लोकतांत्रिक प्रक्रिया की सुदृढ़ता और पारदर्शिता को बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग लगातार प्रयासरत है। इसी कड़ी में आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को व्यवस्थित और निष्पक्ष तरीके से सम्पन्न कराने के उद्देश्य से चुनाव आयोग ने बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने मध्य प्रदेश कैडर के 25 वरिष्ठ IAS अधिकारियों को पर्यवेक्षक (Observers) नियुक्त किया है, जो चुनावी गतिविधियों की निगरानी करेंगे।
ये सभी अधिकारी चुनाव प्रक्रिया को सुचारू और पारदर्शी बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाएंगे। मतदान से लेकर मतगणना तक हर चरण में इनकी भूमिका अहम रहेगी। पर्यवेक्षक बिहार के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में जाकर वहां के प्रशासनिक प्रबंध, आचार संहिता का पालन, सुरक्षा इंतजाम और मतदाताओं की सुविधा की निगरानी करेंगे।
दिल्ली से होगा चुनावी मिशन का आगाज़ – बिहार विधानसभा चुनाव
सभी 25 IAS अधिकारी बिहार रवाना होने से पहले दिल्ली स्थित चुनाव आयोग मुख्यालय में एक विशेष ब्रीफिंग सत्र में शामिल होंगे। इस दौरान उन्हें बिहार के राजनीतिक, सामाजिक और भौगोलिक हालात के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाएगी। साथ ही आयोग की तरफ से उन्हें स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाएंगे कि किस तरह पारदर्शिता, निष्पक्षता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जाए।
इसके बाद इन्हें अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में भेजा जाएगा। प्रत्येक अधिकारी को स्वतंत्र अधिकार और जिम्मेदारी दी जाएगी ताकि वह अपने क्षेत्र में चुनाव आयोग के प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर सकें।
कौन-कौन संभालेंगे जिम्मेदारी? – बिहार विधानसभा चुनाव
नियुक्त किए गए IAS अधिकारियों में मध्य प्रदेश कैडर के कई अनुभवी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ निभा रहे अधिकारी शामिल हैं। इनमें से कई अधिकारी वर्तमान में सचिव, आयुक्त, निदेशक या प्रबंध निदेशक पदों पर कार्यरत हैं। उनकी प्रशासनिक दक्षता और अनुभव को देखते हुए चुनाव आयोग ने उन्हें चुनावी पर्यवेक्षण की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है।
इन 25 अधिकारियों की सूची इस प्रकार है:
- शोभित जैन – सदस्य सचिव, एमपी फूड कमीशन
- सोनाली पोंक्षे वायंगणकर – पीएस, सामाजिक न्याय विभाग
- विवेक कुमार पोरवाल – पीएस, राजस्व विभाग
- पी. नरहरि – पीएस, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग
- डॉ. संजय गोयल – सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग
- रघुराज एम.आर. – सचिव, श्रम विभाग
- जीवी रश्मि – सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग
- मदन विभीषण नागरोजे – आयुक्त, हस्तशिल्प एवं हैंडलूम
- स्वतंत्र कुमार सिंह – निदेशक, बीजीटीआर
- भरत यादव – प्रबंध निदेशक, एमपी रोड डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन
- अभिषेक सिंह – सचिव, गृह विभाग
- अजय गुप्ता – निदेशक, किसान कल्याण विभाग
- अमित तोमर – आईजी, पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक
- अविनाश लवानिया – प्रबंध निदेशक, पॉवर मैनेजमेंट कंपनी (जबलपुर)
- प्रीति मैथिल – आयुक्त सह निदेशक, उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण
- अनुराग चौधरी – अपर सचिव, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग
- तरुण राठी – निदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं
- गौतम सिंह – अपर सचिव, राजस्व विभाग
- गिरीश शर्मा – निदेशक, एमपी स्किल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट
- हरजिंदर सिंह – निदेशक, राज्य शिक्षा केंद्र
- सरिता बाला ओम प्रजापति – निदेशक, जल एवं भूमि प्रबंधन संस्थान (WALMI)
- वीरेंद्र कुमार – अपर सचिव, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग
- डॉ. फटिंग राहुल हरिदास – आयुक्त, एमपी हाउसिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट बोर्ड
- कुमार पुरषोत्तम – प्रबंध निदेशक, कृषि विपणन बोर्ड
ये सभी अधिकारी अपने-अपने क्षेत्र में मतदान केंद्रों की व्यवस्था, सुरक्षा बलों की तैनाती, आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों और चुनावी खर्च की निगरानी करेंगे।
चुनाव आयोग का उद्देश्य और तैयारी
चुनाव आयोग का कहना है कि पर्यवेक्षकों की तैनाती का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चुनावी प्रक्रिया स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से संपन्न हो। बिहार में चुनावी माहौल हमेशा संवेदनशील माना जाता है। ऐतिहासिक रूप से यहां जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे और राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का असर ज्यादा देखने को मिलता है। ऐसे में पर्यवेक्षक अधिकारी प्रशासनिक और सुरक्षा व्यवस्था पर पैनी नजर रखेंगे।
बिहार विधानसभा चुनाव में करोड़ों मतदाता हिस्सा लेंगे। बड़ी संख्या में नए मतदाता भी जुड़ रहे हैं। ऐसे में पर्यवेक्षकों की निगरानी यह सुनिश्चित करेगी कि हर वोट सही जगह जाए और चुनावी प्रक्रिया पर जनता का भरोसा कायम रहे।
पर्यवेक्षकों की भूमिका क्यों अहम? – बिहार विधानसभा चुनाव
पर्यवेक्षक न केवल चुनावी कार्यों की निगरानी करते हैं, बल्कि वे स्थानीय प्रशासन और पुलिस तंत्र को भी दिशा देते हैं। यदि किसी क्षेत्र में गड़बड़ी, गुटबाजी, धमकाने या धनबल/बल प्रयोग की शिकायत मिलती है तो पर्यवेक्षक तुरंत कार्रवाई सुनिश्चित कर सकते हैं।
इसके अलावा, ये अधिकारी चुनाव आयोग को नियमित रिपोर्ट देंगे, जिसमें मतदान प्रतिशत, गड़बड़ियों की शिकायत, सुरक्षा इंतजाम और प्रशासनिक सहयोग से जुड़ी जानकारी होगी। यदि किसी विधानसभा क्षेत्र में निष्पक्ष चुनाव पर सवाल खड़े होते हैं, तो पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के आधार पर आयोग तुरंत कड़ा निर्णय ले सकता है।
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