कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी इन दिनों अपने दक्षिण अमेरिका दौरे पर हैं। कांग्रेस पार्टी के मुताबिक यह यात्रा कई दृष्टिकोण से अहम मानी जा रही है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने जानकारी दी कि राहुल गांधी इस दौरे के दौरान चार देशों में राजनीतिक नेताओं, विश्वविद्यालयों के छात्रों और व्यापारिक जगत की प्रमुख हस्तियों से मिलेंगे।
दक्षिण अमेरिका दौरे पर पवन खेड़ा का बयान
पवन खेड़ा ने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर लिखा, “लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी दक्षिण अमेरिका की यात्रा पर हैं। वे चार देशों में राजनीतिक नेताओं, विश्वविद्यालय के छात्रों और व्यापार जगत के लोगों से मिलेंगे।”
खेड़ा के इस बयान ने साफ कर दिया कि राहुल गांधी की यह यात्रा सिर्फ एक औपचारिक दौरा नहीं है, बल्कि इसका राजनीतिक और कूटनीतिक महत्व भी है।
इंडियन ओवरसीज कांग्रेस का स्वागत – दक्षिण अमेरिका
राहुल गांधी जब दक्षिण अमेरिका के पहले पड़ाव पर पहुंचे, तो वहां उनका भव्य स्वागत हुआ। बोस्टन लॉगन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उनके आगमन पर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के कई सदस्य मौजूद थे। खास बात यह रही कि इस अवसर पर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के चीफ सैम पित्रोदा भी उपस्थित रहे। पित्रोदा लंबे समय से कांग्रेस पार्टी के प्रवासी भारतीय कार्यक्रमों से जुड़े हैं और राहुल गांधी की विदेश यात्राओं में अक्सर सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं।
राहुल गांधी ने अपने स्वागत में उमड़ी भीड़ का हाथ हिलाकर अभिवादन किया। ओवरसीज कांग्रेस के सदस्यों ने उन्हें फूल और पारंपरिक तरीके से शुभकामनाएं दीं। कई प्रवासी भारतीयों ने राहुल गांधी से बातचीत भी की और भारत की मौजूदा राजनीति और अर्थव्यवस्था को लेकर अपने विचार साझा किए।
दक्षिण अमेरिका के बाद नई शुरुआत
यह दौरा इसलिए भी खास है क्योंकि राहुल गांधी की यह यात्रा अप्रैल में अमेरिका दौरे के बाद उनकी नई अंतरराष्ट्रीय पहल का हिस्सा है। अमेरिका दौरे के दौरान उन्होंने विश्वविद्यालयों के छात्रों, शोधकर्ताओं और भारतीय प्रवासियों से संवाद किया था। इसके बाद अब दक्षिण अमेरिका की ओर रुख करना इस बात का संकेत है कि वे वैश्विक मंच पर भारत के विपक्ष की आवाज़ को मजबूत करने की कोशिश कर रहे हैं।
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यह दौरा राहुल गांधी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए राजनीतिक और आर्थिक दृष्टिकोण को समझने का मौका देगा। साथ ही, वे भारतीय प्रवासियों के साथ अपने रिश्तों को और मजबूत कर पाएंगे।
चार देशों में गहन कार्यक्रम
हालांकि कांग्रेस ने इन चार देशों के नामों का आधिकारिक ऐलान नहीं किया है, लेकिन पार्टी सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी का कार्यक्रम चिली, ब्राज़ील, अर्जेंटीना और कोलंबिया जैसे देशों में हो सकता है। ये देश दक्षिण अमेरिका की राजनीति और अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।
प्रत्येक देश में राहुल गांधी का कार्यक्रम तीन प्रमुख हिस्सों में बंटा होगा—
- राजनीतिक नेतृत्व से मुलाकात: यहां वे स्थानीय सरकारों और विपक्षी नेताओं से संवाद करेंगे, जिससे उन्हें दक्षिण अमेरिकी देशों के लोकतांत्रिक ढांचे और चुनौतियों को समझने में मदद मिलेगी।
- विश्वविद्यालयों में बातचीत: राहुल गांधी विश्वविद्यालयों में छात्रों और प्रोफेसरों से मिलेंगे। यह मंच उन्हें युवा पीढ़ी के दृष्टिकोण को जानने और वैश्विक शिक्षा मॉडल पर विचार साझा करने का अवसर देगा।
- व्यापारिक जगत से संवाद: इस दौरान वे प्रमुख उद्योगपतियों और व्यापारिक संगठनों के साथ बैठकें करेंगे। इसका उद्देश्य भारत और दक्षिण अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों को बढ़ावा देना और नई संभावनाओं पर चर्चा करना है।
प्रवासी भारतीयों से जुड़ाव
राहुल गांधी के हर विदेश दौरे में एक खास पहलू होता है—भारतीय प्रवासियों से मुलाकात। इस बार भी ऐसा ही देखने को मिल रहा है। दक्षिण अमेरिका के अलग-अलग देशों में बसे भारतीय समुदाय ने राहुल गांधी के स्वागत की तैयारियां पहले से ही शुरू कर दी थीं।
इन बैठकों में प्रवासी भारतीयों के मुद्दों, भारत में हो रहे आर्थिक और राजनीतिक बदलाव, और भारत-दक्षिण अमेरिका रिश्तों को मजबूत करने पर चर्चा होगी। कांग्रेस का मानना है कि प्रवासी भारतीय न केवल भारत की सॉफ्ट पावर का प्रतीक हैं, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की छवि को मजबूत करने में महत्वपूर्ण कड़ी भी हैं।
कांग्रेस के लिए रणनीतिक महत्व
CONGRESS पार्टी के लिए यह दौरा रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है। 2024 के आम चुनाव में हार के बाद पार्टी ने विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी को आगे बढ़ाया है। ऐसे में उनकी अंतरराष्ट्रीय सक्रियता कांग्रेस के लिए वैश्विक मान्यता हासिल करने का जरिया बन सकती है।
कांग्रेस यह संदेश देना चाहती है कि वह केवल भारत की राजनीति तक सीमित नहीं है, बल्कि वह दुनिया के बड़े मुद्दों पर भी अपनी राय और दृष्टिकोण रखती है। जलवायु परिवर्तन, आर्थिक असमानता, लोकतंत्र की चुनौतियां और मानवाधिकार जैसे विषय राहुल गांधी के भाषणों और बैठकों का केंद्र बिंदु हो सकते हैं।
बीजेपी का रुख
राहुल गांधी की विदेश यात्राएं अक्सर भारतीय राजनीति में चर्चा का विषय बनती हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पहले भी उनकी विदेश यात्राओं पर सवाल उठाती रही है। कई बार भाजपा नेताओं ने आरोप लगाया है कि राहुल गांधी विदेश में जाकर भारत सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं।
हालांकि कांग्रेस का कहना है कि यह यात्राएं सिर्फ कूटनीतिक और सामाजिक संवाद के लिए होती हैं। पार्टी का तर्क है कि राहुल गांधी दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में जाकर भारत की लोकतांत्रिक परंपराओं और विविधता का परिचय कराते हैं।
अंतरराष्ट्रीय नजरिया और भारत की भूमिका
दक्षिण अमेरिका का भू-राजनीतिक महत्व लगातार बढ़ रहा है। यहां के देश ऊर्जा, कृषि और खनिज संसाधनों के मामले में समृद्ध हैं। भारत और दक्षिण अमेरिकी देशों के बीच व्यापारिक संबंध भी तेजी से बढ़ रहे हैं। राहुल गांधी की यह यात्रा इन संबंधों को नए आयाम देने का अवसर हो सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की यात्राएं भारतीय नेताओं को वैश्विक मंच पर भारत की नई भूमिका को समझने का मौका देती हैं। साथ ही, ये दौरे बहुपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में मदद करते हैं।
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