वाराणसी के काशी स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में रविवार को आयोजित ‘एमएसएमई सेवा पर्व-2025: विरासत से विकास’ कार्यक्रम में शामिल होने के बाद केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री एवं हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने बिहार की राजनीति पर बड़ा बयान दिया। मांझी ने साफ कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए एनडीए गठबंधन में अभी तक सीटों के बंटवारे को लेकर कोई आधिकारिक बातचीत नहीं हुई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नवरात्र के बाद इस मुद्दे पर एनडीए की अहम बैठक होगी, जिसमें सभी सहयोगी दलों के बीच सीटों का अंतिम फैसला लिया जाएगा।
नवरात्र के बाद होगी निर्णायक बैठक – 2025
पत्रकारों से बातचीत में जीतन राम मांझी ने कहा, “सीट बंटवारे को लेकर अब तक कोई औपचारिक चर्चा नहीं हुई है। नवरात्र के बाद इस पर एनडीए की बैठक होगी और उसी के बाद सीटों का बंटवारा तय किया जाएगा।” मांझी के इस बयान से यह साफ हो गया है कि फिलहाल बिहार एनडीए के सभी दल—भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जनता दल (यूनाइटेड), हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) और अन्य सहयोगी—अपनी-अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे रहे हैं, लेकिन आधिकारिक वार्ता अभी बाकी है।
अमित शाह और केंद्रीय नेतृत्व की सक्रियता – 2025
बिहार चुनाव को लेकर केंद्रीय नेतृत्व की सक्रियता बढ़ गई है। जीतन राम मांझी ने जानकारी दी कि केंद्रीय उच्च शिक्षा मंत्री को बिहार विधानसभा चुनाव का प्रभारी नियुक्त किया गया है। साथ ही, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं। शाह का यह दौरा स्पष्ट संकेत देता है कि भाजपा चुनाव को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। उनके लगातार दौरे से यह भी साफ है कि केंद्र स्तर पर चुनावी तैयारियां तेज हो गई हैं और संगठनात्मक मजबूती पर खास जोर दिया जा रहा है।
एनडीए में तालमेल की चुनौती
बिहार में इस समय एनडीए गठबंधन में कई दल शामिल हैं। भाजपा और जदयू के अलावा हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम), लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी जैसे छोटे लेकिन अहम दल भी समीकरण में हैं। पिछली बार की तरह इस बार भी सीट बंटवारे पर सहमति बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। खासकर इसलिए कि 2020 के चुनाव में जदयू और भाजपा के बीच कई सीटों पर मतभेद देखने को मिले थे। अब जबकि भाजपा राज्य में अपने आधार को और मजबूत करने की कोशिश कर रही है, वहीं जदयू अपने परंपरागत वोट बैंक को बचाने में जुटी है। ऐसे में छोटे दलों को सम्मानजनक सीटें देना आसान नहीं होगा।
मांझी की भूमिका अहम
2025 में जीतन राम मांझी, जो खुद दलित राजनीति के मजबूत चेहरे माने जाते हैं, बिहार की राजनीति में संतुलन साधने वाले नेता के तौर पर देखे जाते हैं। उनकी पार्टी भले ही सीटों के लिहाज से छोटी हो, लेकिन मांझी का प्रभाव कई विधानसभा क्षेत्रों में निर्णायक है। 2020 के चुनाव में हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा का प्रदर्शन भले सीमित रहा हो, मगर महादलित और दलित वोट बैंक में उनकी पकड़ एनडीए के लिए बेहद जरूरी है। यही कारण है कि सीट बंटवारे में मांझी को पर्याप्त प्रतिनिधित्व देने की संभावना है।
एनडीए की संभावित रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एनडीए इस बार जातीय समीकरणों पर खास ध्यान दे रहा है। अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और दलित मतदाता एनडीए की जीत के लिए अहम हैं। भाजपा और जदयू दोनों ही इस वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं। अमित शाह का लगातार बिहार दौरा और केंद्रीय नेताओं की सक्रियता इसी दिशा का हिस्सा है। एनडीए यह सुनिश्चित करना चाहता है कि महागठबंधन—जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद), कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं—को इन तबकों में सेंध लगाने का मौका न मिले।
महागठबंधन की तैयारी
एनडीए की तैयारी के बीच महागठबंधन भी पीछे नहीं है। राजद के नेतृत्व में विपक्ष लगातार बेरोजगारी, महंगाई और केंद्र सरकार की नीतियों को मुद्दा बनाकर प्रचार कर रहा है। महागठबंधन की ओर से दावा किया जा रहा है कि जनता इस बार बदलाव चाहती है। कांग्रेस, वामपंथी दल और अन्य क्षेत्रीय पार्टियां भी अपनी रणनीति पर काम कर रही हैं। ऐसे में बिहार चुनाव दिलचस्प और कड़ा मुकाबला देने वाला होगा।
आर्थिक विकास और एमएसएमई का एजेंडा
जीतन राम मांझी ने एमएसएमई सेवा पर्व कार्यक्रम में अपने संबोधन के दौरान कहा कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र बिहार 2025 सहित पूरे देश के आर्थिक विकास की रीढ़ है। उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए लगातार योजनाएं चला रही है, जिससे रोजगार सृजन हो सके। मांझी ने कहा, “विरासत से विकास की ओर बढ़ना हमारी प्राथमिकता है। पारंपरिक उद्योगों और हस्तशिल्प को आधुनिक तकनीक से जोड़कर रोजगार के अवसर बढ़ाए जाएंगे।”
जनता की उम्मीदें
बिहार की जनता के लिए इस बार का विधानसभा चुनाव सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि विकास से भी जुड़ा मुद्दा है। बेरोजगारी, शिक्षा, स्वास्थ्य, बुनियादी ढांचा और कानून-व्यवस्था जैसे विषय आम मतदाता के लिए अहम हैं। एनडीए जहां अपने विकास कार्यों को चुनावी एजेंडा बना सकता है, वहीं महागठबंधन इन मुद्दों पर सरकार को घेरने की तैयारी में है।
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