ढाका में भारतीय मिशन के खिलाफ मार्च, पुलिस ने रोक दिया विरोधी समूह को
बांग्लादेश, 17 दिसंबर 2025 — बांग्लादेश की राजधानी ढाका में आज एक बड़े विरोध प्रदर्शन (protest march) का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने भारतीय हाई कमीशन (Indian High Commission) की ओर मार्च करने का प्रयास किया। पुलिस ने उन्हें रोक दिया और विरोध को वहीं पर समाप्त कर दिया गया। यह पूरी घटना ढाका के Rampura Bridge से शुरू हुई और North Badda / Hossain Market इलाके में समाप्त हुई, जहाँ पुलिस ने मार्च को रोक दिया।
प्रदर्शन का आयोजन और मांगें – ढाका
प्रदर्शन का नेतृत्व एक समूह ने किया, जो खुद को “July Oikya” मंच के नाम से पहचानता है। इस मंच का उद्देश्य सरकारी विरोधी राजनीतिक गतिविधियों के साथ-साथ बांग्लादेश में वर्तमान राजनीतिक माहौल के खिलाफ आवाज उठाना रहा है। विशेष रूप से प्रदर्शनकारियों ने निम्नलिखित मांगों को उठाया:
पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके साथियों को भारत से वापस लाने की मांग।
Julay Uprising के दौरान हुई घटनाओं से जुड़े लोगों के खिलाफ जिम्मेदारी तय करना।
भारत पर “प्रभाव विस्तार” और “राजनीतिक हस्तक्षेप” के आरोप लगाना।
पुलिस की रोकथाम और सुरक्षा प्रबंध
प्रदर्शनकारियों के बढ़ते कदमों को देखते हुए ढाका पुलिस ने सुरक्षा बढ़ा दी थी। पुलिस बलों को गुलशन और डिप्लोमैटिक ज़ोन में तैनात किया गया, ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना या हिंसा न हो। प्रदर्शन का मार्ग Ramapura Bridge से North Badda की ओर था, लेकिन पुलिस ने Uttar Badda Road पर Barricades लगाकर प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोक दिया।
जब प्रदर्शनकारी पुलिस Barricade को तोड़ने का प्रयास कर रहे थे, तो उन्हें वहीं पर रुकना प़ड़ा और उन्होंने 4:15 बजे के आसपास Pragati Sarani रोड पर सड़क जाम कर दिया, जिससे इलाके में ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई। प्रदर्शनकारियों ने वहीं पर बैठकर भाषण और नारेबाज़ी जारी रखी।
पुलिस ने प्रदर्शन को रोकते हुए कहा कि यह कदम कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जरूरी है और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए किया गया है।
प्रदर्शनों के कारण और राजनीतिक पृष्ठभूमि
इस मार्च का एक बड़ा कारण बांग्लादेश में राजनीतिक तनाव को दर्शाता है। प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि भारतीय राजनीतिक हस्तक्षेप बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति को प्रभावित कर रहा है। “July Oikya” मंच के नेताओं ने कहा कि वे किसी भी तरीके से हिंसा या अराजकता फैलाना नहीं चाहते, लेकिन वे भारत को संदेश देना चाहते हैं कि “कोई भी देश अपनी प्रभुता पर हावी नहीं हो सकता।” (
प्रदर्शनकारियों ने यह भी कहा कि यदि उनके मुख्य मुद्दों, जैसे शेख हसीना और अन्य नेताओं के प्रत्यर्पण की मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आगे आने वाले दिनों में कड़ा आंदोलन किया जाएगा।
ट्रैफिक और दैनिक जीवन पर प्रभाव
प्रदर्शन के कारण Pragati Sarani और Badda-Gulshan लिंक रोड जैसी महत्वपूर्ण सड़कों पर भारी ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी। पुलिस ने कई मार्गों पर वाहन आवागमन को रोका, जिससे ढाका के कई हिस्सों में देर शाम तक वाहन धीमी गति से चले। प्रशासन ने ड्राइवरों और आम जनता से संयम रखने और वैकल्पिक मार्ग चुनने की सलाह दी।
भारत की प्रतिक्रिया और कूटनीतिक तनाव – ढाका
इस घटना से पहले ही भारत ने अपने दूतावास से जुड़े सुरक्षा मुद्दों को लेकर बांग्लादेश के उच्चायुक्त को तलब कर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। भारत ने ढाका स्थित अपने मिशन के आसपास सुरक्षा खतरे के मद्देनजर चिंता जताई थीं। इस कदम को राजनयिक स्तर पर गंभीर माना गया है और दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति को दर्शाता है।
भारत ने यह भी कहा कि चरमपंथी तत्व ढाका में भारतीय मिशन के आसपास अशांति पैदा करने की कोशिश कर सकते हैं। इस पर भारत ने सुरक्षा उपायों और सूचना साझा करने का आग्रह किया।
बांग्लादेश की ओर से भी भारत के उच्चायुक्त की तलब और आलोचना के बाद यह स्पष्ट संकेत मिला कि दोनों देशों के बीच राजनयिक वार्ता और सुरक्षा चिंताओं को लेकर चर्चा बढ़ गई है।
शेख हसीना और राजनीतिक पृष्ठभूमि
पिछले कुछ महीनों से बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल जारी है। देश में आगामी संसदीय चुनाव 12 फरवरी 2026 को निर्धारित हैं और राजनीतिक दल मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए हर तरीका आजमा रहे हैं। इसी बीच वर्ष 2024 में शेख हसीना को पद से हटाया गया, और वे भारत में शरण ले चुकी हैं। बाद में उन्हें आरेापों में मौत की सज़ा भी सुनाई गई, जिससे राजनीतिक माहौल और भी उत्तेजित हो गया।
आज के प्रदर्शन का कारण भी इसी राजनीतिक तनाव से जुड़ा रहा, जिसमें प्रदर्शनकारी चाहते हैं कि उन्हें वापस बुलाया जाए और न्याय मिले। हालांकि भारत ने इस तरह के आरोपों को खारिज किया है और सुरक्षा पर अपने पक्ष को स्पष्ट किया है।
स्थिति कितनी संवेदनशील है? विशेषज्ञों की राय – ढाका
विशेषज्ञों का मत है कि यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण ढंग से समाप्त हुआ, लेकिन राजनयिक चिंताओं और सुरक्षा मुद्दों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। दोनों पड़ोसी देशों के बीच कूटनीतिक बातचीत और भरोसेमंद संचार चैनल महत्वपूर्ण हैं ताकि गलतफहमी और तनाव के कारण आगे असुरक्षा न बढ़े।
डिप्लोमैटिक मिशन के आसपास किसी भी तरह की हिंसा या अप्रिय घटना विएना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस, 1961 के तहत गंभीर उल्लंघन होगा, इसलिए दोनों देशों को सीमाओं के भीतर शांति एवं सुरक्षा बनाये रखना आवश्यक है।
