।
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई जैसे बड़े महानगरों में भी बरसात के दौरान सड़कें टूटना आम है।
सेंट्रल रोड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CRRI) और कई एनजीओ की रिपोर्ट बताती हैं कि भारत में सड़क निर्माण में गुणवत्ता नियंत्रण की चुनौतियां हैं।
कई राज्यों में ठेकेदारों पर घटिया निर्माण सामग्री इस्तेमाल करने के आरोप लगते रहते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक निगरानी और रखरखाव की ठोस व्यवस्था नहीं होगी, तब तक समस्या दोहराई जाती रहेगी।
तकनीकी और नीतिगत सुधार की जरूरत
इंफ्रास्ट्रक्चर विशेषज्ञ सुझाव देते हैं कि:
सड़क निर्माण में उच्च गुणवत्ता वाली बिटुमिनस सामग्री, बेहतर ड्रेनेज सिस्टम और आधुनिक मशीनरी का उपयोग हो।
गड्ढों की मरम्मत में कोल्ड मिक्स टेक्नोलॉजी जैसी नई तकनीक अपनाई जाए, ताकि बारिश के मौसम में भी काम किया जा सके।
नागरिक निकायों के लिए ऑनलाइन मॉनिटरिंग सिस्टम बनाया जाए, जिसमें जनता सीधे गड्ढों की शिकायत दर्ज कर सके और मरम्मत की समयसीमा तय हो।
कई शहरों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में मोबाइल ऐप और जीपीएस आधारित शिकायत प्रणाली शुरू भी की गई है, जिससे लोगों को पारदर्शिता का भरोसा मिल सके।
बेंगलुरु का आर्थिक महत्व और सड़कें
बेंगलुरु भारत का आईटी हब होने के साथ-साथ स्टार्टअप्स की राजधानी है। हर दिन लाखों लोग यहां आवाजाही करते हैं।
सड़कें खराब होने से ट्रैफिक जाम बढ़ता है, जिससे कामकाजी उत्पादकता पर असर पड़ता है।
कई विदेशी निवेशक और बहुराष्ट्रीय कंपनियां शहर के इंफ्रास्ट्रक्चर को लेकर चिंतित रहती हैं।
एयरपोर्ट और इंडस्ट्रियल हब तक जाने वाली सड़कों की स्थिति व्यापार और पर्यटन दोनों को प्रभावित करती है।
इसी कारण विशेषज्ञ बार-बार चेतावनी देते हैं कि अगर सड़कें सुधरीं नहीं, तो बेंगलुरु की आर्थिक रफ्तार को बड़ा झटका लग सकता है।
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