भारत सरकार और राज्य सरकारों द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, लेकिन बिहार की नई महिला रोजगार योजना एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। शुक्रवार, 27 सितंबर 2025 को PM नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इस ऐतिहासिक योजना की शुरुआत की। इसका उद्देश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना और स्वरोजगार के ज़रिये उनकी आजीविका को मजबूती प्रदान करना है।
इस योजना के तहत राज्य की 75 लाख महिलाओं के बैंक खातों में सीधे ₹10,000 की राशि ट्रांसफर की जाएगी। यह पहल न केवल एक सामाजिक क्रांति की शुरुआत है, बल्कि यह ग्रामीण भारत की महिलाओं को आर्थिक मुख्यधारा में लाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।
PM योजना की मुख्य विशेषताएं
1. सीधी बैंक हस्तांतरण (Direct Benefit Transfer – DBT) – PM
महिला रोजगार योजना के तहत राज्य की 75 लाख महिलाओं को ₹10,000 की पहली किश्त सीधे उनके बैंक खातों में ट्रांसफर की जाएगी। यह धनराशि लाभार्थी महिलाओं द्वारा आजीविका शुरू करने में मदद करेगी — जैसे कि छोटी दुकानें खोलना, घरेलू उद्योग, पशुपालन, बुनाई-कढ़ाई आदि।
2. कुल आवंटन ₹7,500 करोड़
सरकार इस योजना के लिए कुल ₹7,500 करोड़ की राशि खर्च कर रही है। यह भारत के इतिहास में महिलाओं के लिए किए गए सबसे बड़े डायरेक्ट ट्रांसफर अभियानों में से एक है।
3. आगे और सहायता – ₹2 लाख तक की आर्थिक मदद
पहले चरण में महिलाओं को ₹10,000 का शुरुआती अनुदान मिलेगा, लेकिन सरकार इसके आगे भी योजना को विस्तार देने की तैयारी में है। दूसरे और तीसरे चरण में पात्र महिलाओं को ₹2 लाख तक की अतिरिक्त सहायता दी जाएगी ताकि वे अपने व्यवसाय को आगे बढ़ा सकें।
4. स्वयं सहायता समूह और प्रशिक्षण -PM
इस योजना का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह समुदाय-आधारित है। महिलाओं को केवल पैसा ही नहीं दिया जाएगा, बल्कि उन्हें स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups – SHGs) और सामुदायिक संसाधनों (Community Resource Persons) से जोड़ा जाएगा, जो उन्हें विभिन्न प्रकार के व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।
5. ग्रामीण हाट और बाजार का विकास
महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों की बिक्री के लिए सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में स्थायी हाट-बाजारों के निर्माण का निर्णय लिया है। इससे महिलाओं के बनाए उत्पादों को सही मूल्य मिल सकेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा।
PM का संबोधन
शुभारंभ अवसर पर PM नरेंद्र मोदी ने कहा:
“बिहार की बहनों और बेटियों का जीवन संवारने का यह संकल्प आज एक नई दिशा ले रहा है। महिला रोजगार योजना सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि एक आंदोलन है – आत्मनिर्भर भारत की तरफ एक और बड़ा कदम।”
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि आज देश की महिलाएं सिर्फ घर नहीं संभाल रहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में भी सशक्त भागीदारी कर रही हैं। उन्होंने इस योजना के ज़रिए महिलाओं को एक नया मंच देने की बात दोहराई।
PM योजना से क्या बदलेगा?
1. आर्थिक आत्मनिर्भरता
महिलाएं जब खुद कमाना शुरू करेंगी, तो वे ना केवल अपने परिवार को आर्थिक सहारा देंगी, बल्कि अपने बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण में भी सुधार ला सकेंगी।
2. गांवों में रोज़गार के अवसर
इस योजना के तहत स्वरोजगार बढ़ेगा, जिससे गांवों में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे और पलायन पर भी रोक लगेगी।
3. महिला नेतृत्व को बढ़ावा
योजना में SHG मॉडल को शामिल करके सरकार महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका में लाना चाहती है। महिलाएं अब सिर्फ लाभार्थी नहीं, बल्कि गांव की विकास यात्रा की लीडर भी होंगी।
लाभार्थियों की प्रतिक्रिया
बक्सर जिले की सविता देवी, जो एक सिलाई का छोटा सा काम करती हैं, कहती हैं:
“अब मुझे किसी से उधार नहीं लेना पड़ेगा। ₹10,000 से मैं एक नई सिलाई मशीन खरीदूंगी और दो लड़कियों को भी काम पर रखूंगी।”
वहीं, पटना की सबा खातून ने कहा:
“सरकार से यह मदद मिलने से लगता है कि अब हम महिलाएं भी कुछ कर सकती हैं। मैं मसाला बनाने का काम शुरू करना चाहती हूं।”
सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से प्रभाव – PM
- महिलाओं की निर्णय क्षमता में वृद्धि होगी
जब महिलाएं खुद कमाई करेंगी, तो घर के आर्थिक निर्णयों में उनकी भागीदारी भी बढ़ेगी। - घरेलू हिंसा में कमी आ सकती है
विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा की घटनाएं कम होती हैं। - बाल विवाह और स्कूल ड्रॉप-आउट रेट घटेंगे
जब महिलाएं आर्थिक रूप से मज़बूत होंगी, तो वे अपने बच्चों खासकर बेटियों की शिक्षा में निवेश करेंगी, जिससे स्कूल ड्रॉपआउट रेट घटेगा।
चुनौतियाँ भी हैं
हालांकि योजना की मंशा बहुत सकारात्मक है, लेकिन इसकी सफलता क्रियान्वयन पर निर्भर करती है। कुछ संभावित चुनौतियाँ:
- लाभार्थियों की सही पहचान
- फंड का गलत इस्तेमाल
- भ्रष्टाचार और बिचौलियों की भूमिका
- उत्पादों के लिए बाज़ार तक पहुंच
इन सभी चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को सतत निगरानी और पारदर्शिता बनाए रखनी होगी।
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