ताइवान और चीन के बीच तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को जानकारी दी कि उसने अपने क्षेत्रीय जल और हवाई क्षेत्र के पास चीन की सैन्य गतिविधि दर्ज की है। मंत्रालय के अनुसार, तीन चीनी सैन्य विमान और चार नौसैनिक जहाज ताइवान के आसपास सक्रिय देखे गए। इनमें से एक विमान ने ताइवान जलडमरूमध्य की “मध्य रेखा” (Median Line) पार कर ताइवान के उत्तरी हवाई रक्षा पहचान क्षेत्र (ADIZ) में प्रवेश किया।
यह घटना उस समय सामने आई है जब बीजिंग लगातार ताइवान पर सैन्य दबाव बना रहा है और अपने जहाजों व विमानों के जरिए ताइवान के आसपास निगरानी और शक्ति प्रदर्शन कर रहा है।
रक्षा मंत्रालय ने दी जानकारी, बढ़ी सतर्कता
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बताया कि गुरुवार सुबह तीन चीनी सैन्य विमान और चार नौसैनिक जहाजों की गतिविधि का पता चला। मंत्रालय ने कहा, “इनमें से एक विमान ने ताइवान के उत्तर में मध्य रेखा पार कर ADIZ में प्रवेश किया। ताइवान की सेना ने स्थिति की निगरानी की और आवश्यक जवाबी कदम उठाए।”
यह भी बताया गया कि ताइवान की नौसेना और वायु सेना को तुरंत सतर्क कर दिया गया, ताकि किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटा जा सके।
लगातार हो रही घुसपैठें
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने इस तरह की कार्रवाई की है। इससे एक दिन पहले, बुधवार को ताइवान ने दो चीनी सैन्य विमानों, चार नौसैनिक जहाजों और एक आधिकारिक चीनी पोत की गतिविधि दर्ज की थी। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि बुधवार की दोनों उड़ानें भी मध्य रेखा पार कर ताइवान के ADIZ में घुसी थीं।
इस तरह की बार-बार की घटनाएं यह दर्शाती हैं कि चीन लगातार ताइवान पर सैन्य दबाव बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है।
बीजिंग का दावा और ताइपे की नाराज़गी – रक्षा मंत्रालय
बीजिंग का स्पष्ट रुख है कि ताइवान उसका अभिन्न हिस्सा है, और यदि ज़रूरत पड़ी तो वह पुनः एकीकरण के लिए सैन्य शक्ति का उपयोग करेगा। दूसरी ओर, ताइवान का कहना है कि वह एक संप्रभु, लोकतांत्रिक राष्ट्र है और वह चीन के किसी भी दावे को स्वीकार नहीं करेगा।
ताइवान की राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन पहले भी कई बार कह चुकी हैं कि उनका देश आत्मरक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी अपील की है कि चीन की आक्रामक नीतियों का विरोध किया जाए।
अंतरराष्ट्रीय चिंता बढ़ी
चीन और ताइवान के बीच बढ़ते तनाव को लेकर अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने भी चिंता जताई है। अमेरिका का कहना है कि चीन की ये गतिविधियां क्षेत्रीय स्थिरता और इंडो-पैसिफिक सुरक्षा के लिए खतरा हैं।
वाशिंगटन ने बीजिंग को आगाह करते हुए कहा है कि वह ताइवान की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और जरूरत पड़ने पर वह “रक्षा सहायता” जारी रखेगा।
मध्य रेखा का महत्व
ताइवान जलडमरूमध्य की मध्य रेखा (Median Line) दोनों पक्षों के बीच एक अनौपचारिक सीमा मानी जाती है। 1950 के दशक में इस रेखा को अमेरिका ने एक प्रकार की “बफर लाइन” के रूप में प्रस्तावित किया था ताकि दोनों सेनाओं के बीच सीधा टकराव न हो।
लेकिन हाल के वर्षों में चीन बार-बार इस रेखा को पार कर ताइवान की हवाई सीमा में घुसपैठ कर रहा है। रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि बीजिंग का उद्देश्य ताइवान की वायुसेना पर “दबाव” बनाना और उसकी रडार निगरानी प्रणाली को थकाना है।
ताइवान की तैयारी और जवाबी कदम – रक्षा मंत्रालय
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि देश की वायुसेना ने तुरंत अपने कॉम्बैट एयर पैट्रोल (CAP) विमानों को सक्रिय किया, साथ ही समुद्री निगरानी और एंटी-मिसाइल रडार सिस्टम को भी चालू कर दिया गया।
मंत्रालय ने कहा कि हर बार की तरह इस बार भी चीन की घुसपैठ का जवाब शांतिपूर्वक और सटीकता से दिया गया। “हम अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने में सक्षम हैं,” मंत्रालय के बयान में कहा गया।
विश्लेषक क्या कहते हैं
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि चीन ताइवान के चुनावी माहौल और राजनीतिक परिदृश्य का फायदा उठाकर “मनोवैज्ञानिक दबाव” (Psychological Warfare) बना रहा है।
ताइपे स्थित सुरक्षा विश्लेषक लिन चेंग-यी के अनुसार, “चीन की ये गतिविधियां किसी बड़े हमले की तैयारी नहीं हैं, बल्कि ये ताइवान की रक्षा नीति और उसके अंतरराष्ट्रीय समर्थन का परीक्षण करने का तरीका हैं।”
उन्होंने कहा कि बीजिंग यह संदेश देना चाहता है कि वह ताइवान पर किसी भी समय दबाव बढ़ा सकता ह
अमेरिका और सहयोगी देशों का समर्थन
अमेरिका पहले ही यह साफ कर चुका है कि वह “ताइवान रिलेशंस एक्ट” के तहत ताइवान को सैन्य सहायता और हथियार उपलब्ध कराता रहेगा। हाल ही में अमेरिका ने ताइवान को आधुनिक वायु रक्षा प्रणाली और रडार तकनीक देने की अनुमति दी है।
जापान ने भी ताइवान के प्रति समर्थन व्यक्त करते हुए कहा है कि वह क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने को तैयार है।
क्षेत्रीय सुरक्षा पर खतरा
दक्षिण चीन सागर पहले से ही विवाद का केंद्र रहा है, जहां चीन, फिलीपींस, वियतनाम और मलेशिया जैसे देशों के बीच क्षेत्रीय दावे हैं। अब ताइवान के पास बढ़ती सैन्य गतिविधियां इस क्षेत्र में नई अस्थिरता पैदा कर रही हैं।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ऐसी घटनाएं इसी तरह जारी रहीं, तो यह किसी छोटी सैन्य झड़प या गलतफहमी से बड़े संघर्ष में बदल सकती हैं
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