हाल ही में अमेरिका के डेलावेयर में आयोजित Quad शिखर सम्मेलन में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया। इस महत्वपूर्ण बैठक के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित अन्य देशों के नेताओं ने मिलकर एक संयुक्त घोषणापत्र जारी किया। इस घोषणापत्र में चारों नेताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि चार सदस्यीय क्वाड अच्छाई के लिए एक ताकत है और वर्तमान में पहले से कहीं अधिक रणनीतिक रूप से एकजुट हैं।
Quad क्या होता है ?
क्वाड, या क्वाड्रिलैटरल सिक्योरिटी डायलॉग, चार देशों का एक समूह है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, भारत, अमेरिका और जापान शामिल हैं। इस समूह का उद्देश्य मुख्यतः समुद्री सुरक्षा को मजबूत करना है, और यह एक अनौपचारिक मंच है जहाँ सदस्य देश सामरिक दृष्टिकोण से मिलकर रणनीतियाँ बनाते हैं। इस वर्ष का क्वाड शिखर सम्मेलन अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने गृहनगर विलमिंगटन में आयोजित किया। इस कार्यक्रम में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने भाग लिया।
‘Quad अच्छाई के लिए एक ताकत’
विलमिंगटन घोषणापत्र में यह उल्लेख किया गया है कि चार साल पहले जब क्वाड को नेता-स्तरीय प्रारूप में बढ़ाया गया था, तब से यह समूह रणनीतिक रूप से पहले से कहीं अधिक एकजुट हो गया है। यह एक सकारात्मक पहल के रूप में स्थापित हुआ है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में वास्तविक, सकारात्मक और स्थायी प्रभाव डालने की कोशिश कर रहा है। नेताओं ने इस बात का जश्न मनाया कि महज चार वर्षों में क्वाड एक महत्वपूर्ण और स्थायी क्षेत्रीय समूह बन गया है, जो आगामी कई दशकों तक हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मजबूत करेगा।
चार देशों के नेताओं ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया। उन्होंने परोक्ष रूप से चीन का उल्लेख करते हुए कहा कि समूह किसी भी अस्थिरकारी या एकतरफा कार्रवाई का विरोध करेगा, जो बल या दबाव के जरिए यथास्थिति को बदलने का प्रयास करती है। चीन के दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में कई देशों के साथ विवाद हैं, जहां वह संप्रभुता का दावा करता है। इसके अलावा, वियतनाम, मलेशिया, फिलीपीन, ब्रुनेई और ताइवान भी इस क्षेत्र पर अपने-अपने दावे प्रस्तुत करते हैं।
एक मुक्त और समावेशी क्षेत्र
घोषणापत्र में यह भी कहा गया कि नेताओं ने हाल में किए गए अवैध मिसाइल प्रक्षेपणों की निंदा की है, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का उल्लंघन करते हैं। उन्होंने समुद्री क्षेत्र में खतरनाक और आक्रामक कार्रवाइयों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। साथ ही, उन्होंने एक ऐसे क्षेत्र की इच्छा व्यक्त की, जहां कोई भी देश किसी अन्य देश पर हावी न हो और सभी देश दबाव से मुक्त होकर अपने भविष्य का निर्धारण कर सकें।
‘Quad कैंसर मूनशॉट’ का एलान
क्वाड के नेताओं ने एक स्थिर और मुक्त अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को कायम रखने के लिए भी प्रतिबद्धता व्यक्त की है, जिसमें मानवाधिकारों, स्वतंत्रता के सिद्धांत, कानून के शासन और लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति प्रबल समर्थन शामिल है। उन्होंने ‘क्वाड कैंसर मूनशॉट’ की घोषणा की, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में जीवन बचाने के लिए एक अभूतपूर्व साझेदारी है। इस पहल के तहत, कोविड-19 महामारी के दौरान क्वाड की सफल साझेदारी के अनुभवों का उपयोग करते हुए, कैंसर की समस्या से निपटने के लिए सामूहिक निवेश और वैज्ञानिक क्षमताओं के आधार पर कार्य किया जाएगा।
भारत की स्वास्थ्य पहल
भारत ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र के लिए 75 लाख डॉलर मूल्य के सर्विकल कैंसर टीके और ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) किटों की उपलब्धता की प्रतिबद्धता जताई है। प्रधानमंत्री मोदी ने यह अनुदान भारत के ‘वन अर्थ, वन हेल्थ’ (एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य) के दृष्टिकोण के तहत दिया है। इसके साथ ही, भारत विश्व स्वास्थ्य संगठन की डिजिटल स्वास्थ्य पर वैश्विक पहल के लिए एक करोड़ अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता भी व्यक्त करेगा।
क्षेत्रीय समुद्री पहल
क्वाड राष्ट्रों ने हिंद-प्रशांत में एक नई क्षेत्रीय समुद्री पहल (मैत्री) की घोषणा की है। इसका उद्देश्य क्षेत्र में साझेदारों को समुद्री क्षेत्र जागरूकता (आईपीएमडीए) और अन्य पहलों के माध्यम से उपकरणों का अधिकतम लाभ उठाने में सहायता करना है। 2025 में भारत की मेज़बानी में पहली ‘मैत्री’ कार्यशाला आयोजित करने की योजना है, जो नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था को बनाए रखने में सहायक होगी।
लॉजिस्टिक्स नेटवर्क और बंदरगाह सहयोग
क्वाड ने ‘क्वाड इंडो-पैसिफिक लॉजिस्टिक्स नेटवर्क पायलट’ परियोजना की भी घोषणा की, जिसका उद्देश्य हवाई मार्ग के जरिए लोगों और वस्तुओं के परिवहन में सहयोग बढ़ाना है। इसके साथ ही, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में प्राकृतिक आपदाओं के दौरान तेजी से प्रतिक्रिया करने के लिए सामूहिक ताकत का लाभ उठाने की भी योजना है।
क्वाड के घोषणापत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि ‘क्वाड इन्फ्रास्ट्रक्चर फेलोशिप’ के तहत 2,200 से अधिक विशेषज्ञों को फेलोशिप प्रदान की जा चुकी है। इसके अलावा, ‘क्वाड बायोएक्सप्लोर’ पहल की शुरुआत की जाएगी, जो सभी चार देशों में जैविक डेटा के अन्वेषण को समर्थन देगी।
इस शिखर सम्मेलन की शुरुआत पहले भारत में होने वाली थी, लेकिन राष्ट्रपति बाइडन ने इसे अपने गृहनगर में आयोजित करने का इच्छुक था। अमेरिका, जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार से निपटने के लिए 2017 में ‘क्वाड’ की स्थापना की थी।
क्वाड समूह का उद्देश्य एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र की स्थापना करना है। चीन का आरोप है कि यह समूह उसके उदय को रोकने के लिए कार्य कर रहा है, लेकिन क्वाड के सदस्य देशों का कहना है कि उनका लक्ष्य केवल क्षेत्र की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करना है। इस प्रकार, क्वाड शिखर सम्मेलन ने कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया और क्षेत्रीय सुरक्षा, स्वास्थ्य और स्थिरता को प्राथमिकता दी।