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Wed. Oct 16th, 2024

Supreme Court ने हाल ही में उत्तर प्रदेश और अन्य राज्यों में अपराधियों के घरों को ढहाने की कार्रवाइयों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने का आदेश दिया है। यह फैसला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार के उस रुख पर आया है, जिसमें उन्होंने कई मामलों में गंभीर अपराध के आरोपियों के घरों पर बुलडोजर चलवाने की प्रक्रिया अपनाई थी। इस कार्रवाई को लेकर विपक्ष, खासकर समाजवादी पार्टी, ने कई बार यह आरोप लगाया कि यह धर्म और जाति के आधार पर लक्षित है। उनका कहना था कि यह बुलडोजर कार्रवाई विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ होती थी।

योगी आदित्यनाथ का यह बुलडोजर एक्शन उनके समर्थकों के बीच काफी लोकप्रिय हो गया था, जो इसे कानून व्यवस्था को मजबूत करने और अपराधियों में भय पैदा करने का एक प्रभावी तरीका मानते थे। वे इसे एक तरह से अपनी राजनीतिक छवि को भी मजबूती देने के लिए इस्तेमाल करते थे। सरकारी एजेंसियों का दावा था कि ये कार्रवाइयाँ अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ की जा रही हैं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने इस पर रोक लगा दी है, जिससे यह सवाल उठता है कि सीएम योगी की राजनीति किस दिशा में जाएगी।

अखिलेश यादव ने जताई चिंता

समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस संदर्भ में चिंता जताई है। उन्होंने अपने एक पोस्ट में लिखा कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश केवल बुलडोजर को ही नहीं, बल्कि उसे चलाने वालों की विध्वंसक राजनीति को भी खत्म कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि अब बुलडोजर के पहिये खुल गए हैं और स्टीयरिंग हत्थे से उखड़ गया है। उनका तर्क है कि यह उन लोगों के लिए पहचान का संकट बन सकता है जिन्होंने बुलडोजर को अपनी पहचान बना लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि यदि अवैध ध्वस्तीकरण का एक भी मामला सामने आता है, तो यह संविधान के मूल्यों के विरुद्ध होगा। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने यह भी बताया कि उनका आदेश सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों आदि पर बने अनधिकृत निर्माण पर लागू नहीं होगा। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी भी प्रकार की अवैध ध्वस्तीकरण की कार्रवाई होती है, तो यह हमारे संविधान के मूल्यों के खिलाफ है।

Supreme Court की कार्रवाई

सुप्रीम कोर्ट की यह कार्रवाई उन याचिकाओं के संदर्भ में आई थी, जिनमें यह आरोप लगाया गया था कि कई राज्यों में आपराधिक मामलों के आरोपियों की संपत्तियों को ध्वस्त किया जा रहा है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि संपत्तियों को ध्वस्त करने का विमर्श गढ़ा जा रहा है। इसके जवाब में, पीठ ने कहा कि वे बाहरी शोर से प्रभावित नहीं होते।

योगी आदित्यनाथ की पहचान एक नेता के रूप में बनी है जो बुलडोजर कार्रवाई के लिए जाने जाते हैं। वह इसे राज्य में कानून का शासन स्थापित करने का एक माध्यम मानते थे। उनका यह प्रयास अपराधियों में कानून का डर पैदा करने के लिए भी था। हालांकि, इस एक्शन पर कई बार सवाल उठाए गए, और ये सवाल उचित भी थे। अब, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, यह देखना दिलचस्प होगा कि सीएम योगी राज्य में कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कौन से नए तरीके अपनाएंगे। क्या वे फिर से बुलडोजर का उपयोग करेंगे, या कोई अन्य रणनीति अपनाएंगे, यह भविष्य में देखने वाली बात होगी।

सीएम योगी के लिए यह एक चुनौतीपूर्ण समय है। उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि उनकी सरकार अपनी नीतियों को प्रभावी तरीके से लागू कर सके, जबकि न्याय और संविधान की रक्षा भी सुनिश्चित करे। अब सवाल यह है कि क्या वह अपने बुलडोजर एक्शन के माध्यम से अपनी छवि को बनाए रख पाएंगे या उन्हें नई रणनीतियों पर विचार करना होगा।

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इस स्थिति में यह स्पष्ट है कि योगी सरकार को नए उपाय खोजने होंगे ताकि वे राज्य में सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रख सकें। यह देखना दिलचस्प होगा कि विपक्ष का रुख इस मुद्दे पर क्या होगा, और क्या यह मामला चुनावों पर कोई असर डाल सकता है। इस समय राजनीतिक परिदृश्य में कई बदलाव आ सकते हैं, और यह राजनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो सकता है।

इस प्रकार, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद योगी आदित्यनाथ की राजनीतिक रणनीतियों में बदलाव की संभावना है। उन्हें जनता के बीच एक संतुलन बनाए रखना होगा, ताकि वे अपने समर्थकों की अपेक्षाओं पर खरे उतर सकें और न्याय के सिद्धांतों का भी पालन कर सकें। यह समय उनके लिए न केवल एक चुनौती है, बल्कि एक अवसर भी है, जिससे वह अपनी सरकार की छवि को नया आकार दे सकते हैं।

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