प्रधानमंत्री Narendra Modi ने तीन दिन के अमेरिकी दौरे के बाद न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के ‘समिट ऑफ द फ्यूचर’ में संबोधन करते हुए वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए आतंकवाद को एक गंभीर खतरा बताया। उन्होंने कहा कि मानवता की सफलता सामूहिक शक्ति में निहित है और युद्ध के मैदान में नहीं। इस दौरे के दौरान, पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की और फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास समेत अन्य राष्ट्राध्यक्षों से भी मुलाकात की। उनके इस दौरे को व्यक्तिगत रसायन, शांति निर्माण, व्यापारिक संबंधों की मजबूती, भारत की ब्रांडिंग, रक्षा क्षेत्र में सफलता और कूटनीति में बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। आइए इस दौरे के 10 प्रमुख बिंदुओं पर एक नजर डालते हैं:
1. अमेरिका के साथ संबंधों में प्रगाढ़ता
भारत और अमेरिका के बीच संबंध पिछले कुछ वर्षों में काफी प्रगाढ़ हुए हैं। पीएम मोदी ऐसे समय अमेरिका पहुंचे जब वहां राष्ट्रपति चुनाव की तैयारी चल रही है। उन्होंने इस दौरे में अमेरिका के नेताओं के साथ शांति का संदेश साझा किया और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की अपील की। उन्होंने व्यापार क्षेत्र में भारत में निवेश के फायदों को भी उजागर किया। अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने पीएम मोदी को ‘सबसे ज्यादा अमेरिकी समर्थक प्रधानमंत्री’ और राष्ट्रपति जो बाइडेन को ‘सबसे ज्यादा भारत समर्थक राष्ट्रपति’ के रूप में बताया।
2. पीसमेकिंग में क्वाड का एकजुटता
भारत ने लगातार शांति की अपील की है, जबकि चार देशों के बीच विवाद जारी हैं। क्वाड लीडर समिट के दौरान भारत ने पीसमेकिंग पर महत्वपूर्ण कूटनीतिक बढ़त हासिल की। समिट में आतंकवाद की निंदा की गई और पाकिस्तान का भी परोक्ष रूप से उल्लेख हुआ। क्वाड देशों ने आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई है और इसके लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 प्रतिबंध समिति के माध्यम से कार्रवाई की मांग की।
3. चीन को घेरने की कूटनीति
भारत ने क्वाड समिट में चीन और पाकिस्तान की हरकतों पर सख्त संदेश दिया। चीन के खिलाफ संयुक्त तटीय गश्ती मिशन की घोषणा की गई, जिससे भारत की कूटनीति की मजबूती का संकेत मिलता है। बाइडेन ने कहा कि चीन क्वाड देशों की परीक्षा ले रहा है, हालांकि पीएम मोदी ने कहा कि क्वाड किसी देश के खिलाफ नहीं है।
4. रक्षा क्षेत्र में सफलताएं
भारत ने अमेरिका से आकाश और समुद्र की सुरक्षा के लिए MQ-9B गार्जियन ड्रोन की खरीद की। इस मेगा डील के तहत भारत की इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकोनाइसेंस क्षमताओं में वृद्धि होगी। दोनों देशों के बीच नई सेमीकंडक्टर फैब्रिकेशन प्लांट की स्थापना की योजना भी बनी है, जो 2025 में भारत में स्थापित किया जाएगा।
5. भारत की ताकत का एहसास
पीएम मोदी ने इस दौरे में भारत की बढ़ती शक्ति का एहसास कराया। उन्होंने कहा कि आज भारत वैश्विक मंच पर अपनी आवाज प्रभावी तरीके से प्रस्तुत कर रहा है और जब वे कहते हैं कि ‘यह युद्ध का युग नहीं है’, तो दुनिया सुनती है।
6. अमेरिकी भारतीय समुदाय के लिए नई पहल
पीएम मोदी ने अमेरिका में भारतीय समुदाय की सुविधाओं का ध्यान रखा है और बोस्टन और लॉस एंजेलिस में नए वाणिज्य दूतावास खोलने का ऐलान किया। उन्होंने भारतीय समुदाय को ‘राष्ट्रदूत’ करार दिया और उनकी उपलब्धियों की सराहना की।
7. बिजनेसमैन को संदेश
पीएम मोदी ने प्रमुख टेक कंपनियों के सीईओ के साथ बैठक की और भारत में निवेश के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने भारत की संभावनाओं और अवसरों पर चर्चा की, जिसमें सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रॉनिक्स और बायोटेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देने का प्रस्ताव रखा।
8. संयुक्त महासभा में सामूहिक एकता का संदेश
संयुक्त महासभा में पीएम मोदी ने सामूहिक एकता के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने वैश्विक शांति के लिए सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया और बताया कि भारत ने 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है। उन्होंने वैश्विक समुदाय से आग्रह किया कि जब वे दुनिया के भविष्य पर चर्चा कर रहे हों, तो मानव केंद्रित दृष्टिकोण को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
9. UNSC में स्थायी सदस्यता की दावेदारी
पीएम मोदी के दौरे में अमेरिका ने भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए समर्थन का आश्वासन दिया। बाइडेन ने कहा कि अमेरिका भारत की आवाज को वैश्विक संस्थानों में जगह देने के लिए सुधार की पहल का समर्थन करता है।
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10. फिलिस्तीन और यूक्रेन के मसले पर रुख
पीएम मोदी ने फिलिस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ भी बैठक की। उन्होंने गाजा में मानवीय संकट पर चिंता व्यक्त की और दोनों देशों में शांति की बहाली के लिए भारत का समर्थन दोहराया।
यह दौरा भारत की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और अमेरिका के साथ संबंधों को और मजबूत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा है, जो न केवल क्षेत्रीय बल्कि वैश्विक स्थिरता में भी योगदान देगा।