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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75वें जन्मदिन पर देश और दुनिया से शुभकामनाओं का तांता लगा रहा। इस खास मौके पर दुनिया के कई बड़े नेताओं ने उन्हें बधाई दी। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा में रही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की शुभकामना। पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को व्यक्तिगत रूप से फोन कर जन्मदिन की बधाई दी। इसके बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट करते हुए पुतिन का धन्यवाद किया और कहा कि यह शुभकामना भारत-रूस के गहरे और ऐतिहासिक रिश्तों को दर्शाती है।

पुतिन का 75वें जन्मदिन पर विशेष संदेश

क्रेमलिन से जारी बयान के मुताबिक, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री मोदी को फोन पर 75वें जन्मदिन की बधाई देते हुए उनके लंबे और स्वस्थ जीवन की कामना की। पुतिन ने कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत ने विकास और अंतरराष्ट्रीय मंच पर मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। पुतिन ने भारत-रूस की रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

रूसी राष्ट्रपति ने इस दौरान दोनों देशों के बीच चल रहे महत्वपूर्ण रक्षा, ऊर्जा और आर्थिक सहयोग पर भी चर्चा की। उन्होंने भविष्य में होने वाली द्विपक्षीय बैठकों का जिक्र करते हुए कहा कि रूस भारत के साथ अपने संबंधों को और प्रगाढ़ बनाना चाहता है।

75वें जन्मदिन पर मोदी का आभार और मित्रता का संकेत

प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिन की इस पहल का सोशल मीडिया पर जवाब दिया। उन्होंने लिखा, “रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से जन्मदिन पर शुभकामनाएं पाकर खुशी हुई। यह बधाई हमारे दोनों देशों की मजबूत दोस्ती और आपसी विश्वास को दर्शाती है। भारत-रूस साझेदारी आने वाले वर्षों में और गहरी होगी।”

मोदी का यह संदेश केवल धन्यवाद भर नहीं था, बल्कि यह भारत-रूस संबंधों की गहराई और परंपरा को भी उजागर करता है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दोनों देशों के बीच दशकों पुरानी रणनीतिक साझेदारी आने वाले समय में नए आयाम हासिल करेगी।

भारत-रूस रिश्तों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य – जन्मदिन

भारत और रूस के रिश्ते दशकों पुराने हैं। सोवियत संघ के समय से ही दोनों देशों के बीच रक्षा, अंतरिक्ष और आर्थिक सहयोग की मजबूत नींव पड़ी। शीत युद्ध के दौर में भारत गुटनिरपेक्ष नीति का पालन करता रहा, लेकिन रूस (तब का सोवियत संघ) के साथ उसके रिश्ते विशेष रहे। 1971 में भारत-सोवियत मैत्री संधि इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसने भारत को कई अंतरराष्ट्रीय मोर्चों पर सहयोग दिलाया।

आधुनिक समय में भी रूस भारत के सबसे बड़े रक्षा सहयोगियों में से एक है। ब्रह्मोस मिसाइल से लेकर परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं तक, दोनों देशों ने कई रणनीतिक प्रोजेक्ट्स पर मिलकर काम किया है। ऊर्जा के क्षेत्र में भी रूस भारत को कच्चे तेल और गैस की आपूर्ति करने वाला महत्वपूर्ण साझेदार है।

मौजूदा दौर में भारत-रूस साझेदारी

हाल के वर्षों में बदलते भू-राजनीतिक समीकरणों के बीच भी भारत और रूस के रिश्ते मजबूत बने हुए हैं। यूक्रेन युद्ध के बावजूद भारत ने रूस के साथ संतुलित संबंध बनाए रखे हैं। भारत ने कई मौकों पर संवाद और शांति का आह्वान किया, लेकिन साथ ही रूस से ऊर्जा आयात जारी रखा।

रूस भी भारत के साथ अपने आर्थिक रिश्तों को बढ़ाने पर जोर दे रहा है। दोनों देशों के बीच रुपये-रूबल व्यापार तंत्र पर चर्चा हुई है, ताकि डॉलर पर निर्भरता कम की जा सके। रक्षा क्षेत्र में संयुक्त परियोजनाएं, फार्मास्यूटिकल्स और अंतरिक्ष सहयोग भी तेजी से बढ़ रहा है।

पुतिन-मोदी की व्यक्तिगत केमिस्ट्री

प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की व्यक्तिगत दोस्ती भी दोनों देशों के रिश्तों में अहम भूमिका निभाती है। बीते एक दशक में दोनों नेता कई बार एक-दूसरे से मिले हैं। 2019 में व्लादिवोस्तोक में ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम में मोदी मुख्य अतिथि थे। वहीं, 2021 में पुतिन ने नई दिल्ली का दौरा कर 21वां भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में भाग लिया।

दोनों नेताओं की मुलाकातों में आपसी विश्वास साफ झलकता है। पुतिन कई बार सार्वजनिक मंचों पर मोदी की नेतृत्व क्षमता और भारत की वैश्विक भूमिका की सराहना कर चुके हैं। वहीं मोदी ने भी रूस को भारत का ‘सदैव मित्र’ कहा है।

जन्मदिन बधाई से अंतरराष्ट्रीय संकेत

पुतिन का जन्मदिन पर फोन करना केवल व्यक्तिगत संबंध का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय राजनीति का भी संदेश है। वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जब पश्चिमी देश रूस पर प्रतिबंध लगाए हुए हैं, भारत का रूस के साथ संतुलित रिश्ता दुनिया को दिखाता है कि नई दिल्ली अपनी स्वतंत्र विदेश नीति पर कायम है।

यह कदम इस बात का भी संकेत है कि रूस भारत को एशिया में अपने सबसे भरोसेमंद सहयोगी के रूप में देखता है। ऊर्जा, रक्षा और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों में भारत-रूस साझेदारी का वैश्विक महत्व लगातार बढ़ रहा है।

भारतीय राजनीति में मोदी का कद

पुतिन की शुभकामनाएं इस बात का भी सबूत हैं कि नरेंद्र मोदी का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कद कितना ऊंचा है। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने लगातार वैश्विक नेताओं के साथ मजबूत संबंध बनाने पर जोर दिया है। उनकी विदेश नीति ‘भारत पहले’ के सिद्धांत पर आधारित है, जो न तो किसी गुट पर निर्भर करती है और न ही दबाव में आती है।

75 वर्ष की उम्र में भी मोदी सक्रिय नेतृत्व का उदाहरण हैं। उनकी लोकप्रियता न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी है। यही वजह है कि उनके जन्मदिन पर दुनिया भर के नेता उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।

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